Thu, 09 Oct 2025 16:00:36 - By : Garima Mishra
वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय (एमएमवी) की एक छात्रा की हृदयाघात से हुई अचानक मृत्यु ने पूरे विश्वविद्यालय परिसर को शोक में डुबो दिया है। छात्रा की तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद उसे तत्काल चिकित्सा सहायता नहीं मिल पाई, जिसके कारण उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। इस घटना ने परिसर में चिकित्सा सुविधाओं की कमी को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
घटना के बाद महिला महाविद्यालय समेत विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के छात्र-छात्राओं में गहरा आक्रोश और दुख देखा गया। विद्यार्थियों ने प्रशासन से तत्काल कदम उठाने की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों की पुनरावृत्ति न हो। छात्रों का कहना है कि यदि परिसर में प्राथमिक चिकित्सा केंद्र या आपात उपचार की सुविधा उपलब्ध होती, तो छात्रा को बचाया जा सकता था।
बीएचयू के छात्र उत्कर्ष श्रीवास्तव ने कुलपति से अपील की है कि विश्वविद्यालय के सभी संकायों और परिसरों में प्राथमिक चिकित्सा केंद्र स्थापित किए जाएं। उन्होंने विशेष रूप से एमएमवी, वीकेएम, एएमपीजी, डीएवी, वीकेएम और राजीव गांधी दक्षिणी परिसर (आरजीएससी) में आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं सुनिश्चित करने की मांग की है। छात्रों का कहना है कि ऐसे केंद्रों में प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मियों के साथ आवश्यक उपकरण और दवाएं भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
छात्रों ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय में रोजाना हजारों छात्र-छात्राएं उपस्थित रहते हैं और किसी भी समय स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था का अभाव न केवल गंभीर लापरवाही है, बल्कि यह छात्रों की सुरक्षा को भी प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगी, बल्कि इससे भविष्य में ऐसी किसी भी दर्दनाक घटना को रोका जा सकेगा।
इस दुखद घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है और कहा है कि छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। परिसर में अब चर्चा इस बात की है कि इस घटना को चेतावनी के रूप में लेते हुए बीएचयू को अपने चिकित्सा ढांचे को और सशक्त करना चाहिए।