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वाराणसी: गोलगड्डा तिराहे पर ट्रैफिक पुलिसकर्मी का वसूली करते हुए वीडियो हुआ वायरल

वाराणसी: गोलगड्डा तिराहे पर ट्रैफिक पुलिसकर्मी का वसूली करते हुए वीडियो हुआ वायरल

वाराणसी में ट्रैफिक पुलिसकर्मी द्वारा कथित वसूली का वीडियो वायरल होने से हड़कंप मच गया है, जिसके बाद जांच के आदेश दिए गए हैं, यह घटना यातायात व्यवस्था पर सवाल उठाती है।

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शासन की मंशा के अनुरूप यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए तमाम निर्देश और सख्त आदेश दिए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। शहर के गोलगड्डा तिराहे से सामने आया एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें ट्रैफिक ड्यूटी पर तैनात दीवान द्वारा कथित तौर पर वसूली करते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में यह भी स्पष्ट दिख रहा है कि वसूली के लिए बाकायदा एक व्यक्ति को रखा गया है, जो लोगों से पैसे लेकर पुलिसकर्मी तक पहुंचा रहा है।

यह मामला इसलिए और गंभीर हो जाता है क्योंकि हाल ही में वाराणसी पुलिस कमिश्नर और यातायात डीसीपी ने जिलेभर में यातायात व्यवस्था को सुधारने और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने को लेकर कड़े निर्देश जारी किए थे। बावजूद इसके, अगर इस तरह की घटनाएं खुलेआम सामने आ रही हैं, तो यह सवाल उठाता है कि आदेशों का पालन क्यों नहीं हो रहा, और जिम्मेदार अधिकारी मौन क्यों हैं।

गोलगड्डा तिराहे पर रिकॉर्ड किया गया यह वीडियो स्थानीय लोगों की ओर से बनाया गया बताया जा रहा है। वीडियो में कथित वसूलीकर्ता सड़क किनारे खड़ा दिखाई दे रहा है, जो ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के नाम पर लोगों से पैसे ले रहा है और उन पैसों को तैनात ट्रैफिक पुलिसकर्मी को सौंपते हुए स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। वीडियो में यह प्रक्रिया एक बार नहीं, बल्कि लगातार दो-तीन बार दोहराई जाती दिख रही है, जिससे यह साफ संकेत मिलता है कि यह कोई एक बार की घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित और नियमित व्यवस्था बन चुकी है।

स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर आक्रोश देखा जा रहा है। उनका कहना है कि जहां एक तरफ आम जनता को हेलमेट, सीट बेल्ट और गाड़ियों के दस्तावेजों की सख्ती से जांच के नाम पर रोका जाता है, वहीं दूसरी तरफ कुछ पुलिसकर्मी इसी व्यवस्था को अपनी जेब भरने का जरिया बना लेते हैं। इससे शासन-प्रशासन की छवि पर गहरा असर पड़ता है और आमजन में व्यवस्था के प्रति विश्वास कमजोर होता है।

यातायात डीसीपी के सख्त निर्देशों के बावजूद इस प्रकार की हरकत सामने आना न केवल प्रशासनिक लापरवाही का संकेत है, बल्कि यह दर्शाता है कि नीचे के स्तर पर सुधार की प्रक्रिया अभी भी ठोस नहीं हो सकी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि वायरल वीडियो के आधार पर यातायात विभाग और पुलिस प्रशासन क्या ठोस कार्रवाई करता है और क्या ऐसे कर्मचारियों पर निलंबन या विभागीय जांच की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाती है।

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Category: crime uttar pradesh

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