हरिद्वार: मुस्लिम महिला शबनम ने सास-ससुर के लिए उठाई 21 लीटर की कांवड़

गाजियाबाद में मुस्लिम महिला शबनम ने सनातन धर्म अपनाकर सास-ससुर के लिए 21 लीटर गंगाजल की कांवड़ हरिद्वार से लाई, जो सामाजिक समरसता का प्रतीक है।

Fri, 18 Jul 2025 17:33:08 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

गाजियाबाद/नजीबाबाद/हरिद्वार: श्रावण मास के पवित्र अवसर पर आस्था की मिसाल पेश करती एक ऐसी कहानी सामने आई है, जिसने न केवल धार्मिक सीमाओं को पार किया, बल्कि सामाजिक समरसता और प्रेम का एक सशक्त उदाहरण भी प्रस्तुत किया। गाजियाबाद निवासी शबनम, जो कभी मुस्लिम थीं, आज एक आस्थावान सनातनी महिला बनकर सास-ससुर के लिए 21 लीटर गंगाजल की कांवड़ लेकर हरिद्वार से गाजियाबाद पहुंची हैं।

शबनम बताती हैं कि पहले पति के इंतकाल के बाद उनका जीवन बिखर चुका था। मुश्किल दौर में किसी ने उन्हें सहारा नहीं दिया, लेकिन उसी वक्त पवन नाम के एक युवक ने न सिर्फ उनका साथ दिया, बल्कि उन्हें जीवनसाथी बनाकर अपनाया। इस रिश्ते को पूरे मन से स्वीकार करते हुए शबनम ने सनातन धर्म को आत्मसात किया और अब वे पूर्णतः शिवभक्त बन चुकी हैं। उनके अनुसार, पवन के माता-पिता मंजू और अशोक कुमार ने उन्हें बेटी की तरह स्नेह दिया और उसी भावनात्मक कर्ज को उतारने के लिए उन्होंने इस वर्ष श्रावण मास में उनके नाम पर कांवड़ उठाने का संकल्प लिया।

12 जुलाई को हरिद्वार से 21 लीटर पवित्र गंगाजल लेकर निकली शबनम ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं और अब उनका पूरा परिवार भोलेनाथ की भक्ति में लीन है। कांवड़ यात्रा को उन्होंने अपनी सास और ससुर को समर्पित किया है, जिन्हें वे ईश्वर तुल्य मानती हैं। उनका कहना है, “मैं अपने जीवन में सास-ससुर की पूरी सेवा करना चाहती हूं, क्योंकि इन्होंने मुझे बेटी से बढ़कर अपनाया है।”

दूसरी ओर, बिजनौर जिले के नजीबाबाद में भी श्रावण मास की शिवरात्रि नजदीक आते ही कांवड़ मेले का माहौल पूरे उत्साह के साथ चरम पर पहुंचने लगा है। नगर क्षेत्र से लेकर आस-पास के गांवों और शहरों तक, शिवभक्तों का जनसैलाब हरिद्वार से भारी-भरकम गंगाजल कलशों के साथ पैदल यात्रा पर निकला हुआ है। कुछ कांवड़ियों ने 40 लीटर तो कुछ ने 120 लीटर तक की कांवड़ उठा रखी है। कांधे झुके जरूर हैं, लेकिन आस्था और श्रद्धा के समर्पण से कदम डगमगाए नहीं हैं। ‘बम भोले’ के जयकारों से मार्ग गूंज रहे हैं और भक्त अपने गंतव्य की ओर पूरे जोश और विश्वास के साथ बढ़ रहे हैं।

श्रावण मास की शिवरात्रि इस बार 23 जुलाई को पड़ रही है, और इसे ध्यान में रखते हुए कांवड़ियों की संख्या में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है। मोटा महादेव मंदिर के पुजारी शशिनाथ ने जानकारी दी कि बृहस्पतिवार को हजारों की संख्या में शिवभक्त मंदिर पहुंचे और भगवान शिव का विधिवत जलाभिषेक किया। उन्होंने बताया कि शनिवार और रविवार को और अधिक भीड़ उमड़ने की संभावना है।

उधर, नजीबाबाद-बुंदकी मार्ग पर भी मुरादाबाद, काशीपुर, जसपुर, रुद्रपुर, अमरोहा, संभल समेत कई जिलों से श्रद्धालु जत्थों में आते दिखाई दे रहे हैं। शिवभक्त अवनीश, सौरभ, अनिकेत, ऋषभ और सोनू ने बताया कि उन्होंने इस कांवड़ यात्रा के माध्यम से अपने परिवार की समृद्धि, सुख-शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा की कामना की है।

यह कांवड़ यात्रा केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता और आपसी विश्वास की अनमोल परंपरा भी है। शबनम जैसे उदाहरण यह साबित करते हैं कि आस्था की राह में मजहब की दीवारें बेमानी हो जाती हैं। कांवड़ यात्रा में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, पर कुछ कहानियां दिल को छू जाती हैं।और यह कहानी उन्हीं में से एक है।

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