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वाराणसी: भारी बारिश में भी नहीं रुका रामनगर रामलीला का मंचन, दर्शकों ने भीगकर उठाया आनंद

वाराणसी: भारी बारिश में भी नहीं रुका रामनगर रामलीला का मंचन, दर्शकों ने भीगकर उठाया आनंद

तेज बारिश के बावजूद रामनगर रामलीला का मंचन जारी रहा, प्रभु श्रीराम ने विभीषण का राजतिलक किया और सेतु निर्माण का आदेश दिया।

वाराणसी में शुक्रवार को मौसम का रुख अचानक बदल गया और तेज हवा के साथ जोरदार बारिश हुई। इस बारिश का असर रामनगर की ऐतिहासिक रामलीला पर भी पड़ा, लेकिन श्रद्धा और आस्था के आगे प्रतिकूल परिस्थितियां भी कमजोर पड़ गईं। लीला देखने आए भक्त और दर्शक भीगते हुए भी मंचन का आनंद लेते रहे। बारिश के कारण रामलीला में करीब आधे घंटे की देरी जरूर हुई, लेकिन लीला का उत्साह और भक्ति भाव कम नहीं हुआ।

बरसात के दौरान जहां रामलीला के पात्र रेनकोट पहनकर और छतरियों के नीचे संवाद प्रस्तुत कर रहे थे, वहीं लीलाप्रेमी प्लास्टिक की पन्नियों और बरसाती की आड़ में लीला का आनंद लेते नजर आए। शुक्रवार को रामनगर की रामलीला के 21वें दिन श्रीराम सुग्रीव को आदेश देते हैं कि वे वानर सेना के साथ शीघ्र लंका की ओर प्रस्थान करें। इस बीच रावण अपने भाई विभीषण को अपमानित कर लंका से निकाल देता है। इसके बाद श्रीराम लक्ष्मण से समुद्र का जल मंगवाकर विभीषण का राजतिलक करते हैं।

समुद्र से विनती करते समय जब श्रीराम को क्रोध आता है तो वे समुद्र पार करने के उपाय पूछते हैं। जामवंत को आदेश मिलता है कि बिना विलंब किए नल, नील, अंगद और हनुमान की सहायता से सेतु निर्माण शुरू किया जाए। इसी अवसर पर श्रीराम शिव मंदिर की स्थापना भी करते हैं और सेना के समुद्र पार कर जाने की संभावना पर प्रसन्न होते हैं। मंचन का समापन यहीं पर आरती के साथ हुआ।

रामलीला का आकर्षण केवल रामनगर तक सीमित नहीं रहा। शिवपुर केंद्रीय कारागार की रामलीला में भी पांचवें दिन मंचन हुआ जिसने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। यहां राम-केवट संवाद, दशरथ का निधन, भरत का अयोध्या आगमन और वन प्रस्थान की लीला प्रस्तुत की गई। जेल के कैदियों ने जिस भावपूर्ण ढंग से लीला का मंचन किया, उसने दर्शकों को गहराई तक प्रभावित किया।

इस लीला में चिकित्साधिकारी अभिषेक कुमार सिंह ने केवट का अभिनय किया और अपनी सशक्त प्रस्तुति से खूब तालियां बटोरीं। वहीं बंदी नरेंद्र प्रताप सिंह ने भरत की भूमिका निभाई और उनके करुण भाव से दर्शकों की आंखें नम हो गईं। मंचन के दौरान सुमंत भगवान अयोध्या लौटकर महाराज दशरथ को समस्त घटनाक्रम बताते हैं और राम के विछोह में दशरथ अपने प्राण त्याग देते हैं।

इस अवसर पर वरिष्ठ अधीक्षक राधाकृष्ण मिश्र, चिकित्साधिकारी अभिषेक सिंह, जेलर अखिलेश कुमार, डिप्टी जेलर अखिलेश कुमार मिश्र सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे और उन्होंने भी इस अनूठी रामलीला का आनंद लिया।

रामनगर और शिवपुर की रामलीला का यह अनुभव एक बार फिर यह साबित करता है कि आस्था और भक्ति के आगे प्रतिकूल परिस्थितियां मायने नहीं रखतीं और श्रद्धालु हर हाल में अपनी परंपराओं और संस्कृति से जुड़े रहते हैं।

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