अमेरिकी रिपोर्ट: चीन ने अमेरिकी वित्तपोषित परमाणु शोध से सैन्य क्षमताएं बढ़ाईं, चिंता बढ़ी

संसदीय रिपोर्ट में दावा, चीन अमेरिकी परमाणु शोध का सैन्य उपयोग कर रहा है जिससे वाशिंगटन में राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताएं बढ़ीं।

Wed, 17 Dec 2025 23:19:26 - By : SUNAINA TIWARI

नई दिल्ली : चीन द्वारा अमेरिकी वित्तपोषित परमाणु अनुसंधान से लाभ उठाने के आरोपों को लेकर एक नई संसदीय रिपोर्ट ने वाशिंगटन में चिंता बढ़ा दी है। बुधवार को प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन, अमेरिका के ऊर्जा विभाग द्वारा वित्त पोषित शोधकर्ताओं के साथ अकादमिक और वैज्ञानिक साझेदारियों का उपयोग कर अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, इन सहयोगों के जरिये संवेदनशील परमाणु प्रौद्योगिकी के साथ साथ आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण नवाचारों तक चीन की पहुंच बनी है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका को अपने उच्च तकनीकी अनुसंधान की सुरक्षा के लिए और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। इसमें जोर दिया गया है कि करदाताओं के धन से किए गए शोध के परिणाम ऐसे किसी देश को लाभ न पहुंचाएं जो अमेरिकी हितों के विपरीत काम कर रहा हो। यह जांच अमेरिकी कांग्रेस के उस व्यापक प्रयास का हिस्सा है, जिसके तहत चीन के सैन्य निर्माण को अप्रत्यक्ष रूप से मदद पहुंचाने वाले किसी भी शोध सहयोग पर रोक लगाने के उपाय खोजे जा रहे हैं।

जांच में सामने आया है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पर अमेरिकी सदन की चयन समिति और शिक्षा एवं कार्यबल पर सदन की समिति के जांचकर्ताओं ने जून 2023 से लेकर इस वर्ष जून तक प्रकाशित 4300 से अधिक अकादमिक शोध पत्रों की पहचान की। इन शोध पत्रों में अमेरिकी शिक्षा विभाग द्वारा वित्त पोषित वैज्ञानिकों और चीनी शोधकर्ताओं के बीच सहयोग दर्ज किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, इन शोध कार्यों का एक बड़ा हिस्सा ऐसे क्षेत्रों से जुड़ा था, जिनका संभावित सैन्य उपयोग हो सकता है।

सबसे गंभीर बात यह सामने आई कि इन शोध पत्रों में से लगभग आधे में ऐसे चीनी शोधकर्ताओं का योगदान था, जिनके संबंध चीन के सैन्य या औद्योगिक आधार से बताए गए हैं। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि इस तरह का सहयोग अनजाने में चीन की सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा दे सकता है और अमेरिका की तकनीकी बढ़त को कमजोर कर सकता है।

यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब अमेरिका और चीन के बीच तकनीकी और हथियार प्रतिस्पर्धा लगातार तेज हो रही है। दोनों देश उन्नत हथियार प्रणालियों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग और परमाणु तकनीक जैसे क्षेत्रों में बढ़त हासिल करने की कोशिश में हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रतिद्वंद्विता आने वाले वर्षों में वैश्विक शक्ति संतुलन और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को गहराई से प्रभावित कर सकती है।

हालांकि रिपोर्ट में उठाए गए सवालों पर ऊर्जा विभाग ने फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। विभाग ने रिपोर्ट और उसकी सिफारिशों से जुड़े सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया। संसद की समितियों ने संकेत दिया है कि आने वाले समय में शोध अनुदानों, अंतरराष्ट्रीय सहयोगों और सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा और कड़ी की जा सकती है ताकि अमेरिकी तकनीकी ज्ञान का दुरुपयोग रोका जा सके।

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