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वाराणसी के शंकुलधारा तालाब में मूर्ति विसर्जन के बाद दर्जनों मछलियां मरीं, स्थानीय लोग सदमे में

वाराणसी के शंकुलधारा तालाब में मूर्ति विसर्जन के बाद दर्जनों मछलियां मरीं, स्थानीय लोग सदमे में

वाराणसी के शंकुलधारा तालाब में मूर्ति विसर्जन के कुछ घंटे बाद दर्जनों मछलियां मर गईं, जिससे जल प्रदूषण और ऑक्सीजन की कमी की समस्या उजागर हुई।

वाराणसी: शहर के शंकुलधारा तालाब में मूर्ति विसर्जन के कुछ घंटे बाद दर्जनों मछलियों की मौत की खबर सामने आई है। रविवार की सुबह पानी की सतह पर तैरती मरी हुई मछलियों को देख स्थानीय लोग सदमे में आ गए। मृत मछलियों में तिलापिया, रोहू, प्लेसो और कॉमन कॉर्प जैसी प्रमुख प्रजातियाँ शामिल थीं।

स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह घटना उन भय की सच्चाई साबित कर गई, जिसकी उन्होंने पहले चेतावनी दी थी। तीन दिनों तक लगातार देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद तालाब में ऑक्सीजन की कमी के कारण मछलियां तड़पती हुई मरीं। शंकुलधारा तालाब में दुर्लभ प्रजाति के कछुए भी पाए जाते हैं, जिन पर इसी तरह का संकट भविष्य में मंडराने की संभावना है।

नगर निगम ने अप्रैल 2025 में लाखों रुपये खर्च कर शंकुलधारा तालाब का सुंदरीकरण कराया था। जल की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक एजेंसी को जिम्मेदारी दी गई थी और परिणाम भी सकारात्मक दिख रहे थे। तालाब के जल में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ी और अन्य मानक भी सुधार के संकेत दे रहे थे।

हालांकि, मूर्ति विसर्जन के दौरान इस्तेमाल की गई रासायनिक सामग्री और रंगों ने जल की गुणवत्ता को प्रभावित किया। विशेषज्ञों का कहना है कि मूर्तियों पर प्रयुक्त रंग, डाई, वार्निश और भारी धातुएं जैसे सीसा, पारा और क्रोमियम जल में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा कम कर देती हैं। इससे मछलियों और सूक्ष्मजीवों के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है। मौसम में बदलाव और बारिश से तालाब के पानी का तापमान बदलने पर मछलियां सतह पर आती हैं, लेकिन पर्याप्त ऑक्सीजन न होने से उनकी मृत्यु हो जाती है।

राजेंद्र कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मत्स्य विभाग ने बताया कि पीएच स्तर सुधारने के लिए चूने का छिड़काव किया जा सकता है और ऑक्सीजन बढ़ाने हेतु दवाओं का उपयोग भी आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि पारंपरिक और रासायनिक तत्वों से मुक्त इको-फ्रेंडली मूर्तियों का प्रयोग बढ़ाने से भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है।

स्थानीय पार्षद पति अशोक सेठ ने बताया कि उन्होंने और अन्य निवासी पूजा समितियों से शंकुलधारा में मूर्ति विसर्जन न करने का अनुरोध किया था, लेकिन अधिकारियों ने इसे अनदेखा कर दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि लाखों रुपये खर्च कर सुंदरीकरण के बाद भी मछलियों की मौत का जिम्मेदार कौन है।

तालाब के आसपास के लोग इस घटना से आहत हैं और भविष्य में जलजीवों के संरक्षण और मूर्ति विसर्जन के लिए स्थायी उपाय करने की मांग कर रहे हैं।

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