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भाजपा ने नितिन नवीन को राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष बनाया, बिहार में हलचल तेज

भाजपा ने नितिन नवीन को राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष बनाया, बिहार में हलचल तेज

भाजपा ने पटना के कद्दावर नेता व मंत्री नितिन नवीन को राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष नियुक्त किया, जिससे बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है।

नई दिल्ली/पटना: बिहार की राजनीति में रविवार को एक बड़ा और चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया, जब भारतीय जनता पार्टी ने पटना की राजनीति से राष्ट्रीय स्तर तक मजबूत पहचान रखने वाले नेता और पांच बार के विधायक नितिन नवीन को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष नियुक्त किया। इस फैसले के साथ ही न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश के भाजपा कार्यकर्ताओं और राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। संगठन और सरकार दोनों में संतुलन साधने वाले नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले नितिन नवीन की यह नियुक्ति पार्टी की दीर्घकालिक रणनीति के लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही है।

पटना की बांकीपुर विधानसभा से लगातार जीत दर्ज करने वाले नितिन नवीन वर्तमान में बिहार सरकार में सड़क निर्माण एवं शहरी विकास व आवास विभाग के मंत्री हैं। संगठन में उनकी नई जिम्मेदारी ने उनके राजनीतिक कद को और ऊंचा कर दिया है। भाजपा नेतृत्व का मानना है कि नितिन नवीन जैसे अनुभवी, अनुशासित और जमीनी नेता को राष्ट्रीय भूमिका देकर पार्टी को संगठनात्मक मजबूती मिलेगी, खासकर उन राज्यों में जहां भाजपा विस्तार की रणनीति पर काम कर रही है।

राजनीतिक विरासत से राष्ट्रीय पहचान तक का सफर
नितिन नवीन का पूरा नाम नितिन नवीन सिन्हा है। वे भाजपा के दिग्गज और दिवंगत नेता नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा के पुत्र हैं, जिन्हें पटना पश्चिम क्षेत्र में एक मजबूत जनाधार वाला नेता माना जाता था। राजनीतिक वातावरण में पले-बढ़े नितिन नवीन ने बचपन से ही संगठन, अनुशासन और जनसेवा को नजदीक से देखा। यही कारण है कि वे युवावस्था में ही सक्रिय राजनीति में उतर आए और कम समय में अपनी अलग पहचान बनाई।

नाम को लेकर लंबे समय से चल रही भ्रम की स्थिति पर भी अब तस्वीर साफ है। चुनाव आयोग के शपथ पत्र से लेकर सोशल मीडिया और आधिकारिक दस्तावेजों तक, हिंदी में उनका नाम नितिन नवीन और अंग्रेजी में Nitin Nabin दर्ज है। पिता के नाम और स्थानीय संबोधन के कारण कुछ लोग उन्हें नितिन नबीन भी कहते हैं, लेकिन आधिकारिक तौर पर उनका नाम नितिन नवीन ही है।

शिक्षा, संगठन और संघर्ष की कहानी
नितिन नवीन ने प्रारंभिक शिक्षा पटना के प्रतिष्ठित संत माइकल हाई स्कूल से प्राप्त की। वर्ष 1996 में 10वीं और 1998 में 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे थे। लेकिन वर्ष 2005 में पिता के असामयिक निधन ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। अगले ही वर्ष उपचुनाव में वे विधायक चुने गए और वहीं से उनका पूर्णकालिक राजनीतिक सफर शुरू हो गया।

शैक्षणिक रूप से उनकी पढ़ाई 12वीं तक रही, लेकिन संगठनात्मक अनुभव और राजनीतिक समझ ने उन्हें पार्टी के भरोसेमंद चेहरों में शामिल कर दिया। वे 2010 से 2013 तक भाजयुमो के राष्ट्रीय महामंत्री, 2016 से 2019 तक भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष, और बाद में सिक्किम व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में पार्टी संगठन के प्रभारी रहे।

जाति, समाज और राजनीतिक समीकरण
नितिन नवीन कायस्थ समाज से आते हैं, जिसे बिहार में सवर्ण वर्ग में रखा जाता है। हालिया जातीय जनगणना में इस समाज की आबादी लगभग 0.6 प्रतिशत बताई गई है। इसके बावजूद नितिन नवीन ने संगठन और जनता के बीच अपनी स्वीकार्यता के बल पर मजबूत राजनीतिक आधार तैयार किया। यही वजह है कि वे लगातार चुनाव जीतते आए हैं और पार्टी के भीतर भी भरोसेमंद नेतृत्व माने जाते हैं।

मंत्री पद और ‘एक व्यक्ति, एक पद’ की चुनौती
राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि आगे क्या नितिन नवीन को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है। अगर ऐसा होता है, तो पार्टी की ‘एक व्यक्ति, एक पद’ की नीति के तहत उन्हें बिहार सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। पूर्व में ऐसे उदाहरण सामने आ चुके हैं, जहां संगठनात्मक पद मिलने पर नेताओं को सरकार की जिम्मेदारी छोड़नी पड़ी है। ऐसे में आने वाले समय में नितिन नवीन की भूमिका और भी निर्णायक हो सकती है।

निजी जीवन और परिवार
नितिन नवीन अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। उनकी माता मीरा सिन्हा भी अब इस दुनिया में नहीं हैं। पारिवारिक सोच के अनुसार उनका विवाह दीपमाला श्रीवास्तव से हुआ, जो पहले बैंक अधिकारी थीं और अब अपना स्टार्टअप नविरा इंटरप्राइजेज संभाल रही हैं। परिवार में दो संतानें नैतिक और नित्या नविरा हैं। वर्तमान में नितिन नवीन पटना के हवाई अड्डा थाना क्षेत्र स्थित सरकारी आवास में रहते हैं।

भाजपा द्वारा नितिन नवीन को राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष बनाना सिर्फ एक संगठनात्मक फैसला नहीं, बल्कि आने वाले राजनीतिक समीकरणों की झलक भी है। संगठन, सरकार और क्षेत्रीय संतुलन तीनों को साधने की क्षमता रखने वाले इस नेता की अगली भूमिका पर अब पूरे देश की नजरें टिकी हैं। बिहार की राजनीति से निकलकर राष्ट्रीय मंच पर उनकी यह नई जिम्मेदारी, न केवल उनके राजनीतिक जीवन का अहम पड़ाव है, बल्कि भाजपा की भविष्य की दिशा का भी संकेत देती है।

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Category: bihar patna politics

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