Tue, 11 Nov 2025 17:11:09 - By : Garima Mishra
नई तकनीक के माध्यम से सर्जरी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की गई है। एम्स के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर नीरज ने मोटापे से ग्रस्त उच्च जोखिम वाले मरीज में हंसली यानी क्लैविकल के बाहरी हिस्से के फ्रैक्चर की सर्जरी बिना बेहोश किए सफलतापूर्वक की है। इस तकनीक में नर्व ब्लॉक का उपयोग किया गया, जिससे मरीज सर्जरी के दौरान पूरी तरह होश में रहा लेकिन दर्द का अनुभव नहीं हुआ।
डॉ. नीरज के इस शोध को बंगलूरू के एमएस रामैया मेडिकल कॉलेज में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया, जहां उन्हें पोस्टर प्रस्तुति श्रेणी में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। इस शोध को चिकित्सा समुदाय में सराहनीय और उपयोगी करार दिया गया, क्योंकि यह उन मरीजों के लिए नई उम्मीद बनकर उभरा है जो मोटापे, हृदय रोग या अन्य जटिलताओं के कारण जनरल एनेस्थीसिया यानी पूर्ण बेहोशी नहीं ले सकते।
डॉ. नीरज ने सर्जरी के दौरान सुपीरियर ट्रंक और सुपरफिशियल सर्वाइकल प्लेक्सेस ब्लॉक का उपयोग किया। इस तकनीक में केवल उस हिस्से की नसों को अस्थायी रूप से सुन्न किया गया, जहां ऑपरेशन होना था। इससे मरीज की जागरूकता बनी रही और सर्जरी के दौरान उसे कोई दर्द महसूस नहीं हुआ। डॉक्टरों के अनुसार यह तरीका सुरक्षित, कम जोखिम वाला और तेजी से रिकवरी देने वाला है।
एम्स की कार्यकारी निदेशक डॉ. विभा दत्ता और एनेस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार शर्मा ने इस उपलब्धि पर डॉ. नीरज को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह शोध एनेस्थीसिया और सर्जरी के क्षेत्र में नई दिशा दिखाता है, खासकर उन मरीजों के लिए जो गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों के कारण बेहोश करने वाली दवाओं के प्रति संवेदनशील होते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि नर्व ब्लॉक तकनीक भविष्य में कई प्रकार की ऑर्थोपेडिक सर्जरी में उपयोगी साबित हो सकती है। इस तकनीक से ऑपरेशन का खर्च और रिकवरी टाइम दोनों घटाए जा सकते हैं। डॉक्टर नीरज ने बताया कि वह इस तकनीक को और बेहतर बनाने के लिए आगे भी अनुसंधान जारी रखेंगे ताकि अधिक से अधिक मरीज इसका लाभ उठा सकें।