Sat, 29 Nov 2025 11:13:48 - By : Shriti Chatterjee
वाराणसी के प्राचीन मां विशालाक्षी शक्तिपीठ में कुंभाभिषेक अनुष्ठान का शुभारंभ शुक्रवार को वास्तुपूजा और नवग्रह पूजा के साथ हुआ। तमिलनाडु से आए 11 ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्र उच्चारण के बीच पूजन की प्रक्रिया शुरू की। पूरा परिसर मंत्रध्वनि से गूंज उठा और वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा की गहरी अनुभूति दिखाई दी। प्रत्येक बारह वर्ष में होने वाला यह विशिष्ट धार्मिक अनुष्ठान इस बार नौवां आयोजन है और इसका मुख्य कुंभाभिषेक एक दिसंबर को होगा। उस दिन संगम के पवित्र जल से मंदिर शिखर का अभिषेक किया जाएगा और नई प्रतिमाओं की स्थापना भी की जाएगी।
कुंभाभिषेक के लिए तमिलनाडु से आए वैदिक विद्वान और ब्राह्मण पुजारियों का दल बुधवार रात वाराणसी पहुंच गया था। गुरुवार को पूरा दल शक्तिपीठ में एकत्र हुआ और अनुष्ठान की सफलता के लिए विघ्न विनाशक गणपति का पूजन कर आशीर्वाद लिया। शुक्रवार को पहले दिन वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा और अनुष्ठान की औपचारिक शुरुआत की गई। मुख्य दिन एक दिसंबर के लिए तैयारियां लगातार जारी हैं और मंदिर परिसर में आध्यात्मिक वातावरण और भी प्रबल होता जा रहा है।
अनुष्ठानों की श्रृंखला शनिवार को दोपहर तीन बजे पहले याज्ञशाला के आयोजन के साथ आगे बढ़ेगी। यज्ञ शाम सात बजे तक चलेगा और इसके बाद आरती होगी। रविवार को सुबह नौ बजे से दूसरी याज्ञशाला में हवन और यज्ञ शुरू किए जाएंगे, जबकि शाम चार बजकर पंद्रह मिनट पर पूजा और आरती आयोजित होगी। अंतिम दिन यानी एक दिसंबर को सुबह सात से नौ बजे तक यज्ञ होगा। इसके बाद साढ़े नौ बजे से मंदिर परिक्रमा और पूजन शुरू होगा। कुंभाभिषेक का मुख्य अनुष्ठान सुबह दस बजे से दस बजकर बीस मिनट के बीच सम्पन्न किया जाएगा जिसमें संगम जल से मंदिर के शिखर का अभिषेक कर उस पर छह स्वर्ण कलश स्थापित किए जाएंगे।
कुंभाभिषेक के साथ ही मंदिर के गर्भगृह में दो अन्य शक्तिपीठों की देवियों मां कामाक्षी और मां मीनाक्षी की प्रतिमाएं भी स्थापित की जाएंगी। इसके अतिरिक्त भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की प्रतिमाएं भी गर्भगृह में स्थान प्राप्त करेंगी। इस पूरे आयोजन में गाणपत्य पूजन और यज्ञ की प्रमुख भूमिका रहेगी जो अनुष्ठानों की पवित्रता को पूर्णता प्रदान करेगा। मंदिर के महंत पंडित राजनाथ तिवारी ने बताया कि कुंभाभिषेक बारह वर्ष में एक बार होने वाला महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है जिसमें मंदिर का विधिवत जीर्णोद्धार, रंगरोगन और धार्मिक प्रतिष्ठा का नवीनीकरण किया जाता है। इस वर्ष यह अनुष्ठान श्रीकाशी नाट्टकोट्टई नगरम क्षेत्रम मैनेजिंग सोसाइटी के तत्वावधान में किया जा रहा है।