Fri, 08 Aug 2025 02:07:57 - By : Aakash Tiwari (Mridul)
नई दिल्ली/ब्रासीलिया: वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में उथल-पुथल के बीच गुरुवार को एक अहम कूटनीतिक घटनाक्रम में ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर दोनों देशों के बीच बढ़ते रणनीतिक रिश्तों पर चर्चा की। इस बातचीत में उन्होंने बीते महीने प्रधानमंत्री मोदी की ब्राजील यात्रा का जिक्र करते हुए व्यापार, तकनीक, ऊर्जा, रक्षा और कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को और गहरा करने पर सहमति जताई। दोनों नेताओं ने भारत-ब्राजील रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की प्रतिबद्धता को दोहराया, साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचार साझा किए।
यह बातचीत ऐसे समय में हुई जब ब्राजील और अमेरिका के रिश्तों में तनातनी बढ़ गई है। बुधवार को राष्ट्रपति लूला ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बातचीत के प्रस्ताव को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि वह टैरिफ जैसे मुद्दों पर ट्रम्प से बात करने में रुचि नहीं रखते। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस समय उनकी प्राथमिकता वैश्विक संतुलन बनाने वाले नेताओं से संवाद की है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का नाम लिया। इस बयान के माध्यम से लूला ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि ब्राजील अब अमेरिका पर निर्भरता घटाकर उभरती अर्थव्यवस्थाओं और वैश्विक दक्षिण के देशों के साथ संतुलित रिश्तों की ओर बढ़ रहा है।
उधर, अमेरिका द्वारा भारत और ब्राजील दोनों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले से अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक तनाव और गहरा गया है। ट्रम्प प्रशासन ने भारत पर यह शुल्क रूसी तेल की खरीद के चलते लगाया है, जबकि ब्राजील के खिलाफ यह कार्रवाई वहां के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के खिलाफ चल रही जांच को लेकर की गई है। बोल्सोनारो पर 2022 के चुनाव हारने के बाद सत्ता पलटने की साजिश रचने का आरोप है, जिसने ब्राजील-अमेरिका रिश्तों को एक और झटका दिया है।
इन घटनाओं की पृष्ठभूमि में इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का भारत को लेकर दिया गया बयान काफी अहम माना जा रहा है। नेतन्याहू ने अमेरिका के टैरिफ निर्णय की आलोचना करते हुए भारत को "एशिया में एक खास देश" करार दिया और कहा कि अमेरिका को यह समझना होगा कि भारत केवल एक व्यापारिक साझेदार नहीं, बल्कि एक रणनीतिक शक्ति भी है। उन्होंने भारत और इजराइल के बीच सैन्य सहयोग, खासकर हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में इजराइली सैन्य उपकरणों के प्रभावी इस्तेमाल की सराहना की। इस ऑपरेशन में भारत ने इजराइली हार्पी और स्काईस्ट्राइकर जैसे ‘सुसाइड ड्रोन’ का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम और चीनी निर्मित रडार सिस्टम को सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया था।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को पाकिस्तान के खिलाफ यह सैन्य कार्रवाई शुरू की थी। ऑपरेशन सिंदूर में इजराइली तकनीक का निर्णायक योगदान रहा, जिसने न केवल दुश्मन की रक्षा प्रणाली को पंगु बनाया, बल्कि यह भी दर्शाया कि भारत और इजराइल के बीच रक्षा साझेदारी किस हद तक परिपक्व हो चुकी है।
ऐसे माहौल में जब अमेरिका का संरक्षणवादी रुख उसके पारंपरिक साझेदारों से दूरियां बढ़ा रहा है, भारत को ब्राजील और इजराइल जैसे देशों का समर्थन मिलना वैश्विक स्तर पर उसकी स्वीकार्यता और विश्वसनीयता को और मजबूत करता है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति लूला की बातचीत इस बात का संकेत है कि भारत ब्रिक्स और वैश्विक दक्षिण के मंचों पर अपनी भूमिका को लेकर गंभीर है और उभरती हुई विश्व व्यवस्था में एक निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार है।