17 छात्राओं के यौन शोषण मामले में आरोपी बाबा चैतन्यानंद आगरा से हुआ, गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने 17 छात्राओं के यौन शोषण मामले में फरार आरोपी बाबा चैतन्यानंद सरस्वती को आगरा के एक होटल से गिरफ्तार किया।

Mon, 29 Sep 2025 11:43:10 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

आगरा: देश की राजधानी दिल्ली स्थित एक आश्रम में 17 छात्राओं के यौन शोषण के मामले में फरार चल रहा आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ स्वामी पार्थ सारथी आखिरकार दिल्ली पुलिस के शिकंजे में आ गया। शनिवार शाम वह आगरा के ताजगंज क्षेत्र स्थित होटल द फर्स्ट में कमरा नंबर 101 में ठहरा था, जहां से उसे रविवार सुबह पुलिस टीम ने नाटकीय अंदाज में गिरफ्तार किया। होटल पहुंचने के लगभग 11 घंटे बाद ही पुलिस ने दबिश देकर कार्रवाई पूरी की।

होटल कर्मचारियों के अनुसार, आरोपी ने आते ही हाउसकीपिंग स्टाफ को सख्त हिदायत दी थी कि उसकी अनुमति के बिना कोई भी कमरे में प्रवेश न करे। यहां तक कि उसने यह शर्त रखी थी कि जो व्यक्ति स्नान कर साफ-सुथरा न हो, वह उसके कमरे में न आए और कमरे में प्रवेश से पहले चप्पल बाहर उतारना अनिवार्य होगा। इन निर्देशों के कारण होटल का कोई भी कर्मचारी उसके कमरे में नहीं गया।

सूत्रों से जानकारी मिली है, कि होटल में ठहरने के बावजूद आरोपी अपने टैक्सी चालक टीटू के लगातार संपर्क में था। शनिवार रात उसने फलाहार और व्रत का भोजन मंगाने के लिए चालक को फोन किया, जिसके बाद नजदीकी रेस्तरां का कर्मचारी देवा खाना लेकर होटल पहुंचा। रात करीब आठ बजे आलू का भोजन भेजा गया और एक घंटे बाद कुट्टू की पूरी और सब्जी पहुंचाई गई। इसके बाद कोई कॉल नहीं आया। होटल स्टाफ का कहना है कि इस भोजन का भुगतान भी नहीं किया गया।

होटल कर्मियों के मुताबिक, आरोपी को कमरा दिलाने में उसके सहयोगी कौशल और चालक टीटू ने मदद की थी। गिरफ्तारी के बाद दोनों ने अपने फोन बंद कर लिए। इतना ही नहीं, होटल का पूरा भुगतान भी स्वामी के सहयोगी पार्थ सारथी ने नहीं किया। जब कर्मचारियों ने पैसे मांगने का प्रयास किया तो पुलिसकर्मियों ने कहा कि रकम चाहिए तो दिल्ली जाकर लेनी होगी।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, चैतन्यानंद पर प्राथमिकी दर्ज होने के बाद 4 अगस्त को ही दिल्ली से फरार हो गया था। इस दौरान उसने अपने खातों से 50 लाख रुपये से अधिक की राशि भी निकाली। अधिकारियों ने बताया कि खाते खोलने के लिए उसने अलग-अलग विवरण वाले दस्तावेज जमा किए थे।

अदालत में पेशी के दौरान आरोपी के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को मधुमेह और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके फोन, आईपैड और निजी सामान जब्त कर लिया है और उन्हें परेशान करने के लिए पुलिस हिरासत में भेजा जा रहा है। हालांकि, पीड़िताओं की ओर से पेश वकीलों ने स्पष्ट कहा कि आरोपी का सामना गवाहों और डिजिटल साक्ष्यों से कराना आवश्यक है, इसलिए पुलिस हिरासत जरूरी है।

पीड़िताओं के वकील ने अदालत में यह भी बताया कि एक गवाह ने खुलकर कहा है कि यदि उसने शिकायत की तो उसे उठा लिया जाएगा। ऐसे में जांच के शुरुआती चरण में साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ का खतरा बना हुआ है। इसके अलावा धोखाधड़ी के एक और मामले में आरोपी की अग्रिम जमानत पहले ही खारिज हो चुकी है।

62 वर्षीय चैतन्यानंद का विवादों से पुराना नाता रहा है। उस पर पहली बार 42 वर्ष की उम्र में मामला दर्ज हुआ था। उसने शिकागो यूनिवर्सिटी से एमबीए और पीएचडी करने का दावा किया है। खुद को दार्शनिक, लेखक और प्रोफेसर बताने वाले स्वामी ने 28 किताबें और 143 रिसर्च पेपर लिखने का दावा किया है। उसकी किताब फॉरगेट क्लासरूम लर्निंग के पहले पृष्ठ पर एप्पल संस्थापक स्टीव जॉब्स का हवाला तक छापा गया है। इतना ही नहीं, उसने यह दावा भी किया कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उनके चुनाव प्रचार के दौरान उनकी पुस्तक ट्रांसफॉर्मिंग पर्सनैलिटी का कई बार जिक्र किया था।

हकीकत यह है कि खुद को विद्वान और विचारक के रूप में प्रस्तुत करने वाले इस बाबा की असलियत अब सामने आ चुकी है। पीड़ित छात्राओं के बयान, गवाहों की गवाही और पुलिस की कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि मामला बेहद गंभीर है। फिलहाल आरोपी को दिल्ली पुलिस ने न्यायालय में पेश कर रिमांड पर लिया है और आगे की पूछताछ जारी है।

यह गिरफ्तारी न सिर्फ 17 पीड़ित छात्राओं के लिए न्याय की उम्मीद जगाती है, बल्कि यह भी संदेश देती है कि कितने भी प्रभावशाली और पढ़े-लिखे दिखने वाले अपराधी कानून के शिकंजे से बच नहीं सकते।

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