Mon, 06 Oct 2025 11:20:01 - By : Garima Mishra
भदोही का कालीन उद्योग इस समय गंभीर संकट का सामना कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद उद्योग का पहिया लगभग थम सा गया है। कई कंपनियाँ सीमित उत्पादन कर रही हैं, लेकिन अधिकांश प्रतिष्ठानों के शटर बंद हो चुके हैं। इस फैसले ने बुनकरों और मजदूरों की आजीविका पर भी गंभीर प्रभाव डाला है।
सात अगस्त को 25 प्रतिशत टैरिफ लागू होने के बाद, निर्यातकों ने घाटा सहते हुए 21 अगस्त तक लगभग एक हजार करोड़ रुपये के माल का शिपमेंट किया। इसके बावजूद, निर्यातक प्रतिष्ठानों के गोदामों में 500 करोड़ रुपये से अधिक का माल डंप हो गया है। इस स्थिति ने उद्योग के समक्ष नई चुनौतियाँ पैदा कर दी हैं और आर्थिक दबाव को और बढ़ा दिया है।
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए, न तो टैरिफ में कमी की कोई संभावना नजर आ रही है और न ही सरकार से किसी प्रकार का सहायता मिलने की उम्मीद है। ऐसे में उद्योग की नजरें 11 अक्टूबर से शुरू होने जा रहे भदोही कालीन मेले पर टिकी हुई हैं। यदि यह मेला सफल रहा, तो उद्योग पुनः गति पकड़ सकता है, अन्यथा संकट से उबरना कठिन हो जाएगा।
कालीन उद्योग भदोही की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल स्थानीय व्यापार और उत्पादन को सशक्त बनाता है, बल्कि लाखों बुनकरों और मजदूरों को रोजगार भी प्रदान करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि टैरिफ में कोई कमी नहीं आती है, तो आने वाले समय में कई कंपनियों को बंद होना पड़ सकता है, जिससे उद्योग और इसके श्रमिकों को गंभीर नुकसान होगा।
उद्योग के लोग मेले से उम्मीद लगाए हुए हैं कि इससे बिक्री बढ़ेगी और वैश्विक बाजार में भदोही कालीन की छवि मजबूत होगी। इस अवसर का लाभ उठाने के लिए सभी stakeholders को एकजुट होकर काम करना होगा। फिलहाल उद्योग संकट में है, लेकिन मेले की सफलता इसे पुनर्जीवित करने की संभावनाएँ जगा रही है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार होगा और भदोही का कालीन उद्योग फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो सकेगा।