Wed, 24 Dec 2025 15:20:10 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बिजली विभाग के अधिकारियों की तानाशाही और कथित "बिरादरी प्रेम" का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने विभाग की निष्पक्षता को कटघरे में खड़ा कर दिया है। मामला अस्सी घाट स्थित प्रसिद्ध 'बाटी चोखा रेस्टोरेंट' (संचालक रितेश वीरेंद्र राय) का है, जहाँ अधिशासी अभियंता, नगरीय विद्युत वितरण खंड-चतुर्थ (भेलूपुर) ने न्यायालय में विचाराधीन मामले और अपने ही विभाग के वरिष्ठ विधिक सलाहकार की स्पष्ट राय को दरकिनार करते हुए एक चलते हुए व्यावसायिक प्रतिष्ठान की बिजली काट दी है।
क्या है पूरा मामला?
अस्सी घाट स्थित मकान नंबर B-1/1-ए.पी.एम., एम 80 में रितेश वीरेंद्र राय पिछले कई वर्षों से 'ठेट बनारसी बाटी चोखा' रेस्टोरेंट संचालित कर रहे हैं। उनके पास 4 किलोवाट का वैध व्यावसायिक कनेक्शन (संख्या 4493653648) है, जिसे 10 जुलाई 2021 को नियमानुसार जारी किया गया था। मकान मालकिन अन्नपूर्णा पांडेय और किराएदार रितेश राय के बीच विवाद उत्पन्न होने पर मामला न्यायालय की शरण में चला गया। वर्तमान में यह विवाद (वाद संख्या 2597 सन् 2025) माननीय न्यायालय में विचाराधीन है।
कानून का सामान्य सिद्धांत है कि जब कोई मामला न्यायालय में (Sub-judice) होता है, तो किसी भी पक्ष को जबरन बेदखल करने या आवश्यक सेवाएं बाधित करने का अधिकार नहीं होता। लेकिन यहाँ अधिशासी अभियंता महोदय स्वयं न्यायाधीश की भूमिका में आ गए। आरोप है कि उन्होंने एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए रेस्टोरेंट का बिजली कनेक्शन काट दिया, जो न केवल अनैतिक है बल्कि असंवैधानिक भी है।
विधिक सलाहकार की रिपोर्ट: "बिजली काटना न्यायसंगत नहीं"
इस मामले की सबसे चौंकाने वाली कड़ी वह पत्र है जो 15 दिसंबर 2025 को विभाग के सीनियर एडवोकेट (स्टैंडिंग काउंसिल) रघुनंदन श्रीवास्तव ने अधिशासी अभियंता को भेजा। हमारे पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक, विधिक सलाहकार ने स्पष्ट शब्दों में लिखा है, कि "मेरी कानूनी राय में चूँकि श्री रितेश वीरेंद्र राय को उपरोक्त व्यावसायिक विद्युत कनेक्शन दिनांक 10.07.2021 को नियमानुसार प्रदान कर दिया गया है... ऐसी स्थिति में विभाग द्वारा उपरोक्त व्यावसायिक विद्युत कनेक्शन का विच्छेदन किया जाना न्याय संगत नहीं है। क्योंकि कानूनन भी हवा, पानी व बिजली किसी की भी रोकी नहीं जा सकती है, क्योंकि वह आवश्यक सेवा के अंतर्गत मूलभूत अधिकार (Article 21) में आती है।" वकील ने साफ तौर पर हिदायत दी थी कि यदि भवन स्वामी कनेक्शन कटवाना चाहते हैं, तो उन्हें सक्षम न्यायालय से आदेश लाना होगा। विभाग स्वतः संज्ञान लेकर बिजली नहीं काट सकता।
अधिकारी की हठधर्मिता और 'बिरादरी प्रेम' के आरोप
विधिक राय आए हुए कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन अधिशासी अभियंता ने आज तक कनेक्शन बहाल नहीं किया। उपभोक्ता रितेश राय का सीधा आरोप है कि "साहब" अपनी कुर्सी की गरिमा भूलकर जातिगत समीकरण (बिरादरी प्रेम) साधने में लगे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि अधिशासी अभियंता प्रतिवादी (मकान मालिक) के अघोषित एजेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं। एक जिम्मेदार पद पर बैठकर संविधान के आर्टिकल 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन करना और एक पक्ष को लाभ पहुँचाने के लिए दूसरे पक्ष का उत्पीड़न करना प्रशासनिक सेवा नियमावली का घोर उल्लंघन है।
सरकार को राजस्व की क्षति
यह केवल दो पक्षों का विवाद नहीं है, बल्कि इससे राज्य सरकार को भी आर्थिक नुकसान हो रहा है। एक कमर्शियल कनेक्शन, जो नियमित रूप से बिल का भुगतान कर रहा था, उसे निजी खुन्नस में बंद करके अधिशासी अभियंता विभाग को राजस्व की क्षति पहुँचा रहे हैं। सवाल उठता है कि इस राजस्व हानि की भरपाई क्या संबंधित अधिकारी की जेब से की जाएगी?
बड़ा सवाल: न्याय कब मिलेगा?
जब विभाग का अपना ही वकील कह रहा है कि बिजली काटना गलत है, जब न्यायालय में मामला चल रहा है, और जब संविधान किसी को भी बिजली-पानी से वंचित करने की इजाजत नहीं देता, तो आखिर अधिशासी अभियंता (भेलूपुर) किस "विशेषाधिकार" का प्रयोग कर रहे हैं? क्या बनारस में बिजली विभाग अब कानून से ऊपर हो गया है?
पीड़ित उपभोक्ता ने अब उच्च अधिकारियों से गुहार लगाई है कि इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप किया जाए, कनेक्शन को पुनः जोड़ा जाए और सरकारी पद का दुरुपयोग कर रहे ऐसे अधिकारी के खिलाफ सख्त विभागीय जाँच बैठाकर दंडात्मक कार्रवाई की जाए। अब देखना यह है कि अंधेर गर्दी मचा रहे इन अधिकारियों पर विभाग का चाबुक कब चलता है।