Fri, 19 Sep 2025 15:11:24 - By : Garima Mishra
वाराणसी: शहर में अधिवक्ताओं और पुलिस के बीच जारी टकराव लगातार नए मोड़ ले रहा है। कुछ दिन पहले कैंट थाना प्रभारी पर अधिवक्ताओं से अभद्र भाषा बोलने के आरोप लगे थे, जिसने विवाद को हवा दी। इसके बाद अब मामला और गंभीर तब हो गया जब एडीसीपी वरुणा नीतू कात्यायन पर अधिवक्ताओं ने दुर्व्यवहार का आरोप लगा दिया।
दरअसल, अधिवक्ताओं द्वारा दरोगा की पिटाई किए जाने के बाद से ही यह मुद्दा गरमाया हुआ है। बृहस्पतिवार को कई अधिवक्ता पुलिस आयुक्त कार्यालय पहुंचे थे ताकि इस मामले में कार्रवाई की जानकारी मिल सके। लेकिन कार्यालय में तैनात पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक दिया। इसी दौरान वहां मौजूद एडीसीपी नीतू कात्यायन और अधिवक्ताओं के बीच बहस हो गई। अधिवक्ताओं का आरोप है कि एडीसीपी ने उनकी बात सुनने के बजाय अपमानजनक और असंवेदनशील रवैया अपनाया।
अधिवक्ताओं ने कहा कि एक ओर पुलिसकर्मी उन्हें दोषी ठहराने में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर अधिकारियों का व्यवहार और भी निराशाजनक है। उनका आरोप है कि एडीसीपी का बर्ताव पेशेवर आचरण के विपरीत था और इसने अधिवक्ताओं की गरिमा को ठेस पहुंचाई। इस घटना के बाद वकील समुदाय ने कार्यालय परिसर में नारेबाजी करते हुए विरोध दर्ज कराया और आरोप लगाया कि प्रशासन मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है।
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब पुलिस और अधिवक्ताओं के बीच अविश्वास गहराता जा रहा है। कुछ ही दिन पहले कैंट इंस्पेक्टर पर भी इसी तरह का आरोप लगा था कि उन्होंने अधिवक्ताओं के साथ असंयमित भाषा का इस्तेमाल किया और उन्हें खुलेआम चुनौती दी। इस प्रकरण ने अधिवक्ताओं के आक्रोश को और भड़काया था। अब एडीसीपी स्तर के अधिकारी पर भी दुर्व्यवहार का आरोप लगना पूरे मामले को और गंभीर बना रहा है।
वकीलों का कहना है कि जब न्यायपालिका के प्रतिनिधि माने जाने वाले अधिवक्ताओं को पुलिस अधिकारियों से इस तरह का बर्ताव झेलना पड़ रहा है, तो आम जनता के साथ पुलिस का व्यवहार किस स्तर का होगा, यह सहज समझा जा सकता है। उन्होंने मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो।
प्रदेश सरकार और पुलिस विभाग की ओर से समय-समय पर अधिकारियों को संयम और मर्यादा बनाए रखने की हिदायत दी जाती रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पुलिस आयुक्त वाराणसी भी कई मौकों पर यह स्पष्ट कर चुके हैं कि पुलिस को जनता और अधिवक्ताओं के साथ संवाद में शालीनता रखनी चाहिए। इसके बावजूद बार-बार ऐसी घटनाओं का सामने आना पुलिस की छवि पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।
अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि उच्च अधिकारी इस विवाद को शांत करने और आरोपों की जांच के लिए क्या कदम उठाते हैं। अधिवक्ता समुदाय ने चेतावनी दी है कि जब तक निष्पक्ष जांच और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती, उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।