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वाराणसी: नगर निगम ने मच्छर नियंत्रण के लिए कोल्ड फॉगिंग व ड्रोन तकनीक अपनाई

वाराणसी: नगर निगम ने मच्छर नियंत्रण के लिए कोल्ड फॉगिंग व ड्रोन तकनीक अपनाई

वाराणसी नगर निगम मच्छरजनित बीमारियों की रोकथाम हेतु कोल्ड फॉगिंग और ड्रोन से एंटी लार्वा छिड़काव करेगा।

डेंगू और मलेरिया जैसी मच्छरजनित बीमारियों के बढ़ते खतरे को देखते हुए वाराणसी नगर निगम ने मच्छरों के खिलाफ आधुनिक और पर्यावरण अनुकूल तकनीक अपनाने का फैसला किया है। अब शहर में पारंपरिक थर्मल फॉगिंग की जगह कोल्ड फॉगिंग की जाएगी और मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने के लिए ड्रोन के माध्यम से एंटी लार्वा का छिडकाव किया जाएगा। नगर निगम का मानना है कि इस नई व्यवस्था से मच्छरों पर अधिक प्रभावी नियंत्रण होगा और आम लोगों को धुएं और प्रदूषण से भी राहत मिलेगी।

अब तक मच्छर नियंत्रण के लिए इस्तेमाल की जा रही थर्मल फॉगिंग में डीजल या केरोसिन का प्रयोग होता था जिससे घना धुआं निकलता था और पर्यावरण के साथ साथ लोगों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ता था। इसी समस्या को देखते हुए नगर निगम ने शहर के सभी 100 वार्डों में कोल्ड फॉगिंग लागू करने का निर्णय लिया है। इस तकनीक में पानी आधारित घोल का उपयोग किया जाता है जिससे धुआं नहीं निकलता और वायु प्रदूषण भी बेहद कम रहता है। नगर निगम मुख्यालय में मार्च 2025 में तत्कालीन नगर आयुक्त अक्षत वर्मा की मौजूदगी में इस तकनीक का सफल परीक्षण किया गया था जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए थे।

परीक्षण के बाद अब नगर निगम पूरे शहर के लिए 100 कोल्ड फॉगिंग मशीनों की खरीद कर रहा है ताकि हर वार्ड में नियमित रूप से इसका इस्तेमाल किया जा सके। जिला मलेरिया अधिकारी शरतचंद्र पांडेय ने बताया कि सभी 100 वार्डों के कर्मचारियों को इस नई तकनीक के संचालन का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। कोल्ड फॉगिंग में डेल्टामेथ्रिन जैसी कीटनाशक दवा को पानी में मिलाकर बेहद बारीक मिस्ट के रूप में छिडका जाता है। यह कुहरे जैसी धुंध बनाती है जो लंबे समय तक हवा में बनी रहती है और मच्छरों को प्रभावी ढंग से खत्म करती है।

पहले चरण में इस तकनीक को उन वार्डों में लागू किया जाएगा जहां मच्छरों का प्रकोप सबसे अधिक है। इसके बाद अस्पतालों स्कूलों और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में इसका विस्तार किया जाएगा। इसके साथ ही नगर निगम ड्रोन के जरिए जलभराव वाले स्थानों नालियों और छतों पर जमा पानी में एंटी लार्वा दवा का छिडकाव करेगा ताकि मच्छरों के पनपने से पहले ही उन्हें नष्ट किया जा सके। नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि यह तकनीक न केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी सुरक्षित है क्योंकि इसमें घना धुआं नहीं निकलता और इसे घरों के अंदर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

नगर निगम की यह पहल शहर को मच्छर मुक्त और स्वच्छ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। पानी आधारित होने के कारण यह व्यवस्था लागत के लिहाज से भी प्रभावी है और ईंधन की बचत करती है। साथ ही इससे पौधों और सतहों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। उम्मीद की जा रही है कि मौसम बदलते ही काशीवासियों को मच्छरों के बढ़ते प्रकोप से बड़ी राहत मिलेगी और मच्छरजनित बीमारियों पर भी प्रभावी नियंत्रण संभव हो सकेगा।

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