Tue, 25 Nov 2025 11:14:14 - By : Shriti Chatterjee
अयोध्या आज एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभिजीत मुहूर्त में राम मंदिर के मुख्य शिखर पर धर्म ध्वज फहराएंगे। इस आयोजन को सनातन धर्म की गौरवमयी परंपरा का प्रतीक माना जा रहा है और इसे राम मंदिर निर्माण की उस यात्रा का एक और महत्वपूर्ण अध्याय कहा जा रहा है जिसमें नौ नवंबर 2019 का निर्माण संबंधी निर्णय, पांच अगस्त 2020 का भूमि पूजन और 22 जनवरी 2024 का प्राण प्रतिष्ठा समारोह दर्ज हैं। अब 25 नवंबर की तिथि भी इस इतिहास में स्वर्णाक्षरों से लिखी जाएगी। प्रधानमंत्री सुबह 9 बजकर 35 मिनट पर अयोध्या पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को ही अयोध्या पहुंच चुके हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और अन्य छह हजार से अधिक अतिथि इस भव्य आयोजन में उपस्थित रहेंगे। प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए साकेत महाविद्यालय से लेकर आदि शंकराचार्य द्वार तक अनेक स्थानों पर विशेष तैयारियां की गई हैं और सम्पूर्ण शहर का वातावरण उत्साह और श्रद्धा से भरा दिखाई दे रहा है।
राम मंदिर पहुंचने पर प्रधानमंत्री सुबह 11 बजे परिसर में प्रवेश करेंगे। वह उप मंदिरों के दर्शन करेंगे और परंपरा के अनुसार पूजा अर्चना में सम्मिलित होंगे। संभावना है कि वह सबसे पहले सप्तर्षि मंडप में स्थित वाल्मीकि ऋषि के दर्शन करेंगे। इसके बाद वह विशेष आरती में शामिल होंगे और निर्धारित अभिजीत मुहूर्त में धर्म ध्वज की स्थापना करेंगे। ध्वजारोहण का शुभ समय दोपहर 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट के बीच निर्धारित है। इसके पश्चात प्रधानमंत्री उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करेंगे। इस आयोजन के लिए मंदिर परिसर में पांच दिवसीय अनुष्ठान आयोजित किए गए थे जो सोमवार शाम संध्या आरती के साथ संपन्न हो गए। सुरक्षा व्यवस्था को अत्यंत मजबूत किया गया है। अयोध्या में कुल 6970 सुरक्षा कर्मी तैनात हैं जिनमें एनएसजी स्नाइपर, एनएसजी कमांडो, साइबर विशेषज्ञ और तकनीकी टीमें सम्मिलित हैं। भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा जांच, विस्फोटक पहचान और आपात प्रतिक्रिया के लिए भी विशेष दल लगाए गए हैं। मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में एंटी ड्रोन सिस्टम सक्रिय किया गया है।
इस आयोजन की विशेष बात यह भी है कि ध्वजारोहण का दिन विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है जो भगवान राम और माता सीता के विवाह की तिथि है। इस अवसर पर भगवान राम के लिए स्वर्ण जड़ित पीतांबरी और पश्मीना की शाल तैयार की गई है। माता सीता और अन्य विग्रहों के लिए कर्नाटक से विशेष वस्त्र मंगाए गए हैं। इन सभी वस्त्रों की डिजाइन अंबेडकरनगर के प्रख्यात डिजाइनर मनीष तिवारी ने तैयार की है। रेशम से बने इन वस्त्रों पर स्वर्ण के तार लगाए गए हैं और प्रत्येक विग्रह के लिए अलग डिजाइन रखी गई है। सभी देवी देवताओं के लिए अलग रंग की पश्मीना शालें भी तैयार की गई हैं। मनीष तिवारी के अनुसार प्रत्येक बड़े अवसर पर देश के विभिन्न प्रांतों के सिल्क से रामलला के वस्त्र तैयार किए जाते हैं जिससे भारतीय कला और परंपरा का सुंदर समन्वय प्रतिबिंबित होता है।
राम मंदिर के मुख्य शिखर सहित सभी उप मंदिरों पर ध्वज फहराने की पूरी व्यवस्था की जा चुकी है। मुख्य शिखर की ऊंचाई 161 फीट है जिस पर 41 फीट ऊंचा ध्वजदंड स्थापित किया गया है। यह ध्वजदंड 360 डिग्री घूमने वाले चेंबर पर लगाया गया है ताकि तेज हवाओं में भी ध्वज सुरक्षित रह सके। ध्वजदंड का दस फीट हिस्सा शिखर के भीतर है जहां विशेष बाल बेयरिंग लगाए गए हैं। मुख्य शिखर के लिए 25 ध्वज और उप मंदिरों के लिए छोटे आकार के 100 ध्वज तैयार किए गए हैं। इन ध्वजों को पैराशूट कपड़े से बनाया गया है और उन्हें प्रत्येक पंद्रह दिन में बदलने की योजना है। मुख्य ध्वज की लंबाई 18 फीट और चौड़ाई नौ फीट है जबकि उप मंदिरों के ध्वज छह फीट लंबाई और चार फीट चौड़ाई के हैं। सभी ध्वजों का रंग केसरिया है जो धर्म, त्याग और साहस का प्रतीक माना जाता है। ध्वजों पर तीन प्रमुख प्रतीकों का अंकन किया गया है जिनमें ऊ, सूर्य और कोविदार वृक्ष शामिल हैं। सूर्य भगवान राम के सूर्यवंशी वंश का प्रतीक है, ऊ सनातन संस्कृति के आध्यात्मिक और अनंत स्वरूप का संकेत है और कोविदार वृक्ष त्रेता युग की स्मृतियों से जुड़ा है जिसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है।
छोटे ध्वज भगवान शिव, गणेश, हनुमान, सूर्यदेव, देवी भगवती और देवी अन्नपूर्णा के उप मंदिरों के शिखरों पर फहराए जाएंगे। सभी ध्वजों का विधिवत पूजन किया जा चुका है। वर्तमान समय में संपूर्ण अयोध्या आध्यात्मिक आभा और सांस्कृतिक वैभव से आलोकित है और यह आयोजन भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर के राम भक्तों के लिए एक ऐतिहासिक और अविस्मरणीय क्षण बन गया है।