नई दिल्ली/वेलिंगटन: भारत और न्यूजीलैंड के कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों में सोमवार को एक नया और सुनहरा अध्याय जुड़ गया। दोनों देशों ने लंबे समय से प्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वार्ताओं को सफलतापूर्वक अंतिम रूप देने की आधिकारिक घोषणा कर दी है। इस ऐतिहासिक समझौते का मूल उद्देश्य न केवल वस्तुओं और सेवाओं के द्विपक्षीय व्यापार को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है, बल्कि निवेश के रास्तों को भी सुगम बनाना है। गौरतलब है कि इस समझौते को मूर्त रूप देने के लिए इसी साल मई में नए सिरे से गंभीर बातचीत शुरू हुई थी, जो अब एक निर्णायक मुकाम पर पहुंच चुकी है।
न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने इस सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए बताया कि एफटीए के लागू होने से न्यूजीलैंड से भारत को होने वाले लगभग 95 प्रतिशत निर्यात पर टैरिफ या तो पूरी तरह समाप्त कर दिए जाएंगे या उनमें भारी कटौती की जाएगी। उन्होंने अनुमान जताया कि अगले दो दशकों में भारत को न्यूजीलैंड का निर्यात 1.1 अरब डॉलर से बढ़कर 1.3 अरब डॉलर प्रति वर्ष तक पहुंच सकता है, जो दोनों देशों के आर्थिक भविष्य के लिए एक शुभ संकेत है।
समझौते को अंतिम रूप दिए जाने के बाद न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर विस्तृत चर्चा की, जिसे उन्होंने दोनों देशों की 'मजबूत मित्रता' का प्रतीक बताया। लक्सन ने इस बात पर जोर दिया कि यह समझौता न्यूजीलैंड के व्यवसायों के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगा, क्योंकि इससे उन्हें दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत के 1.4 अरब उपभोक्ताओं के विशाल बाजार तक सीधी पहुंच मिलेगी। इस समझौते का सफर काफी लंबा और उतार-चढ़ाव भरा रहा है; दोनों देशों के बीच बातचीत की शुरुआत 2010 में हुई थी, लेकिन नौ दौर की वार्ताओं के बाद 2015 में यह प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली गई थी। हालांकि, दोनों सरकारों की दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते इस साल वार्ता फिर से शुरू हुई और 5 से 9 मई के बीच आयोजित पहले दौर की बैठक ने ही इस सफलता की नींव रख दी थी।
आर्थिक आंकड़ों पर नजर डालें तो वित्त वर्ष 2025 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 1.3 अरब डॉलर के स्तर पर रहा, जिसमें भारत का निर्यात 711.1 मिलियन डॉलर और आयात 587.1 मिलियन डॉलर दर्ज किया गया। यह समझौता भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान में न्यूजीलैंड का औसत आयात शुल्क मात्र 2.3 प्रतिशत है, जबकि भारत का यह आंकड़ा 17.8 प्रतिशत है। इसके अलावा, न्यूजीलैंड की 58.3 प्रतिशत टैरिफ लाइनें पहले से ही शुल्क-मुक्त हैं, जिससे भारतीय निर्यातकों को वहां के बाजार में पैर जमाने में आसानी होगी।
भारत द्वारा न्यूजीलैंड को किए जाने वाले निर्यात में मुख्य रूप से ईधन, कपड़ा और फार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं। इसमें भी विमानन टरबाइन ईंधन (ATF) 110.8 मिलियन डॉलर के साथ शीर्ष पर है, जिसके बाद घरेलू वस्त्र और जीवन रक्षक दवाओं का स्थान आता है। इसके अतिरिक्त मशीनरी, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, लोहा-इस्पात, झींगा, बासमती चावल और सोने के आभूषणों की भी न्यूजीलैंड के बाजार में अच्छी मांग है।
दूसरी ओर, न्यूजीलैंड का भारत को निर्यात मुख्य रूप से कच्चे माल और कृषि इनपुट पर आधारित है, जो भारतीय उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनमें लकड़ी और लकड़ी के उत्पाद, लकड़ी का गूदा (wood pulp), स्टील व एल्युमिनियम स्क्रैप, कोकिंग कोयला, ऊन और विशेष रूप से सेब और कीवी फल शामिल हैं। माल के व्यापार के अलावा, सेवा क्षेत्र (Services Sector) इस द्विपक्षीय रिश्ते का एक और मजबूत स्तंभ बनकर उभरा है।
वित्त वर्ष 2024 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत की सेवाओं का निर्यात न्यूजीलैंड को 214.1 मिलियन डॉलर रहा, जबकि न्यूजीलैंड ने भारत को 456.5 मिलियन डॉलर की सेवाएं निर्यात कीं। जहां भारत की ताकत सूचना प्रौद्योगिकी (IT), टेलीकॉम सपोर्ट, स्वास्थ्य और वित्तीय सेवाओं में निहित है, वहीं न्यूजीलैंड ने शिक्षा, पर्यटन, फिनटेक और विशेष विमानन प्रशिक्षण के क्षेत्र में अपनी धाक जमाई है। विशेष रूप से, न्यूजीलैंड के सेवा निर्यात में शिक्षा क्षेत्र का दबदबा है, जिसे वहां पढ़ने वाले बड़ी संख्या में भारतीय छात्र संचालित करते हैं, जो दोनों देशों के बीच न केवल आर्थिक बल्कि सांस्कृतिक सेतु का भी काम कर रहे हैं।
भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते पर लगी मुहर, 95% निर्यात पर घटेगा शुल्क

भारत और न्यूजीलैंड ने मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया है, जिससे 95% निर्यात पर टैरिफ कम होंगे और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
Category: international trade diplomacy economy
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