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उन्नाव: महिला दरोगा के विवादित बयान का वीडियो वायरल, SP ने दिए जांच के आदेश

उन्नाव: महिला दरोगा के विवादित बयान का वीडियो वायरल, SP ने दिए जांच के आदेश

उन्नाव में दहेज प्रताड़ना मामले की जांच कर रही महिला दरोगा का अभद्र बयान वीडियो वायरल हुआ, एसपी ने जांच के आदेश दिए हैं।

उन्नाव: दहेज उत्पीड़न से जुड़े एक मामले की जांच करने पहुंची महिला दरोगा खुद विवादों में आ गईं, जब मौके पर मौजूद लोगों ने उनके कथित अभद्र व्यवहार का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। हालांकि संवाद न्यूज एजेंसी वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करती, लेकिन मामला अब उच्चाधिकारियों के संज्ञान में आ चुका है और इसकी विवेचना के आदेश दे दिए गए हैं।

सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला बंदूहार निवासी रिंकी, पुत्री राजकुमार का विवाह दही थाना क्षेत्र के ढकौली गांव निवासी अमित कुमार से हुआ था। रिंकी ने आरोप लगाया था कि शादी के बाद से ही ससुराल में उसे दहेज को लेकर प्रताड़ित किया जा रहा है। मामला गंभीर होने पर उसने सदर कोतवाली में दहेज उत्पीड़न की प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसकी जांच उपनिरीक्षक उमा अग्रवाल को सौंपी गई।

शनिवार को महिला दरोगा उमा अग्रवाल पीड़िता रिंकी को साथ लेकर ढकौली गांव मौका मुआयना करने पहुंचीं। यहां रिंकी की सास से पूछताछ के दौरान स्थितियां अचानक बदल गईं। वीडियो में कथित तौर पर महिला दरोगा को सास से यह कहते सुना गया कि “इतने जूते लगाऊंगी कि अपनी शक्ल भूल जाओगी।” बाद में पता चला कि पीड़िता की सास को सुनाई कम पड़ता है, जिससे वार्ता के दौरान गलतफहमी बढ़ गई।

मौके पर मौजूद किसी व्यक्ति ने इस पूरी घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया, जिसके बाद पुलिस विभाग में हलचल मच गई। खास बात यह है कि यही महिला दरोगा मिशन शक्ति अभियान के तहत महिलाओं और युवतियों को सुरक्षा, सम्मान और संवाद की सीख भी देती रही हैं। ऐसे में उनका विवादित व्यवहार पुलिस महकमे की छवि पर सीधे सवाल खड़े कर रहा है।

मामले की जानकारी होने पर उन्नाव के पुलिस अधीक्षक जयप्रकाश सिंह ने तुरंत संज्ञान लेते हुए सीओ सिटी दीपक यादव को जांच की जिम्मेदारी सौंप दी है। SP ने बताया कि वायरल वीडियो की सत्यता की जांच कराई जा रही है और रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

दहेज प्रताड़ना जैसे संवेदनशील प्रकरण में जांच अधिकारी का ऐसा व्यवहार न केवल प्रक्रिया की गंभीरता को कम करता है, बल्कि पीड़ित पक्ष के न्याय की उम्मीद पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। अब पूरी नजर इस बात पर है कि जांच रिपोर्ट में क्या तथ्य सामने आते हैं और विभाग अनुशासनात्मक कार्रवाई की दिशा में क्या कदम उठाता है।

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