सीतापुर: वंचित पिछड़ा महाजागरण, पिछड़ा वर्ग आयोग सदस्य सत्येंद्र बारी सम्मानित

सीतापुर में वंचित और अति पिछड़े वर्गों के हित में महाजागरण हुआ, जिसमें राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य सत्येंद्र बारी को सम्मानित किया गया, कार्यक्रम में कई राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया।

Sat, 21 Jun 2025 20:27:10 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

सीतापुर: उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले की ऐतिहासिक धरती शुक्रवार को एक बड़े सामाजिक समागम की साक्षी बनी, जहां वंचित और अति पिछड़े वर्गों के हित में एक महाजागरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में प्रजापति समाज, चंद्रवंशी समाज, निषाद समाज, बघेल समाज, बारी समाज और भारती समाज की महत्वपूर्ण भागीदारी रही। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य श्री सत्येंद्र बारी को आमंत्रित किया गया, जिन्हें कार्यक्रम के दौरान पारंपरिक रीति से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता अति पिछड़ा एकीकरण महाभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल प्रजापति ने की, जबकि बिहार कुम्हार समन्वय समिति के संस्थापक गुरु प्रजापति, भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता लौटानराम निषाद, चंद्रवंशी समाज के राष्ट्रीय नेता बिंदेश्वर चंद्रवंशी और आजीविका एक्सपर्ट श्री मनमोहन शुक्ला सहित पिछड़े और वंचित समुदायों से जुड़े कई प्रमुख राष्ट्रीय नेता मंच पर उपस्थित रहे। आयोजन का उद्देश्य सामाजिक जागरूकता फैलाना, समुदायों के बीच एकता को बढ़ावा देना और शासन-प्रशासन से अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करना रहा।

अपने संबोधन में श्री सत्येंद्र बारी ने केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार द्वारा पिछड़े और दलित समाजों के लिए उठाए जा रहे कदमों की सराहना की। उन्होंने कहा, "भाजपा सरकार ने समाज के सभी वर्गों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने की दिशा में गंभीर प्रयास किए हैं। ‘सबका साथ, सबका विकास’ केवल एक नारा नहीं, बल्कि शासन की वास्तविक नीति बन चुका है। डबल इंजन की सरकार आज जिस तरह से गांव, गरीब, किसान और वंचित वर्गों के लिए योजनाएं लागू कर रही है, वह पहले कभी नहीं देखा गया था।"

कार्यक्रम में वक्ताओं ने एक स्वर में यह मांग रखी कि वंचित और अति पिछड़े समुदायों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व मिले। साथ ही, यह भी कहा गया कि जब तक नीति निर्माण में इन वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक समावेशी विकास की परिकल्पना अधूरी रहेगी।

सभा में युवाओं की बड़ी भागीदारी देखने को मिली, जो यह संकेत देती है कि आने वाली पीढ़ी भी सामाजिक समानता और अधिकारों को लेकर सजग है। कई वक्ताओं ने यह भी प्रस्ताव रखा कि ऐसे आयोजनों को पूरे प्रदेश और देश के विभिन्न हिस्सों में किया जाना चाहिए, ताकि वंचित समाजों में आत्मबल, आत्मगौरव और जागरूकता का विस्तार हो।

महाजागरण सभा का समापन सामूहिक संकल्प और धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें सभी समाजों के प्रतिनिधियों ने एकजुटता की शपथ ली और भविष्य में साझा संघर्ष और साझा विकास की दिशा में मिलकर कार्य करने का संकल्प दोहराया।

इस आयोजन ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि यदि वंचित वर्ग एक मंच पर आकर संगठित रूप से अपनी आवाज़ उठाएंगे, तो न सिर्फ शासन को उनकी बात सुननी पड़ेगी बल्कि सामाजिक ताने-बाने में भी सकारात्मक परिवर्तन आएगा।

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