लखनऊ: SIR अभियान पर सपा नेता का विरोध, भाजपा के फैसलों को बताया जनविरोधी

लखनऊ में SIR अभियान के खिलाफ सपा नेता ने प्रदेश कार्यालय के बाहर बड़ा होर्डिंग लगाकर विरोध जताया।

Sat, 29 Nov 2025 11:02:55 - By : Palak Yadav

लखनऊ में विशेष गहन पुनरीक्षण SIR अभियान को लेकर सियासी माहौल एक बार फिर गरम हो गया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा गुरुवार को SIR फॉर्म भरने के कुछ ही घंटों बाद पार्टी के नेता मोहम्मद इखलाक ने प्रदेश कार्यालय के बाहर एक बड़ा होर्डिंग लगवा कर SIR प्रक्रिया के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा दिया। यह होर्डिंग शुक्रवार रात लगाया गया और इसके बाद से राजनीतिक चर्चाएं और अधिक तेज हो गई हैं।

होर्िडंग में SIR को कई अन्य बड़े फैसलों से जोड़ते हुए लिखा गया है कि भाजपा सरकार के हर महत्वपूर्ण निर्णय का खामियाजा जनता ने अपनी जान देकर चुकाया है। इसमें नोटबंदी, कृषि कानून, अचानक घोषित लॉकडाउन और अब SIR प्रक्रिया को चार अलग अलग बिंदुओं में शामिल किया गया है। सपा नेता इखलाक का कहना है कि सरकार जनता और कर्मचारियों पर फैसले थोप रही है और जमीनी हकीकत को समझे बिना नीतियां लागू कर रही है।

बैनर के पहले बिंदु में नोटबंदी का जिक्र किया गया है, जिसमें लिखा है कि बैंकों की कतारों में कई मासूम लोगों की जान चली गई। दूसरे बिंदु में कृषि कानूनों को काला कानून बताते हुए कहा गया है कि आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत हुई और सरकार ने कोई सहानुभूति नहीं दिखाई। तीसरे बिंदु में कोविड काल में शून्य तैयारी के बीच अचानक लगे लॉकडाउन को जिम्मेदार बताते हुए कहा गया है कि हजारों लोग भूख, पलायन और अव्यवस्था के कारण मौत का शिकार हुए।

चौथे बिंदु में SIR को कर्मचारियों की मजबूरी बताते हुए कहा गया है कि चुनाव ड्यूटी के दबाव में 10 से अधिक BLO कर्मियों की जान चली गई। इखलाक ने कहा कि वे जनता से जुड़े मुद्दों को उठाते रहेंगे और सरकार की नीतियों पर सवाल पूछना जारी रहेगा।

चुनाव आयोग फिलहाल पूरे प्रदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चला रहा है, जिसके तहत मतदाता सूची को अपडेट किया जा रहा है। इस प्रक्रिया का पहला चरण 4 नवंबर से शुरू होकर 4 दिसंबर तक चल रहा है। BLO घर घर फॉर्म दे रहे हैं जिनमें मतदाता अपनी जानकारी भरकर वापस कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में मृत व्यक्तियों के नाम हटाए जाएंगे और एक से अधिक जगह दर्ज नामों में केवल एक को मान्यता दी जाएगी।

अखिलेश यादव ने अपना SIR फॉर्म भरते हुए सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीर साझा की और लोगों से अपील की कि वे भी अपना सत्यापन फॉर्म भरें और किसी भी त्रुटि पर तुरंत सूचित करें। उन्होंने आरोप लगाया कि BLO पर अव्यावहारिक लक्ष्य थोपकर अमानवीय दबाव बनाया जा रहा है और यह निंदनीय है। अखिलेश ने यह भी मांग की कि SIR ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले BLO कर्मियों के परिजनों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए। समाजवादी पार्टी ने ऐसे परिवारों को दो लाख रुपये देने की घोषणा की है।

लखनऊ में विवादित होर्डिंग लगाने की यह पहली घटना नहीं है। कुछ महीने पहले भी सपा नेता जयसिंह प्रताप यादव ने सरकारी स्कूलों के मर्जर के खिलाफ सपा कार्यालय के बाहर एक होर्डिंग लगाया था, जिसमें लिखा था यह कैसा रामराज्य बंद करो पाठशाला खोलो मधुशाला। इसके जवाब में मुख्यमंत्री आवास के पास एक नया होर्डिंग लगाया गया था जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा गया था चश्मा हटाइए अखिलेशजी टोपी मत पहनाइए और योगी सरकार के आठ साल की शिक्षा उपलब्धियों का विस्तार से उल्लेख किया गया था।

अब SIR प्रक्रिया को लेकर एक बार फिर होर्डिंग सियासत अपने चरम पर पहुंच चुकी है और आने वाले दिनों में इस विवाद का राजनीतिक असर और अधिक देखने को मिल सकता है।

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