बीएचयू पत्रकारिता विभाग में परीक्षा अनियमितताएं, बिना मिड टर्म अंक दिए छात्रों को

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में परीक्षा अनियमितताएं उजागर हुई हैं, शिक्षकों ने बिना मिड टर्म परीक्षा अंक दिए।

Sat, 27 Sep 2025 11:51:28 - By : Garima Mishra

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में परीक्षा प्रणाली से जुड़ी गंभीर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। आरटीआई के माध्यम से पता चला कि शिक्षकों ने बिना मिड टर्म परीक्षा कराए ही छात्रों को अंक प्रदान कर दिए। इस वजह से 2022-23 सत्र के सैकड़ों छात्रों का शैक्षणिक नुकसान हुआ।

जानकारी के अनुसार विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ज्ञानप्रकाश मिश्र द्वारा मांगी गई आरटीआई में यह तथ्य उजागर हुआ कि कई विषयों में निर्धारित नियमों का पालन नहीं किया गया। ओवरसाइट कमेटी की जांच में पाया गया कि एमसी-105 कंप्यूटर एप्लीकेशन प्रैक्टिकल पेपर के सत्रीय अंक एक शिक्षक ने समय पर जमा नहीं किए। नियमानुसार 21 नवंबर 2023 तक अंक जमा करने का आदेश था, लेकिन पालन न होने पर 70 अंकों को यूनिटरी पद्धति से 30 अंकों में बदलकर अंक दिए गए।

इसी तरह, एक अन्य शिक्षक ने एमसी-104 के अंक जमा करने में देर की और पीजीडीजे-03 हिंदी पत्रकारिता विषय के अंक प्रस्तुत करने में विफल रहे। इस पर कई बार नोटिस जारी किए गए, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि एमसी-302 और एमसी-303 ऑनलाइन जर्नलिज्म जैसे व्यावहारिक विषयों की परीक्षाओं को दोबारा कराने की आवश्यकता है क्योंकि इनके सत्रीय अंक भी समय पर नहीं जोड़े गए।

ओवरसाइट कमेटी के अध्यक्ष और कला संकाय के वरिष्ठ प्रोफेसर एमआर मेहता ने माना कि बिना मिड टर्म परीक्षा के अंक देना विश्वविद्यालय के अध्यादेश का उल्लंघन है। कमेटी ने सिफारिश की कि दोषी शिक्षकों से जिम्मेदारी वापस ली जाए और पेपर सेटिंग का कार्य एमजीकेवीपी के डॉ. नागेंद्र कुमार सिंह तथा डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय को सौंपा जाए।

इसके अलावा 20 नवंबर 2023 को आयोजित मॉडरेटर्स बोर्ड की बैठक में अंकों की समीक्षा और संशोधन प्रक्रिया शुरू की गई। जांच में यह भी सामने आया कि कई पेपरों के प्रश्न और अंक विभागाध्यक्ष द्वारा गलत तरीके से अपलोड किए गए, जिससे परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्न खड़े हुए।

जांच कमेटी में प्रो. एमएस पांडेय, प्रो. सुषमा घिल्डियाल के साथ ही प्रो. अनुराग दवे और डॉ. ज्ञान प्रकाश मिश्र आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल थे। कमेटी ने सुझाव दिया है कि पारदर्शिता और नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए, ताकि भविष्य में छात्रों के हितों को किसी भी तरह की क्षति न पहुंचे।

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