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वृंदावन: बांकेबिहारी मंदिर समिति बैठक में कलश हटाने पर गरमाई बहस, मर्यादा टूटी

वृंदावन: बांकेबिहारी मंदिर समिति बैठक में कलश हटाने पर गरमाई बहस, मर्यादा टूटी

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित बांकेबिहारी मंदिर समिति की बैठक में कलश हटाने के निर्देश पर सेवायतों के बीच जमकर विवाद हुआ।

बांकेबिहारी मंदिर प्रबंधन के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्चाधिकार प्रबंधन समिति की आठवीं बैठक सोमवार को वृंदावन के शहीद लक्ष्मण सिंह सभागार में आयोजित की गई। यह बैठक करीब तीन घंटे चली, लेकिन किसी उल्लेखनीय निर्णय के बिना समाप्त हो गई। बैठक के दौरान सेवायतों के बीच जिस तरह का विवाद सामने आया, उसने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया। गर्भगृह के बाहर रखे जाने वाले कलश को लेकर समिति द्वारा इसे हटाने का निर्देश दिया गया, जिससे विवाद शुरू हुआ और दो सदस्य सेवायतों के बीच तीखी बहस के साथ गाली गलौज तक की स्थिति बन गई। बैठक में उपस्थित महिला अधिकारी भी इस घटना से असहज हो गईं और बाद में उन्होंने इस अव्यवस्थित माहौल पर आपत्ति दर्ज कराई।

समिति अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशोक कुमार ने बैठक में कहा कि गर्भगृह के बाहर सेवाधिकारी द्वारा कलश रखना उचित नहीं है और इसे तत्काल हटाया जाना चाहिए। इस निर्देश पर सदस्य सेवायत शैलेंद्र गोस्वामी ने आपत्ति जताई और इसे हटाने से मना कर दिया। इसके तुरंत बाद दूसरे सदस्य सेवायत दिनेश गोस्वामी ने इसका समर्थन किया और कहा कि कलश के नाम पर गलत तरीके से धन संग्रह हो रहा है। उन्होंने कहा कि यदि इसे नहीं हटाया गया तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। इसके बाद दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि मर्यादा की सीमाएं टूट गईं और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बीचबचाव करना पड़ा।

बैठक में मंदिर की दान पेटिका खोलने की प्रक्रिया पर भी चर्चा हुई। यह सुझाव दिया गया कि सोना चांदी और नकली सामान का अलग से रिकॉर्ड तैयार किया जाए। समिति ने बैंक से नोट गिनने की मशीन मंगवाने और इसे स्थायी रूप से मंदिर में रखने की बात कही ताकि गणना प्रक्रिया पारदर्शी रह सके। अभी तक नोट गिनने के लिए चार वकील लगाए जाते थे, लेकिन खर्च और गड़बड़ियों को देखते हुए अब यह व्यवस्था बंद की जाएगी। दिसंबर में जब गोलक खुलेगी, तब गणना समिति की निगरानी में प्रबंधन, बैंक कर्मचारी और नियुक्त कर्मियों द्वारा संयुक्त रूप से की जाएगी।

बैठक में दिल्ली की एक कंपनी को मंदिर के अंदर और बाहर लाइव स्ट्रीमिंग की सुविधा विकसित करने के लिए चुना गया। लाइव स्ट्रीमिंग व्यवस्था बनने के बाद ही मंदिर परिसर में मोबाइल ले जाने पर प्रतिबंध को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। मंदिर के विधिक मामलों को संभालने के लिए एक अधिवक्ता नियुक्त करने पर भी चर्चा हुई। इसके अलावा अभिलेखों के लिए मुख्य लेखाधिकारी और वरिष्ठ सहायक लेखाधिकारी की नियुक्ति पर सहमति बनी और इनके लिए चालीस हजार रुपये पारिश्रमिक तय किया गया।

वाईके गुप्ता एंड कंपनी चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा मंदिर की आडिट रिपोर्ट प्रस्तुत की गई जिसमें पिछले वर्षों में सुरक्षा एजेंसियों पर हुए खर्च का विवरण दिया गया। वर्ष 2012 से 2013 के बीच सुरक्षा पर आठ लाख रुपये खर्च हुए थे, जबकि 2013 से 2014 में यह बढ़कर चौतीस लाख रुपये हो गया। एजेंसी बदलने के बाद खर्च में अचानक आई इस बढ़ोतरी पर समिति सदस्यों ने सवाल उठाए और टेंडर के दस्तावेज भी उपलब्ध न होने पर आपत्ति जताई। बैठक में यह भी सामने आया कि एक सुरक्षा गार्ड पर 11 साल की बच्ची से अभद्र व्यवहार का आरोप लगा था, जिसके बाद उसके परिवार ने चुपचाप मामला खत्म कर दिया। इस पर सदस्य सेवायतों ने पुरानी एजेंसी को अयोग्य बताया।

बैठक में मंदिर चबूतरे से अतिक्रमण हटाने के लिए एक सप्ताह की समय सीमा तय की गई। विहार पंचमी पर 25 नवंबर को निधिवन से निकलने वाली भव्य शोभायात्रा पर भी चर्चा हुई। पिछले वर्ष इस आयोजन पर चार लाख साठ हजार रुपये खर्च हुए थे, जबकि इस बार राशि को सात लाख रुपये तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया। ठाकुर जी के भोग के लिए एक हलवाई की नियुक्ति भी तय की गई।

मंदिर गलियारा निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को लेकर भी समिति ने जानकारी साझा की। पहले सर्किल रेट दस हजार रुपये प्रति वर्गमीटर था, जिसे बढ़ाकर आवासीय क्षेत्रों के लिए बाईस हजार रुपये और व्यवसायिक क्षेत्रों के लिए नब्बे हजार रुपये कर दिया गया है। निर्माणाधीन भूमि के लिए सोलह हजार रुपये प्रति वर्गमीटर के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा। जिन व्यापारियों की दुकानें हटेंगी, उन्हें गलियारे में नई दुकानें दी जाएंगी और रजिस्ट्री का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। कुछ सेवायतों ने गलियारा निर्माण को अनावश्यक बताया जबकि कुछ ने बाजार मूल्य पर मुआवजे की मांग की। पुनर्वास के लिए एमवीडीए फ्लैटों के टेंडर सब्सिडी दरों पर जारी किए जाएंगे।

बैठक बिना किसी ठोस निर्णय के समाप्त हो गई, लेकिन कई मुद्दों पर गर्मागर्मी के साथ लंबी चर्चा हुई। विवादों और अप्रिय घटनाओं के बीच समिति के लिए मंदिर प्रबंधन को व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ाना अभी भी चुनौती भरा बना हुआ है।

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