बागपत में कन्या सुमंगला योजना से हजारों बेटियां लाभांवित, अगले चरण का सत्यापन शुरू

बागपत में कन्या सुमंगला योजना से 18911 बेटियां लाभांवित हैं, तीसरे बच्चे के जन्म पर लाभ रोकने के लिए सत्यापन शुरू।

Sun, 07 Dec 2025 15:59:51 - By : SUNAINA TIWARI

बागपत जिले में कन्या सुमंगला योजना का लाभ बड़ी संख्या में बेटियों तक पहुंच रहा है। जिले की 18911 बेटियां इस योजना से जुड़ी हुई हैं और चरणबद्ध तरीके से उनके बैंक खातों में सहायता राशि जमा की जा रही है। यह योजना बेटियों के जन्म से लेकर उनकी शिक्षा तक आर्थिक सहयोग प्रदान करने पर केंद्रित है, लेकिन इसके लिए निर्धारित मानक का पालन करना अनिवार्य है। पात्रता के अनुसार किसी भी बेटी को यह लाभ तभी मिलता है जब वह दो से अधिक भाई बहन वाली परिवार संरचना में न हो।

अब योजना के अगले चरण की तैयारी शुरू हो गई है। जिले में 13120 बेटियों के परिवारों का सत्यापन किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि योजना में शामिल होने के बाद परिवार में तीसरे भाई बहन का जन्म तो नहीं हुआ है। सत्यापन के दौरान यदि किसी परिवार में दो से अधिक संतानों का मामला सामने आता है तो संबंधित बेटी को आगे इस योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा।

कन्या सुमंगला योजना के तहत हर पात्र बेटी को छह चरणों में कुल 25 हजार रुपये प्रदान किए जाते हैं। यह राशि सीधे बैंक खाते में भेजी जाती है। पहला हस्तांतरण जन्म के समय, दूसरा एक वर्ष के भीतर सभी टीकाकरण पूरे होने पर दिया जाता है। तीसरे चरण का भुगतान कक्षा एक में प्रवेश लेते समय मिलता है। इसके बाद कक्षा छह, कक्षा नौ में प्रवेश और उच्चतर शिक्षा जारी रखने पर शेष किस्तें प्रदान की जाती हैं।

बागपत में ग्रामीण क्षेत्र की 5444 और शहरी क्षेत्र की 7676 बेटियों को अगले चरण का भुगतान देने की तैयारी है। अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया तभी आगे बढ़ाई जाएगी जब सत्यापन पूरा हो जाएगा। महिला कल्याण विभाग की सामाजिक कार्यकर्ता रेनू ने बताया कि योजना का उद्देश्य परिवार नियोजन और बेटियों की शिक्षा को बढ़ावा देना है। इसलिए पात्रता मानकों का पालन जरूरी है। यदि किसी परिवार में दो से अधिक संतानें पाई जाती हैं तो संबंधित बेटी को अगले चरण का लाभ नहीं मिल पाएगा।

अधिकारी घर घर जाकर परिवारों से जानकारी एकत्र करने और आवश्यक दस्तावेजों की जांच में लगे हैं। विभाग का कहना है कि सत्यापन का यह कदम योजना की पारदर्शिता और लक्ष्य निर्धारण के लिए जरूरी है ताकि वास्तव में पात्र बेटियों को ही इसका लाभ मिलता रहे।

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