Tue, 16 Dec 2025 14:52:52 - By : Palak Yadav
काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर में आरएसएस भवन संचालन से जुड़े मामले में वाराणसी न्यायालय में सुनवाई जारी है। इस प्रकरण की सुनवाई सिविल जज जूनियर डिवीजन की अदालत में हुई, जिसमें विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कुलपति का नाम प्रतिवादी सूची से हटाने के लिए आवेदन दाखिल किया गया। विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने अदालत में यह भी अनुरोध किया कि चार दिसंबर को पारित आदेश को वापस लिया जाए। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए आगामी वर्ष की अट्ठाइस जनवरी की तिथि निर्धारित की है। इस दौरान बीएचयू वाणिज्य संकाय के सहायक प्रोफेसर डॉ अवधेश सिंह ने भी लगभग तीस पृष्ठ का प्रार्थना पत्र दाखिल करते हुए इस वाद को खारिज करने की मांग की। उन्होंने अपने आवेदन में कहा कि वादी द्वारा छात्र संघ के गठन से जुड़ी बातों को छोड़कर अन्य सभी आरोप केवल सामान्य दावे हैं, जिनमें किसी ठोस या विशिष्ट घटना का उल्लेख नहीं किया गया है, इसलिए यह वाद न्यायिक प्रक्रिया के योग्य नहीं है।
इस मामले की शुरुआत एक जुलाई दो हजार तेईस को हुई थी, जब प्रमील पांडे की ओर से वाराणसी न्यायालय में वाद दाखिल किया गया। वादी का कहना है कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर में देश की आजादी से पहले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए भूमि उपलब्ध कराई गई थी। उनके अनुसार महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की पहल पर वर्ष उन्नीस सौ इकतीस में बीएचयू परिसर में आरएसएस की शाखा प्रारंभ हुई थी और वर्ष उन्नीस सौ सैंतीस से पहले दो कमरों का संघ भवन भी बनवाया गया था, जिसे उस समय के कुलपति राजा ज्वाला प्रसाद द्वारा निर्मित कराया गया। वादी का दावा है कि आपातकाल के दौरान वर्ष उन्नीस सौ छिहत्तर में तत्कालीन कुलपति कालूलाल श्रीमाली के कार्यकाल में इस भवन को आधी रात में ध्वस्त करा दिया गया और संघ से जुड़ी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई। वर्तमान में यह स्थल संघ स्टेडियम के नाम से जाना जाता है। वादी की मांग है कि जिस भूमि पर पहले से स्वीकृति थी, वहां पुनः संघ के संचालन की अनुमति दी जाए। फिलहाल यह पूरा मामला न्यायालय में विचाराधीन है और सभी पक्ष अगली सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं।