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उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का बड़ा फैसला, UPTET परीक्षा स्थगित, लाखों छात्र प्रभावित

उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का बड़ा फैसला, UPTET परीक्षा स्थगित, लाखों छात्र प्रभावित

उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग ने 29-30 जनवरी को प्रस्तावित UPTET परीक्षा स्थगित की, 15 लाख अभ्यर्थी प्रभावित।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सरकारी शिक्षक बनने का सपना संजोए लाखों युवाओं के लिए मंगलवार का दिन एक बेहद चौंकाने वाली खबर लेकर आया। उत्तर प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं की दिशा और दशा तय करने के लिए गठित 'उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग' (UP Education Service Selection Commission) ने अपनी पहली ही आधिकारिक बैठक में एक ऐसा निर्णय लिया है, जिसने प्रदेश भर के 15 लाख से अधिक अभ्यर्थियों की तैयारियों को एक झटके में रोक दिया है। आयोग के नव-नियुक्त अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रशांत कुमार ने पदभार ग्रहण करने के बाद बुलाई गई अपनी पहली ही उच्च-स्तरीय बैठक में 29 और 30 जनवरी को प्रस्तावित उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET) को अपरिहार्य कारणों से स्थगित करने का फरमान जारी कर दिया है। यह फैसला न केवल प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है, बल्कि उन लाखों छात्रों के लिए भी यह एक बड़ा झटका है जो दिन-रात एक करके इस परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए थे।

मंगलवार को आयोग के मुख्यालय में हुई इस मैराथन बैठक में माहौल काफी गंभीर और निर्णायक रहा। पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार, जो अपनी सख्त कार्यशैली और त्वरित निर्णयों के लिए जाने जाते हैं, ने आयोग की कमान संभालते ही यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वे परीक्षाओं के संचालन में किसी भी प्रकार की कोताही या जल्दबाजी के पक्ष में नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक, अध्यक्ष ने परीक्षा की तैयारियों, सुरक्षा इंतजामों और पारदर्शिता के मानकों की समीक्षा के बाद यह पाया कि 29-30 जनवरी को परीक्षा का आयोजन निष्पक्ष और सुचारू रूप से करा पाना संभव नहीं होगा। यही कारण है कि अभ्यर्थियों के भविष्य और परीक्षा की शुचिता को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने इस बहुप्रतीक्षित परीक्षा को फिलहाल टालने का कड़ा निर्णय लिया। आयोग की तरफ से जारी संकेतों में यह भी कहा गया है कि नई तारीखों का ऐलान जल्दबाजी में नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था को चाक-चौबंद करने के बाद ही किया जाएगा।

इस स्थगन आदेश का सबसे गहरा असर उन 15 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों पर पड़ा है, जो न केवल मानसिक रूप से परीक्षा के लिए तैयार थे, बल्कि कई अभ्यर्थी तो अपने परीक्षा केंद्रों तक पहुँचने के लिए यात्रा की योजनाएं भी बना चुके थे। कड़कड़ाती ठंड के बीच पुस्तकालयों और कोचिंग सेंटरों में अपना पसीना बहा रहे इन युवाओं के लिए यह खबर किसी वज्रपात से कम नहीं है। सोशल मीडिया से लेकर छात्रों के समूहों तक, हर जगह निराशा और अनिश्चितता का माहौल है। अभ्यर्थियों का कहना है कि बार-बार तारीखों का बदलना न केवल उनके मनोबल को तोड़ता है, बल्कि उन पर आर्थिक बोझ भी डालता है। हालांकि, कुछ शिक्षाविदों का मानना है कि नए अध्यक्ष प्रशांत कुमार का यह कदम भविष्य में परीक्षाओं को नकल-विहीन और विवाद-मुक्त बनाने की दिशा में एक ठोस शुरुआत हो सकता है, लेकिन वर्तमान में यह देरी छात्रों के धैर्य की कड़ी परीक्षा ले रही है।

फिलहाल, आयोग ने अभी तक परीक्षा की अगली तारीखों को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, जिससे संशय की स्थिति बरकरार है। आयोग के अधिकारियों ने अपील की है कि अभ्यर्थी केवल आधिकारिक वेबसाइट पर आने वाली सूचनाओं पर ही भरोसा करें और किसी भी तरह की अफवाहों से बचें। यह देखना दिलचस्प होगा कि पुलिस विभाग में अपने कड़े अनुशासन के लिए मशहूर रहे प्रशांत कुमार, शिक्षा सेवा चयन आयोग की चुनौतियों से कैसे निपटते हैं और कब तक प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवाओं को परीक्षा की नई तारीख का तोहफा देते हैं। तब तक के लिए, 29 और 30 जनवरी को होने वाला वह इम्तिहान, जिसका इंतजार पूरा प्रदेश कर रहा था, अब अनिश्चितकाल के लिए फाइलों में बंद हो गया है।

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