Thu, 03 Jul 2025 18:59:13 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: विशेष गैंगस्टर कोर्ट ने गोसाईगंज से बाहुबली विधायक अभय सिंह को बड़ी राहत दी है। पूर्व सांसद धनंजय सिंह द्वारा दायर वह प्रार्थना पत्र, जिसमें उन्होंने वर्ष 2002 के एक पुराने गैंगस्टर एक्ट मामले में अभय सिंह को बतौर आरोपित तलब करने की मांग की थी, उसे अदालत ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है। विशेष न्यायाधीश (गैंगस्टर एक्ट) सर्वजीत कुमार सिंह की अदालत में बुधवार को इस प्रार्थना पत्र पर विस्तृत सुनवाई हुई, जिसमें अभय सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दीनानाथ सिंह और वरुण प्रताप सिंह ने जोरदार और तथ्यपरक पैरवी की। सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि वर्तमान परिस्थितियों में अभय सिंह को इस मुकदमे में आरोपी के रूप में तलब नहीं किया जाएगा। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 8 जुलाई तय की है, जिसमें दोनों पक्षों के बीच बहस के अगले चरण की प्रक्रिया चलेगी।
यह पूरा मामला 4 अक्टूबर 2002 की उस घटना से जुड़ा है, जिसने पूर्वांचल की राजनीति में सनसनी फैला दी थी। बताया जाता है कि उस दिन जौनपुर के तत्कालीन विधायक और पूर्व सांसद धनंजय सिंह वाराणसी के किसी निजी अस्पताल में एक मरीज को देखने के बाद सफारी गाड़ी से जौनपुर लौट रहे थे। जैसे ही उनकी गाड़ी वाराणसी के कैंट थाना क्षेत्र अंतर्गत टकसाल सिनेमा हॉल के पास पहुंची, तभी कथित तौर पर एक बोलेरो गाड़ी में सवार कुछ लोग अचानक आ धमके। धनंजय सिंह के अनुसार, उस गाड़ी से उतरे अभय सिंह और उनके चार से पांच सहयोगियों ने ललकारते हुए उनके काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इस गोलीबारी में न सिर्फ धनंजय सिंह घायल हुए, बल्कि उनके सुरक्षाकर्मी, ड्राइवर और अन्य सहयोगी भी गंभीर रूप से जख्मी हो गए। गोलियों की आवाज से पूरे इलाके में भगदड़ मच गई और चंद मिनटों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने सभी घायलों को इलाज के लिए मलदहिया स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। वहीं, हमलावर घटना के तुरंत बाद फरार हो गए थे।
इस प्रकरण में कैंट थाने में एफआईआर दर्ज की गई, जिसके बाद पुलिस ने संदीप सिंह, संजय रघुवंशी, विनोद सिंह और सतेन्द्र सिंह उर्फ ववलू के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर विधिक कार्यवाही शुरू की। यह केस वर्षों से अदालत में लंबित है। इसी बीच हाल ही में पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने अदालत में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के तहत एक प्रार्थना पत्र दाखिल किया था, जिसमें उन्होंने निवेदन किया था कि अभय सिंह को भी इस मामले में सह-आरोपी बनाया जाए, क्योंकि उनके अनुसार अभय सिंह घटना के समय मुख्य रूप से हमले में शामिल थे। हालांकि, अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करते हुए धनंजय सिंह की इस मांग को अस्वीकार कर दिया और साफ कहा कि अभी उपलब्ध साक्ष्य और तथ्यों के आधार पर अभय सिंह को इस मुकदमे में आरोपी के रूप में तलब करने की आवश्यकता नहीं है।
इस निर्णय के बाद अभय सिंह के राजनीतिक खेमे में संतोष और राहत का माहौल है। समर्थकों का मानना है कि यह निर्णय न्यायसंगत और कानूनी प्रक्रिया के अनुरूप है। वहीं, दूसरी ओर धनंजय सिंह के समर्थकों में इस फैसले को लेकर निराशा है, और अब वे इस निर्णय की समीक्षा करने व उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। चूंकि यह मामला दो प्रभावशाली नेताओं के बीच लंबे समय से चले आ रहे राजनीतिक और व्यक्तिगत संघर्ष का भी प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि पूर्वांचल की राजनीति में ताकत के संतुलन से भी जुड़ा हुआ है।
इस केस की संवेदनशीलता और व्यापक प्रभाव को देखते हुए अगली सुनवाई पर सबकी नजरें टिकी होंगी। 8 जुलाई को होने वाली अगली बहस इस केस की दिशा और संभावित निष्कर्ष को काफी हद तक तय कर सकती है। सामाजिक दृष्टि से भी यह मामला इसलिए अहम है क्योंकि इसमें गैंगस्टर एक्ट जैसे गंभीर कानून का प्रयोग हुआ है, जो सीधे तौर पर आपराधिक पृष्ठभूमि, संगठित अपराध और राजनीति के आपसी समीकरणों से जुड़ता है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अदालत इस मामले में आगे क्या रुख अपनाती है और क्या अभय सिंह को लेकर कोई नई कानूनी परिस्थिति उत्पन्न होती है या नहीं।