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अयोध्या राम जन्मभूमि परिसर बना भव्य मंदिर, वास्तु और शिल्पकला का दिव्य प्रदर्शन

अयोध्या राम जन्मभूमि परिसर बना भव्य मंदिर, वास्तु और शिल्पकला का दिव्य प्रदर्शन

अयोध्या का राम जन्मभूमि परिसर अब केवल मंदिर नहीं, बल्कि भारतीय वास्तु और शिल्पकला का विस्तृत व दिव्य प्रदर्शन बन चुका है।

अयोध्या में रामजन्मभूमि परिसर अब केवल एक भव्य मंदिर का प्रतीक नहीं रह गया है, बल्कि यह भारतीय वास्तु और शिल्पकला का एक विस्तृत और दिव्य प्रदर्शन भी बन चुका है। परिसर में राम मंदिर के साथ बनाए गए पूरक प्रकल्पों ने पूरे क्षेत्र को और अधिक आकर्षक और आध्यात्मिक बना दिया है। इन प्रकल्पों में सात देवी देवताओं के मंदिर, रामायणकालीन सात ऋषियों मुनियों के मंदिर, साढ़े सात सौ मीटर लंबा परकोटा और उसके भीतर निर्मित विशाल नक्काशी और म्यूरल्स शामिल हैं। इन सभी संरचनाओं को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सूक्ष्म और भव्य दृष्टि से तैयार कराया है, ताकि श्रद्धालु केवल दर्शन न करें बल्कि भारतीय परंपरा और कला की गहराई को भी महसूस कर सकें।

परिसर में सबसे अधिक आकर्षण परकोटे की आंतरिक और बाहरी दीवारों पर की गई नक्काशी का है। दीवारों पर आइकनोग्राफी के माध्यम से ऐसी शिल्पकला उकेरी गई है जो देखने वाले का मन तुरंत बांध लेती है। दोनों ओर की दीवारों पर लगभग 85 ब्रॉन्ज म्यूरल्स लगाए गए हैं जिनमें धार्मिक, पौराणिक और ऐतिहासिक घटनाओं का विस्तृत चित्रण है। हर म्यूरल में कारीगरों की महीन मेहनत और कलात्मकता आसानी से देखी जा सकती है। इनके माध्यम से आने वाले श्रद्धालुओं को केवल धार्मिक अनुभव ही नहीं बल्कि भारतीय कला इतिहास की झलक भी मिलेगी।

परिसर में बनाए गए सात देवी देवताओं के मंदिर और रामायणकालीन सात ऋषियों के मंदिर भी श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन करते हैं। इन मंदिरों को रामलला के धाम के पूरक के रूप में तैयार किया गया है ताकि दर्शनार्थियों को पूरा धार्मिक अनुभव मिल सके। सभी मंदिरों का निर्माण नागर शैली में किया गया है, जो उत्तर भारतीय मंदिर कला का प्रमुख आधार माना जाता है। गुलाबी पत्थरों से तैयार यह पूरा परिसर तब और अधिक उज्ज्वल दिखता है जब सूर्य की किरणें इसकी दीवारों और शिखरों पर पड़ती हैं।

मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर सहित सभी सात पूरक मंदिरों के शिखरों पर ध्वजारोहण कर परिसर के पूर्णता का संदेश देंगे। इसके अगले दिन से सभी प्रकल्पों का दर्शन श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। जिन श्रद्धालुओं की इच्छा मंदिर परिसर की परिक्रमा करने की होती है वे लगभग साढ़े सात सौ मीटर लंबे परकोटे के माध्यम से यह साधना पूरी कर सकेंगे। परकोटे में छह देवों के अलग अलग मंदिरों का निर्माण किया गया है ताकि परिक्रमा और दर्शन दोनों एक साथ निर्बाध रूप से चलते रहें।

परकोटे की संरचना को इस प्रकार विकसित किया गया है कि दर्शन का प्रवाह बिना किसी बाधा के जारी रह सके। चारों दिशाओं में प्रवेश मंडप बनाए गए हैं जिनकी चौड़ी सीढ़ियों से होकर भक्त किसी भी दिशा में प्रवेश या निकास कर सकते हैं। प्रवेश मंडपों पर भी सुंदर शिखर निर्मित किए गए हैं जिन पर उड़ीसा, असम, कर्नाटक, राजस्थान और अन्य राज्यों के कारीगरों ने अपनी कला का अद्भुत प्रदर्शन किया है। यह विविधता परिसर को केवल धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी बनाती है।

हाल ही में परकोटे और प्रवेश मंडपों का निर्माण कार्य पूरा हुआ है और इन्हें भी उसी गुलाबी पत्थर से सजाया गया है जिसने राम मंदिर की सुंदरता को नई ऊंचाई दी है। जब सूर्य की हल्की रोशनी इन दीवारों, शिखरों और नक्काशियों पर पड़ती है तो पूरा परिसर एक दिव्य प्रकाश में नहाया हुआ सा लगता है। अब जब दर्शन की प्रक्रिया प्रारंभ होने वाली है तो श्रद्धालु रामलला के आशीर्वाद के साथ साथ नागर शैली की वास्तु कला और शिल्पकला का उत्कृष्ट दर्शन भी कर सकेंगे।

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