वाराणसी: PMO कार्यालय में हुई जनसुनवाई, विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने सुनी लोगों की फरियाद

वाराणसी में पीएम के संसदीय कार्यालय में जनसुनवाई हुई, विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने लोगों की शिकायतें सुनीं और अधिकारियों को निर्देश दिए।

Wed, 08 Oct 2025 19:51:42 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: गुरुधाम स्थित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय जनसंपर्क कार्यालय में बुधवार का दिन कुछ अलग था, न जनता थकी थी अपनी बात कहने से, न जनप्रतिनिधि थके थे सुनने से। कैंट विधानसभा क्षेत्र के विधायक सौरभ श्रीवास्तव के नेतृत्व में हुई जनसुनवाई एक बार फिर साबित कर गई कि जब राजनीति सेवा का माध्यम बन जाए, तो आम लोगों की आवाज़ सत्ता के गलियारों तक पहुँचने में देर नहीं लगती।

सुबह 11 बजे से आरंभ होकर शाम 4:30 बजे तक चली इस लंबी जनसुनवाई में क्षेत्र के कोने-कोने से आए नागरिकों ने अपने दुख-दर्द रखे। हर फरियाद, हर याचना के पीछे एक उम्मीद थी। कि उनकी बात सुनी जाएगी, और इस उम्मीद का केंद्र थे विधायक सौरभ श्रीवास्तव। भीड़ में कोई वृद्ध अपनी पेंशन के लिए परेशान था, कोई महिला अपने परिवार की त्रासदी के बाद आर्थिक मदद की आस में थी, तो कहीं बिजली और पानी की समस्याएं लोगों को परेशान कर रही थीं।

लेकिन जो सबसे खास रहा, वह था विधायक का संवेदनशील और सक्रिय रवैया। हर शिकायत को वे ध्यानपूर्वक सुनते, नाम और विवरण नोट करवाते, फिर तुरंत संबंधित अधिकारी को फोन लगवाकर निर्देश देते। इस दृढ़ लेकिन मानवीय शैली ने वहां मौजूद हर व्यक्ति के मन में यह विश्वास भर दिया कि शासन और जनता के बीच अब कोई दीवार नहीं रही।

जनसुनवाई के दौरान मीरबाग, सिगरा निवासी मनीष मौर्य ने बताया कि उनके इलाके में भूमिगत बिजली के जंक्शन बॉक्स के ढक्कन टूट चुके हैं, जिससे किसी भी समय गंभीर हादसा हो सकता है। विधायक श्रीवास्तव ने बिना विलंब किए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PUVVNL) के एसई को फोन कर तत्काल मौके पर टीम भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, "बिजली व्यवस्था जनता की सुरक्षा से जुड़ा विषय है, इसमें किसी प्रकार की लापरवाही स्वीकार्य नहीं है।"

वहीं, गोलाघाट, रामनगर निवासी नीतू देवी की पीड़ा ने सबका मन द्रवित कर दिया। उन्होंने बताया कि पति की हत्या के बाद से परिवार आर्थिक तंगी में है, लेकिन अब तक कोई सरकारी सहायता नहीं मिली। विधायक ने उनकी बात ध्यान से सुनी और जिलाधिकारी वाराणसी को निर्देश दिया कि मामले की जांच कर यथाशीघ्र आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा, "शासन की योजनाएं तभी सार्थक हैं, जब उनका लाभ सबसे ज़रूरतमंद तक पहुंचे।"

दुर्गाकुंड निवासी आनंद श्रीवास्तव ने पेयजल पाइपलाइन में लगातार लीकेज की शिकायत की। विधायक ने तुरंत महाप्रबंधक, जलकल को आदेश दिया कि निरीक्षण कर मरम्मत कार्य को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर दो दिन में समस्या हल नहीं होती तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

सोनारपुरा निवासी शिप्रा बनर्जी ने अपने फ्लैट के ऊपर हो रहे अवैध निर्माण की शिकायत की। विधायक ने वाराणसी विकास प्राधिकरण के जोनल अधिकारी को जांच कर तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए और कहा कि "शहर की सुंदरता और सुरक्षा दोनों के साथ कोई समझौता नहीं होगा।"

इन तमाम मामलों में सौरभ श्रीवास्तव का त्वरित निर्णय और मानवीय दृष्टिकोण देखने लायक था। वे हर व्यक्ति से सीधे संवाद करते, उनकी आँखों में झाँककर आश्वासन देते। वह आश्वासन जो खोखला नहीं बल्कि कार्रवाई की ठोस बुनियाद पर खड़ा था।

कार्यालय में मौजूद उनके सहयोगी कुशाग्र श्रीवास्तव, अभिषेक और वैभव मिश्रा भी पूरे समय व्यवस्था संभालते नजर आए। बाहर इंतजार कर रहे लोगों के लिए पानी, बैठने की व्यवस्था और मार्गदर्शन की व्यवस्था ने इस जनसुनवाई को एक सुसंगठित और जनहितकारी आयोजन बना दिया।

जनसंपर्क कार्यालय के बाहर जब लोग अपनी समस्याओं का समाधान लेकर निकले, तो उनके चेहरों पर सुकून झलक रहा था। जब हमारे संवाददाता ने उनसे इस बारे में पूछा तो कोई बोला, "पहली बार लगा कि हमारी बात किसी ने सच में सुनी।" किसी ने कहा, "विधायक जी जनता के बीच हैं, सिर्फ मंचों पर नहीं।"

विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने इस अवसर पर हमारे संवाददाता से बताया कि "जनसुनवाई जनता और सरकार के बीच संवाद का सेतु है। मेरा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति अपने अधिकारों से वंचित न रहे। वाराणसी प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र है, और यहां की जनता को सबसे पारदर्शी, जवाबदेह और संवेदनशील शासन मिले, यही मेरी प्राथमिकता है।"

इस प्रकार की जनसुनवाई अब एक परंपरा से बढ़कर एक आंदोलन का रूप ले चुकी है। जनसेवा का आंदोलन, जिसका केंद्र हैं सौरभ श्रीवास्तव। वाराणसी की जनता अब न सिर्फ उम्मीद करती है, बल्कि भरोसा भी रखती है कि जब उनकी आवाज़ गुरुधाम के इस दफ्तर तक पहुंचेगी, तो उसे अनसुना नहीं किया जाएगा।

सच मायने में अगर कहे तो, आज बुधवार की यह जनसुनवाई केवल एक प्रशासनिक कार्यक्रम नहीं थी। यह लोकतंत्र की जीवंत अभिव्यक्ति थी, जहाँ जनता ने अपने प्रतिनिधि में एक संवेदनशील सुनने वाला और तुरंत कार्रवाई करने वाला नेता देखा। सौरभ श्रीवास्तव ने यह दिखा दिया कि जब जनप्रतिनिधि अपने दायित्व को 'सेवा' की दृष्टि से निभाते हैं, तो राजनीति भी जनता के आंसू पोंछने का जरिया बन जाती है।

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