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वाराणसी: ठंड के साथ बढ़ा वायु प्रदूषण, एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार खराब

वाराणसी: ठंड के साथ बढ़ा वायु प्रदूषण, एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार खराब

वाराणसी में ठंड के चलते वायु प्रदूषण बढ़ा, एयर क्वालिटी इंडेक्स 100-250 के बीच दर्ज, स्वास्थ्य जोखिम बढ़े।

ठंड बढ़ने के साथ ही शहर की हवा में प्रदूषित तत्वों की मात्रा तेजी से बढ़ गई है जिससे लोगों की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। नवंबर और दिसंबर के दौरान वायु गुणवत्ता लगातार खराब बनी हुई है। बीते सत्रह दिनों में पंद्रह दिनों तक एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर 100 से 250 के बीच दर्ज किया गया जिससे सांस की बीमारी से जूझ रहे लोगों को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा। विशेषज्ञों का कहना है कि खराब हवा सीधे फेफड़ों और हृदय पर असर डाल रही है और लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक प्रदूषण दर्ज होने के कारण केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को येलो और ऑरेंज अलर्ट जारी करना पड़ा है। बुधवार को भी शहर की हवा मध्यम श्रेणी में रही जिससे दमा हृदय रोग और फेफड़ों की समस्या से पीड़ित लोगों में बेचैनी देखी गई।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार शहर के चार प्रमुख निगरानी केंद्रों पर शाम सात बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स 118 से 151 के बीच दर्ज किया गया। सबसे खराब स्थिति अर्दली बाजार निगरानी केंद्र से जुड़े शहरी क्षेत्रों की रही जहां एक्यूआइ 151 रिकॉर्ड किया गया। यहां पीएम 2.5 का औसत स्तर 138 और अधिकतम 250 तक पहुंच गया जबकि पीएम 10 का औसत 151 दर्ज किया गया। इसके अलावा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का औसत स्तर 94 और सल्फर डाइऑक्साइड का औसत 11 रिकॉर्ड किया गया। प्रदूषण का यह स्तर न केवल बीमार लोगों बल्कि स्वस्थ व्यक्तियों के लिए भी नुकसानदायक साबित हो रहा है। चिकित्सकों के अनुसार लंबे समय तक ऐसी हवा में रहने से स्वस्थ लोगों को भी हल्की सांस की तकलीफ और थकान की शिकायत होने लगी है।

आइएमएस बीएचयू के जनरल मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर दीपक कुमार गौतम ने बताया कि इस मौसम में बच्चों बुजुर्गों और सांस या हृदय रोग से पीड़ित लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। उन्होंने सलाह दी कि संवेदनशील आबादी को अनावश्यक रूप से बाहर निकलने से बचना चाहिए और बाहर जाने पर मास्क का उपयोग करना चाहिए। साथ ही सुबह के समय जब प्रदूषण का स्तर अधिक रहता है तब खुले में व्यायाम या टहलने से बचने की भी जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक मौसम में बदलाव नहीं आता और प्रदूषण के स्रोतों पर नियंत्रण नहीं होता तब तक लोगों को स्वयं ही सावधानी बरतकर अपने स्वास्थ्य की रक्षा करनी होगी।

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