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वाराणसी में खुलेगा केंद्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान, 50 एकड़ भूमि चिह्नित

वाराणसी में खुलेगा केंद्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान, 50 एकड़ भूमि चिह्नित

वाराणसी में केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान स्थापित होगा, जो योग व नेचुरोपैथी में शोध को बढ़ावा देगा।

वाराणसी: शहर में स्वास्थ्य और प्राकृतिक चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उत्तर प्रदेश में केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ योग एंड नेचुरोपैथी) बनाने की योजना शुरू कर दी गई है। इस संस्थान का उद्देश्य योग और नेचुरोपैथी के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देना और मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग सहित कई अन्य रोगों के लिए उपचार और दवा निर्माण पर वैज्ञानिक शोध करना है।

इस नई पहल के तहत आराजीलाइन ब्लॉक के शहंशाहपुर में 50 एकड़ भूमि चिह्नित की गई है। संस्थान के माध्यम से उत्तर प्रदेश के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों को भी शोध में सहयोग प्रदान किया जाएगा। इससे न केवल शोध को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय चिकित्सकीय शिक्षा और उपचार में सुधार भी होगा। आयुष विश्वविद्यालयों और आयुर्वेदिक अस्पतालों में सुविधाओं का विस्तार और मरीजों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए यह संस्थान स्वास्थ्य और अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण केंद्र साबित होगा।

देश में योग और प्राकृतिक चिकित्सा पर अनुसंधान संस्थान बहुत कम हैं। दिल्ली में मोरार जी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा एंड नेचुरोपैथी और पुणे में केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान पहले से ही कार्यरत हैं। इसके अलावा बंगलूरू में भी एक रिसर्च संस्थान मौजूद है। वाराणसी का यह नया संस्थान इन प्रयासों को और मजबूत करेगा और लोगों को योगाभ्यास के माध्यम से निरोगी जीवन जीने के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी उपलब्ध कराएगा।

आयुष मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालू की पहल पर इस संस्थान की स्थापना की दिशा में कार्यवाही शुरू हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह केंद्र न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि योग और नेचुरोपैथी के माध्यम से स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगा।

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