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वाराणसी नगर निगम ने अस्सी घाट के पास 6.50 करोड़ की अतिक्रमित भूमि को कब्जा मुक्त कराया

वाराणसी नगर निगम ने अस्सी घाट के पास 6.50 करोड़ की अतिक्रमित भूमि को कब्जा मुक्त कराया

वाराणसी नगर निगम ने सोमवार देर रात अस्सी घाट के पास 4500 वर्गफीट की अतिक्रमित भूमि को कब्जा मुक्त कराया जिसकी कीमत 6.50 करोड़ है।

वाराणसी नगर निगम ने अस्सी घाट के पास स्थित 4500 वर्गफीट अतिक्रमित भूमि को देर रात कब्जा मुक्त करा लिया। यह जमीन लंबे समय से निजी व्यक्तियों के कब्जे में थी और दुकानों के रूप में उपयोग की जा रही थी। बाजार मूल्य के अनुसार इस भूमि की कीमत लगभग 6.50 करोड़ रुपये आंकी गई है। वर्षों पुरानी शिकायतों और लगातार मिल रही आपत्तियों के बाद नगर निगम ने राजस्व विभाग के सहयोग से इस भूमि पर सख्त कार्रवाई की है, जिसे नगर निगम की संपत्ति बताया गया है।

नगर निगम को मिली शिकायतों के बाद राजस्व टीम ने मौके पर पहुंचकर पूरी भूमि की पैमाइश करवाई। पैमाइश के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि पूरा क्षेत्र नगर निगम की संपत्ति में दर्ज है और उस पर अवैध रूप से दुकानें खड़ी की गई थीं। पैमाइश रिपोर्ट के आधार पर निगम ने कार्रवाई की तैयारी शुरू की और देर रात सहायक नगर आयुक्त अनिल यादव के नेतृत्व में टीम मौके पर पहुंची। पुलिस बल, राजस्व विभाग और नगर निगम के कर्मचारियों की मौजूदगी में अतिक्रमण हटाने और कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू की गई।

कार्रवाई के दौरान अधिकारियों ने दुकानों का निरीक्षण किया, दीवारों पर हथौड़ा चलवाया और कब्जे को खाली कराने के बाद भूमि की सीमाएं तय करने के लिए पीलर लगाए। सुरक्षा के मद्देनजर पूरी जमीन की बैरेकेटिंग कर दी गई है ताकि किसी प्रकार की बाधा या दोबारा कब्जा करने की कोशिश न हो सके। देर रात तक चली इस कार्रवाई के दौरान निगम कर्मचारियों ने स्थान को पूरी तरह सुरक्षित कर लिया और अगले चरण के लिए रिपोर्ट तैयार की।

दुकान का संचालन कर रहे संतोष सिंह ने खुद को जमीन का मालिक बताया और नगर निगम की कार्रवाई पर आपत्ति जताई। उनका कहना है कि कार्रवाई बिना किसी पूर्व सूचना या नोटिस के की गई और उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि अतिक्रमित बताई जा रही जमीन के पीछे उनकी निजी जमीन है और प्रशासन ने मौखिक रूप से रास्ता देने की बात कही है। संतोष सिंह ने प्रशासन से निष्पक्ष सुनवाई की मांग की है।

नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि यह कदम कानूनी रूप से सही है क्योंकि पैमाइश रिपोर्ट में भूमि को नगर निगम की संपत्ति साबित किया गया है। निगम ने स्पष्ट किया कि शहर की सार्वजनिक भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराना उनकी जिम्मेदारी है और इस प्रकार की कार्रवाई भविष्य में भी जारी रहेगी। अधिकारियों ने बताया कि अस्सी घाट जैसे प्रमुख पर्यटन और धार्मिक क्षेत्र में अतिक्रमण सार्वजनिक व्यवस्था और सौंदर्य दोनों के लिए बाधक है, इसलिए यह कदम अनिवार्य था।

स्थानीय लोगों ने निगम की इस कार्रवाई का समर्थन किया और कहा कि घाट क्षेत्र में अवैध निर्माण और कब्जे बढ़ते जा रहे थे। उनका कहना है कि कब्जा मुक्त होने से क्षेत्र का सौंदर्य और सुगमता दोनों बढ़ेंगे। आने वाले दिनों में नगर निगम इस भूमि के उपयोग और विकास को लेकर अगली योजना तैयार करेगा।

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