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वाराणसी: रामनगर थाने से कुछ कदम दूरी पर पूरी रात खुली रहती देशी शराब की दुकान, स्थानीय जनता भयभीत और नाराज

वाराणसी: रामनगर थाने से कुछ कदम दूरी पर पूरी रात खुली रहती देशी शराब की दुकान, स्थानीय जनता भयभीत और नाराज

वाराणसी के रामनगर में थाने के पास अवैध शराब की दुकान रातभर खुलती है, जिससे नागरिकों में आक्रोश व सुरक्षा चिंता बढ़ी है।

वाराणसी/रामनगर: रामनगर थाना क्षेत्र में अवैध शराब बिक्री का खेल इन दिनों खुलेआम परवान चढ़ता दिख रहा है। सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि यह सब कुछ थाने से चंद कदम दूर संचालित हो रहा है, और प्रशासनिक खामोशी ने स्थानीय जनता के बीच गहरा असंतोष पैदा कर दिया है। क्षेत्र में स्थित एक देशी शराब की दुकान, जो नियमों के अनुसार केवल सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक ही खुलनी चाहिए, वह रातभर “ओपन 24×7” की तरह संचालित की जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि दुकान पर आधी रात से लेकर सुबह तक ग्राहकों की आवाजाही बनी रहती है, जिससे क्षेत्र में शोर-शराबा, उपद्रव और सुरक्षा संकट व्याप्त है।

थाने के पास ‘नाइट-लॉन्ग’ शराब बिक्री, लोगों में गुस्सा और डर दोनों
रामनगर के निवासियों ने बताया कि बीते कई महीनों से यह दुकान बिना किसी रोक-टोक के रात भर खुली रहती है। रात 12 बजे हो या 2 बजे यहां शराबियों का जमावड़ा आम दृश्य बन चुका है। कई बार देर रात नशे में धुत लोग राहगीरों से बदसलूकी करते, गाली-गलौज करते और झगड़े करते दिखाई देते हैं। महिलाओं और छात्राओं के लिए रात में निकलना लगभग असुरक्षित हो गया है।

निवासियों का कहना है, “थाना इतनी नजदीक है, फिर भी कोई एक्शन क्यों नहीं? क्या पुलिस को वाकई कुछ पता नहीं, या फिर जानबूझकर आंखें मूंद ली गई हैं?” इस स्थिति ने स्थानीय आबादी को न केवल असहज किया है, बल्कि कानून व्यवस्था को लेकर गहरे सवाल भी खड़े किए हैं।

आबकारी विभाग के तय समय की उड़ रही धज्जियां, सुबह 10 से पहले और रात 10 के बाद जारी बिक्री
आबकारी विभाग द्वारा स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी दुकान पर शराब बिक्री सुबह 10 बजे से पहले और रात 10 बजे के बाद नहीं की जा सकती। लेकिन रामनगर में यह नियम पिछले कई महीनों से कागजों में ही कैद दिखाई देता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि दुकान न केवल तय समय से घंटे पहले खुल जाती है, बल्कि देर रात, कभी-कभी सुबह तक भी बिक्री चलती रहती है।
इसके बाद सबसे बड़ा सवाल यही उठता है, कि आखिर दुकान कर्मियों को इतना ‘साहस’ किसकी सरपरस्ती से मिलता है?
लोगों का कहना है कि आबकारी विभाग का न तो कभी औचक निरीक्षण हुआ, न ही किसी अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर स्थिति देखी। इससे मिलीभगत या शिथिलता की आशंकाएं और गहरी होती जा रही हैं।

एमआरपी से ज्यादा वसूली, अवैध उगाही और आए दिन बढ़ते विवाद
क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि दुकान पर एमआरपी से अधिक पैसे वसूलना आम बात है। यह अवैध वसूली कई बार झगड़ों और मारपीट में बदल जाती है। शराबियों और दुकानकर्मियों के बीच कहासुनी, हाथापाई और धक्का-मुक्की की घटनाएं रोजमर्रा का हिस्सा बन चुकी हैं।
इसके बावजूद न पुलिस रिपोर्ट दर्ज होती है, न कोई कड़ी कार्रवाई। लोगों का कहना है कि ऐसी दुकानें न केवल अवैध वसूली में लगी हैं, बल्कि क्षेत्र के शांत वातावरण को भी खतरे में डाल रही हैं।

स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल
रामनगर की जनता खुले शब्दों में प्रशासन से पूछ रही है,“आखिर किसकी छत्रछाया में यह सब चल रहा है?”
मामले में कई महत्वपूर्ण बिंदु प्रशासनिक उदासीनता को लेकर सवाल खड़े करते हैं। थाने से महज चंद कदम दूरी पर अवैध गतिविधि, शराब बिक्री के तय समय सीमा का खुलेआम उल्लंघन, पूरी रात शराबियों का जमावड़ा, मनमानी वसूली और लगातार झगड़े, आबकारी विभाग की अनुपस्थिति, पुलिस की निरंतर चुप्पी। यह स्थिति न केवल कानून व्यवस्था को धता बताती है, बल्कि क्षेत्र की सुरक्षा और शांति के लिए भी खतरनाक है।

जनता की मांग, रोकथाम नहीं, अब कार्रवाई चाहिए
रामनगर के निवासियों ने शासन-प्रशासन से तत्काल और सख्त कदम उठाने की मांग की है। लोगों का कहना है कि, अवैध रूप से पूरी रात खुली रहने वाली दुकानों पर छापेमारी की जाए।नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कठोर कार्रवाई हो। एमआरपी से अधिक वसूली पर सख्त दंड लगाया जाए।क्षेत्र में पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए।आबकारी विभाग की जिम्मेदारी पुख्ता की जाए।

स्थानीय लोगों के अनुसार अब केवल ‘आश्वासन’ नहीं, बल्कि दृश्यमान कार्रवाई की जरूरत है, ताकि जनता को भरोसा हो कि प्रशासन उनकी सुरक्षा और कानून व्यवस्था के प्रति गंभीर है।

बड़ा सवाल, कब जागेगा प्रशासन?
रामनगर की यह स्थिति सिर्फ एक दुकान या एक क्षेत्र की समस्या नहीं है। यह उस पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा करती है जो कानून तोड़ने वालों के सामने कमजोर दिखाई दे रहा है।
शराब माफिया खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं और पुलिस-प्रशासन चुप है। यह दृश्य जनता के सामने एक असहज और चिंताजनक तस्वीर पेश करता है।

न्यूज रिपोर्ट पूछ रहा है सवाल, बनकर जनता की आवाज “कब रुकेगी यह मनमानी? और आखिर कब जागेगा प्रशासन?” और कब होगी कार्यवाही? सवाल कई है, लेकिन जवाब नदारद। अब ऐसे में देखने वाली बात ये होगी, कि क्या कोई शासन - प्रशासन द्वारा ठोस कदम उठाया जाता है, या नहीं।

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