Mon, 15 Dec 2025 11:38:57 - By : Palak Yadav
वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय बीएचयू परिसर में हुए सड़क हादसे में एक छात्र की मौत के बाद पूरे विश्वविद्यालय का माहौल शोक में डूब गया है। इस दुखद घटना के विरोध और दिवंगत छात्र को श्रद्धांजलि देने के लिए रविवार शाम विश्वविद्यालय के छात्रों ने विश्वनाथ मंदिर से मुख्य द्वार सिंहद्वार तक कैंडल मार्च निकाला। बड़ी संख्या में छात्र मोमबत्तियां जलाते हुए शांतिपूर्वक मार्च में शामिल हुए और मौन रखकर अपने साथी छात्र सोनू को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान परिसर में गहरी संवेदना और आक्रोश का माहौल देखने को मिला।
कैंडल मार्च के दौरान छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से परिसर की यातायात और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठाए। छात्रों का कहना था कि बीएचयू परिसर में लगातार हो रहे सड़क हादसे सुरक्षा व्यवस्था में कमी की ओर इशारा करते हैं। उन्होंने मांग की कि रात के समय सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए ताकि छात्रों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। मार्च में शामिल छात्रों ने एक स्वर में कहा कि यह केवल एक हादसा नहीं बल्कि लापरवाही का परिणाम है जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
हिंदी विषय से मास्टर की पढ़ाई पूरी कर चुके छात्र दीपक सिंह ने बताया कि सोनू बीएचयू के फिजिकल एजुकेशन विभाग के छात्र थे और मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले थे। वे विश्वविद्यालय के बिरला सी हॉस्टल में रहते थे। दीपक सिंह के अनुसार 13 दिसंबर की रात करीब 1 बजकर 30 मिनट पर दीक्षांत समारोह से ठीक पहले कुलपति आवास के सामने सोनू की बाइक अचानक अनियंत्रित होकर पेड़ से टकरा गई। टक्कर इतनी तेज थी कि वे गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना के तुरंत बाद उन्हें इलाज के लिए ले जाया गया लेकिन उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।
हादसे की खबर फैलते ही पूरे परिसर में शोक की लहर दौड़ गई। साथी छात्रों ने बताया कि सोनू एक होनहार अनुशासित और मिलनसार छात्र थे। उनकी असमय मौत ने न केवल उनके मित्रों बल्कि पूरे विश्वविद्यालय समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। छात्रों का कहना है कि यदि परिसर में बेहतर रोशनी और यातायात नियंत्रण होता तो शायद इस हादसे को टाला जा सकता था।
कैंडल मार्च के दौरान छात्रों ने प्रशासन से मांग की कि परिसर में पर्याप्त स्ट्रीट लाइट स्पीड ब्रेकर स्पष्ट यातायात संकेतक और रात के समय सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए। छात्रों ने कहा कि सोनू की मौत व्यर्थ नहीं जानी चाहिए और विश्वविद्यालय प्रशासन को इस घटना से सबक लेते हुए ठोस और स्थायी कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में किसी और छात्र को इस तरह अपनी जान न गंवानी पड़े।