अमेठी: महिला ने मौलाना को हंटर से पीटा, बेटी से दुष्कर्म के लगाए गंभीर आरोप

उत्तर प्रदेश के अमेठी में एक महिला ने मौलाना को हंटर से पीटा, बेटी के दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए पुलिस जांच तेज हुई।

Thu, 04 Dec 2025 23:05:58 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

अमेठी: उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले से सामने आए एक वायरल वीडियो ने एक ऐसी वारदात को उजागर किया है जो सामाजिक रूप से कई गंभीर सवाल खड़े करती है। यह दृश्य अमेठी के जामो थाना क्षेत्र का बताया जा रहा है, जहाँ एक महिला को एक मौलाना की हंटर (रबड़ की चप्पल) से पिटाई करते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में महिला के कमर में सफेद गमछा बंधा है और वह बिस्तर पर चढ़कर मौलाना पर प्रहार कर रही है, जबकि एक अन्य महिला पूरे घटनाक्रम को रिकॉर्ड कर रही है।

वीडियो में साफ सुनाई दे रही है महिला की आवाज, जो आक्रोश और पीड़ा से भरी हुई है। वह चिल्लाते हुए कहती है, "तुमने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। अब मेरी बेटी की भी जिंदगी बर्बाद कर रहे हो!" आगे वह विस्तार से आरोप लगाती है कि मौलाना ने उसकी 15 वर्षीय बेटी को 'शक्तिवर्धक कैप्सूल' खिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। वह आरोप लगाती है, "पिछले पाँच महीने से तूने मेरा जीना हराम कर दिया है... मेरे बच्चों पर बुरी नजर डाल रहा है। मेरे पास सबूत है।" वीडियो में मौलाना इन आरोपों का खंडन करता नजर आता है, जिसके जवाब में पीछे से आवाज आती है, "अगर तूने गलत नहीं किया है, तो इतनी रात को यहाँ आने की क्या जरूरत थी?"

इस वीडियो को सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय गौ रक्षा वाहिनी के प्रदेश प्रभारी सर्वेश कुमार सिंह ने साझा किया है। उन्होंने इसके साथ अमेठी के पुलिस अधीक्षक समेत अन्य अधिकारियों से त्वरित कार्रवाई की मांग की है। श्री सिंह ने दावा किया है कि मौलाना के खिलाफ पहले भी कुड़वार थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी। उन्होंने न सिर्फ इस मामले में कड़ी कार्रवाई, बल्कि राज्य के सभी मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की नियमित पुलिस जांच की भी मांग उठाई है।

जामो थाने के थाना प्रभारी मनोज सिंह ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद मामला संज्ञान में लिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस का कहना है कि वीडियो में दिख रही महिलाओं की पहचान की जा रही है और सभी पक्षों से पूछताछ की जा रही है। जांच के बाद ही संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। हालाँकि, न्यूज रिपोर्ट इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करती है।

यह घटना सिर्फ एक हिंसक विडियो से कहीं आगे की कहानी कहती है। यह एक ऐसी माँ की चीख है, जिसके आरोप, अगर सही साबित होते हैं, तो किसी भी संवेदनशील समाज के लिए गहरा सदमा हैं। वहीं, दूसरी ओर, आरोपी के रूप में चिन्हित व्यक्ति के अधिकार और कानून के समक्ष न्याय की प्रक्रिया भी उतनी ही जरूरी है।

सवाल यह उठता है कि आखिर इस पूरी स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है? क्या केवल आरोपी व्यक्ति? या फिर वह व्यवस्था जो ऐसे गंभीर आरोपों (अगर पहले से दर्ज थे) पर त्वरित कार्रवाई में विफल रही? क्या समाज का वह तबका जो ऐसे मामलों को दबाने या 'समझौता' कराने पर तुला रहता है? और क्या शैक्षणिक संस्थानों, चाहे वे मदरसे हों या कोई और स्कूल, की नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे अपने यहाँ पढ़ाने वाले हर व्यक्ति की पृष्ठभूमि की पूरी जांच-परख करें और बच्चों के लिए एक सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करें?

यह घटना एक बार फिर उस सामूहिक जिम्मेदारी की ओर इशारा करती है जहाँ केवल कानून-व्यवस्था का प्रश्न ही नहीं, बल्कि सामाजिक नैतिकता, संस्थागत जवाबदेही और नागरिक सजगता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। पुलिस की जांच इस मामले के तथ्यों पर रोशनी डालेगी, लेकिन समाज को भी आत्ममंथन करने की जरूरत है कि क्या हम अपने सबसे कमजोर और संवेदनशील वर्ग बच्चों को सुरक्षा और न्याय दिलाने में वास्तव में सक्षम हैं।

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