काशी विद्यापीठ दीक्षांत समारोह में अव्यवस्था, राज्यपाल के जाते ही काटी गई बिजली

काशी विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल के जाते ही बिजली काटी गई, जिससे छात्रों को अंधेरे में तस्वीरें लेनी पड़ीं।

Thu, 09 Oct 2025 10:53:14 - By : Garima Mishra

वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का दीक्षांत समारोह इस बार रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया गया, लेकिन कार्यक्रम के अंत में घटी एक घटना ने समारोह की गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए। राज्यपाल और कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल के जाते ही सभागार की बिजली काट दी गई, जिससे मेधावी छात्र-छात्राओं को अपने पदक और डिग्री की तस्वीरें अंधेरे में मोबाइल के फ्लैश की रोशनी में लेनी पड़ीं। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति असहज हो गया।

बुधवार को सुबह 9:50 बजे से शुरू होकर दोपहर लगभग 1 बजे तक चला यह समारोह कुलाधिपति की उपस्थिति में गरिमामय तरीके से संपन्न हुआ। लेकिन जैसे ही वे सभागार से बाहर निकलीं, अचानक पूरा हॉल अंधेरे में डूब गया। छात्रों को लगा कि बिजली गई है, लेकिन थोड़ी देर में पता चला कि सप्लाई तकनीकी खराबी से नहीं, बल्कि जानबूझकर काटी गई थी।

सूत्रों के अनुसार, आयोजन प्रबंधन की ओर से कहा गया कि कार्यक्रम का समय समाप्त हो चुका था और इसी कारण बिजली सप्लाई रोक दी गई। साथ ही सभागार के सभी गेट भी बंद करा दिए गए ताकि कोई भी छात्र या अतिथि मंच या परिसर में जाकर फोटो न खींच सके। इससे छात्रों को बाहर निकालने की जल्दबाजी में अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई।

यह दृश्य विशेष रूप से निराशाजनक इसलिए रहा क्योंकि यह पहला अवसर था जब काशी विद्यापीठ ने परिसर से बाहर दीक्षांत समारोह आयोजित किया था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर को इसलिए चुना था ताकि छात्रों को एक विशिष्ट स्थल पर सम्मान प्राप्त करने का अनुभव मिल सके। कुलपति प्रोफेसर ए. के. त्यागी ने कहा था कि इससे न केवल खर्च में बचत हुई बल्कि छात्रों को नए अनुभव का अवसर मिला। हालांकि समारोह के अंत में जो कुछ हुआ, उसने छात्रों की खुशी को क्षण भर में मायूसी में बदल दिया।

एक स्वर्ण पदक प्राप्त छात्रा ने कहा कि जब हम मंच के पास तस्वीर खिंचवाने पहुंचे, तो अचानक पूरा हॉल अंधेरे में चला गया। पहले लगा कि बिजली चली गई है, लेकिन बाद में पता चला कि सप्लाई खुद कटवा दी गई है। यह जानकर बहुत दुख हुआ कि जिन छात्रों के लिए यह दिन इतना खास था, उन्हें अंधेरे में टॉर्च की रोशनी में तस्वीरें लेनी पड़ीं।

कार्यक्रम में मौजूद कई शिक्षकों और विद्यार्थियों ने सवाल उठाया कि क्या यह आयोजन सिर्फ राज्यपाल की उपस्थिति तक ही सीमित था। छात्रों का कहना था कि उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण क्षण को अचानक समाप्त कर देना उचित नहीं था। वहीं, कई उपस्थित लोग यह भी कह रहे थे कि यह प्रबंधन की गंभीर लापरवाही थी, जिसने समारोह की प्रतिष्ठा को धूमिल किया।

दीक्षांत समारोह का उद्देश्य विद्यार्थियों को सम्मान और प्रेरणा देना था, लेकिन बिजली कटने और दरवाजे बंद होने जैसी घटनाओं ने इस उद्देश्य पर प्रश्नचिह्न लगा दिया। समारोह समाप्त होने के बाद भी इस पूरे मामले को लेकर छात्रों और शिक्षकों में नाराजगी का माहौल बना रहा।

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