दुबई में दाऊद इब्राहिम के सहयोग से कफ सीरप तस्कर शुभम जायसवाल को सुरक्षित आश्रय

दुबई में दाऊद इब्राहिम के गुर्गों द्वारा कफ सीरप तस्कर शुभम जायसवाल को शरण देने का खुलासा हुआ।

Sat, 06 Dec 2025 14:47:24 - By : Palak Yadav

दुबई में कुख्यात कफ सीरप कारोबार से जुड़े शुभम जायसवाल को दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों द्वारा आश्रय दिए जाने का खुलासा होने के बाद जांच एजेंसियों की हलचल तेज हो गई है। इस मामले में कई ऐसे अप्रत्याशित व्यक्तियों की भूमिका भी सामने आ रही है जिनकी संलिप्तता की जांच तेजी से जारी है। बताया जा रहा है कि अंडरवर्ल्ड डान दाऊद इब्राहिम के गुर्गों ने शुभम को दुबई भागने में न केवल मदद की बल्कि वहां उसके लिए सुरक्षित ठिकाना भी तैयार कराया। शुभम लंबे समय से कफ सीरप को तस्करी के माध्यम से कमाई का बड़ा जरिया बना रहा था और यह समझ चुका था कि आगे बढ़ने के लिए इंटरनेशनल नेटवर्क का सहारा लेना ही पड़ेगा।

देश के बाहर कफ सीरप भेजने और तस्करी से हासिल धन को संभालने के लिए उसे ऐसे बाहुबली नेटवर्क की आवश्यकता थी जिनकी विदेशों में मजबूत पकड़ हो। इसी कारण उसने अंतरराष्ट्रीय माफिया के नजदीक पहुंचने की कोशिश की और आखिरकार वह दुबई में अपने लिए सुरक्षित पनाहगाह बनाने में सफल हो गया। कफ सीरप मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद शुभम ने तुरंत परिवार और दो पार्टनरों गौरव जायसवाल और वरुण सिंह के साथ दुबई भागने का निर्णय लिया। माफिया की मदद से वह फिलहाल वहां सुरक्षित रह रहा है और जांच एजेंसियां उसकी गतिविधियों पर लगातार नजर रखे हुए हैं।

पूर्वांचल में दाऊद इब्राहिम से जुड़े नेटवर्क की पकड़ कोई नई बात नहीं है। करीब दो दशक पहले तक इस गिरोह का प्रभाव सरकारी ठेकों, रेशम की तस्करी, कोयला बाजार और रीयल एस्टेट में गहराई तक फैला हुआ था। वाराणसी का एक बिल्डर दाऊद से जुड़े महाराष्ट्र के एक प्रभावशाली राजनेता के संपर्क में रहकर उसके लिए रीयल एस्टेट का काम संभालता था। मुन्ना बजरंगी जैसे अपराधियों की भी इस नेटवर्क पर मजबूत पकड़ थी जो ठेकों और रंगदारी के कारोबार पर हावी थे। इसी गिरोह से जुड़े अमित टाटा ने भी कई बिल्डरों के लिए गैर कानूनी कार्य किए और धीरे धीरे विदेशों में सक्रिय माफिया जगत से संबंध बनाने में सक्षम हो गया।

दुबई, ओमान और सऊदी अरब जैसे देशों में इस गिरोह का प्रभाव वर्षों से स्थापित है। शुभम ने इसी नेटवर्क को साधने के लिए अमित टाटा के साथ संपर्क मजबूत किया और उसके माध्यम से अंतरराष्ट्रीय अपराध जगत में अपनी पकड़ बनाई। वह अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा दुबई में निवेश कर चुका था ताकि वहां अपने लिए स्थायी आर्थिक सुरक्षा बना सके।

इस पूरी कहानी ने यह साफ कर दिया है कि शुभम जायसवाल ने कफ सीरप की तस्करी को केवल धन कमाने का रास्ता नहीं बनाया बल्कि इसे अपनी आपराधिक पहचान मजबूत करने के साधन के रूप में भी इस्तेमाल किया। इस मामले ने पूर्वांचल के लिए एक गंभीर चेतावनी की तरह काम किया है कि कैसे संगठित अपराध से जुड़े लोग कानूनी शिकंजे से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर तक नेटवर्क तैयार कर लेते हैं। जांच एजेंसियां इस मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश में जुट गई हैं और कई अन्य ऐसे चेहरे भी जल्द सामने आ सकते हैं जिनकी भूमिका अब तक छिपी हुई थी।

यह घटनाक्रम एक बार फिर यह याद दिलाता है कि माफिया का नेटवर्क कितना व्यापक और संगठित है और इसे खत्म करने के लिए मजबूत और निरंतर कार्रवाई की आवश्यकता है। इस मामले में आगे की जांच और सख्त कार्रवाई जरूरी है ताकि ऐसे काले धंधों पर रोक लगाई जा सके और अपराधियों को कानून के दायरे में लाया जा सके।

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