Tue, 16 Dec 2025 13:30:36 - By : Palak Yadav
अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य शिखर पर ध्वजारोहण के बाद अब मंदिर परिसर को और अधिक भव्य और आकर्षक स्वरूप देने की तैयारियां तेज हो गई हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा पूरक मंदिरों और अन्य महत्वपूर्ण संरचनाओं को रात में विशेष रूप से दर्शनीय बनाने के लिए फसाड लाइटिंग को स्थायी रूप से सज्जित करने की योजना को अमल में लाया जा रहा है। इस योजना के तहत मंदिर की वास्तुकला और शिल्प सौंदर्य को प्रकाश के माध्यम से उभारने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ताकि श्रद्धालुओं को दिन के साथ साथ रात्रि में भी दिव्य अनुभव मिल सके।
इस कार्य की शुरुआत जनवरी माह के पहले सप्ताह से होने जा रही है और इसके पूर्ण होने में लगभग छह माह का समय लगेगा। जून तक मुख्य शिखर के साथ नृत्य मंडप रंग मंडप गुह्य मंडप भजन और कीर्तन मंडप भी आकर्षक प्रकाश से जगमगाते नजर आएंगे। इसके लिए विभिन्न स्थानों पर अलग अलग क्षमता के आधुनिक विद्युत उपकरण और लाइटें लगाई जाएंगी। ये लाइटें इस तरह से डिजाइन की जाएंगी कि मंदिर के शिखरों और भवनों की नक्काशी और संरचना रंग बिरंगे प्रकाश में और अधिक उभर कर सामने आए।
योजना के अनुसार अलग अलग लोकेशन पर अलग क्षमता के बल्ब लगाए जाएंगे जो मंदिर परिसर को संतुलित और सौम्य रोशनी से आलोकित करेंगे। इससे रात के समय मंदिर की भव्यता कई गुना बढ़ जाएगी और इसकी पहचान दूर से ही स्पष्ट हो सकेगी। हाल ही में हुई श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में इस कार्य को शुरू करने की स्वीकृति दी गई थी। इस परियोजना की जिम्मेदारी हैवेल्स कंपनी को सौंपी गई है। फसाड लाइटें मुख्य रूप से शिखरों के समीप नीचे की दिशा में लगाई जाएंगी ताकि संरचनाओं का स्वरूप स्पष्ट रूप से दिखाई दे। इसके साथ ही परकोटे में भी इसी प्रकार की लाइटिंग की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार कंपनी जनवरी के पहले सप्ताह में ही लाइटिंग से जुड़ी सामग्री की खेप मंदिर परिसर भेजेगी और इसके साथ ही कारीगर भी अयोध्या पहुंच जाएंगे। राम मंदिर से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि जनवरी से फसाड लाइटिंग का कार्य विधिवत शुरू हो जाएगा। फसाड लाइटिंग में किसी भवन के बाहरी हिस्से को इस प्रकार प्रकाशित किया जाता है कि उसकी वास्तुकला और सुंदरता रात में और अधिक निखर कर सामने आए। इसमें खंभों दीवारों और मेहराबों को उभारने के लिए विशेष तकनीकों का उपयोग किया जाता है जिससे इमारत की एक अलग पहचान बनती है और श्रद्धालुओं को अलौकिक अनुभूति होती है।