Tue, 15 Jul 2025 01:16:48 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
नई दिल्ली/कैलिफोर्निया: अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने के बाद भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की आज धरती पर ऐतिहासिक वापसी हुई। एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा पूरी कर चुके शुभांशु और उनके तीन विदेशी साथी लगभग 22.5 घंटे के लंबे अंतरिक्ष सफर के बाद मंगलवार दोपहर भारतीय समयानुसार करीब 3 बजे कैलिफोर्निया के समुद्री तट पर ड्रैगन कैप्सूल से सुरक्षित उतरे। यह भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय है, जो देश को वैज्ञानिक शक्ति और वैश्विक अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा में और मजबूत करता है।
अंतरिक्ष से लौटने वाले दल में शुभांशु के साथ मिशन कमांडर और अनुभवी अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू शामिल थे। नासा ने आईएसएस से उनकी रवानगी का सीधा प्रसारण किया, जिसमें दिखाया गया कि कैसे चारों अंतरिक्ष यात्री एक-दूसरे को गले लगाकर और हाथ मिलाकर भावनात्मक विदाई के साथ ड्रैगन यान में सवार हुए। शुभांशु ने विदा लेते हुए रविवार को कहा था, “जल्द ही धरती पर मुलाकात होगी,” और अब यह वादा भी पूरा हो गया है।
26 जून को आईएसएस पहुंचे शुभांशु ने इस 18 दिवसीय अंतरिक्ष मिशन में पृथ्वी की कुल 288 बार परिक्रमा की। यह उपलब्धि उन्हें भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री के रूप में राकेश शर्मा की श्रेणी में ला खड़ा करती है। जहां 1984 में राकेश शर्मा ने इतिहास रचा था, वहीं शुभांशु ने भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को आज के युग में एक नया आयाम दिया है।
अंतरिक्ष में शून्य गुरुत्वाकर्षण के दौरान शुभांशु का अनुभव वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बहुमूल्य रहा। उन्होंने अंतरिक्ष में जल के साथ किए गए प्रयोगों और दिलचस्प करतबों को कैमरे में कैद किया। उनके एक वायरल वीडियो में देखा गया कि कैसे हवा में पानी के बुलबुले तैरते हैं। उन्होंने कहा, "यह अनुभव बेहद रोमांचक था। हम लगातार प्रयोगों में व्यस्त रहे, लेकिन जब भी समय मिलता, मैं खिड़की के पास जाकर धरती की तस्वीरें खींचता था।"
शुभांशु की सकुशल वापसी की खबर उनके परिवार के लिए अत्यंत भावुक क्षण रही। परिजनों की आंखें जहां बेसब्री से इस दिन की प्रतीक्षा कर रही थीं, वहीं अब वे गर्व और खुशी से भर उठी हैं। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुभकामनाएं देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, "शुभांशु, आपका स्वागत है। पूरा देश आपके घर वापस आने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।"
यह मिशन केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहा है। इसरो ने एक्सिओम-4 मिशन में भारतीय प्रतिनिधित्व के लिए लगभग ₹550 करोड़ रुपये का निवेश किया, जो भारत के आगामी ‘गगनयान’ मिशन के लिए एक मील का पत्थर है। वर्ष 2027 में प्रस्तावित मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान की सफलता के लिए शुभांशु का यह अनुभव अमूल्य सिद्ध होगा।
धरती पर वापसी के बाद शुभांशु और उनके साथी सात दिनों की विशेष पुनर्वास प्रक्रिया से गुजरेंगे ताकि उनका शरीर दोबारा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुरूप अनुकूल हो सके। यह प्रक्रिया वैज्ञानिकों की निगरानी में होगी और सुनिश्चित करेगी कि अंतरिक्ष के वजन हीन वातावरण से लौटे शरीर की संपूर्ण क्रिया शीलता सामान्य हो सके।
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा एक वैज्ञानिक उपलब्धि भर नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास और अंतरिक्ष में बढ़ती क्षमताओं की कहानी है। वे न केवल आईएसएस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने, बल्कि उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि भारत अब अंतरिक्ष अन्वेषण की अग्रिम पंक्ति में खड़ा है। शुभांशु की वापसी सिर्फ एक यात्री का लौटना नहीं, बल्कि एक नए भारत की उड़ान का संकेत है। वह भारत, जो अब अंतरिक्ष को भी अपनी सीमा नहीं मानता।