Sat, 22 Nov 2025 10:39:52 - By : Garima Mishra
वाराणसी जिला और सत्र न्यायालय की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने बच्चा चोरी और ह्यूमन ट्रैफिकिंग के एक बड़े मामले में सात आरोपियों को दोषी करार दिया है। अदालत ने सभी गवाहियों, साक्ष्यों और पुलिस की चार्जशीट की विस्तृत सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया। इसी मामले में आठ आरोपियों को संदेह का लाभ मिला और उन्हें किसी भी धारा में दोषी नहीं पाया गया। पुलिस ने इस मामले में कुल सोलह लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। गिरोह के दस सदस्यों को झारखंड, राजस्थान और वाराणसी से पकड़ा गया था। उनकी निशानदेही पर तीन अगवा बच्चे भी सुरक्षित बरामद किए गए थे। आरोपियों में मुख्य सरगना के साथ तीन महिलाएं भी शामिल थीं। अदालत अब दोषी पाए गए सातों आरोपियों को 24 नवंबर को सजा सुनाएगी।
पूरा मामला 14 मई की रात से शुरू हुआ था जब भेलूपुर के रवींद्रपुरी स्थित रामचंद्र शुक्ल चौराहे पर अपने माता पिता के साथ सो रहे चार साल के बच्चे को कार सवार बदमाश उठा ले गए थे। बच्चे के अचानक गायब होने से परिवार दहशत में था और दो दिन तक लगातार खोजबीन की गई। इसी दौरान सब इंस्पेक्टर शिवम श्रीवास्तव को जानकारी मिली कि एक दंपती अपने बच्चे की तलाश में है। उन्होंने इलाके के सीसीटीवी फुटेज की जांच कराई तो स्पष्ट दिखाई दिया कि एक कार रुकती है और कुछ ही क्षणों में बच्चा उठाकर ले जाया जाता है।
फुटेज के आधार पर कार का नंबर मिला और पुलिस कार मालिक तक पहुंची। पूछताछ में पता चला कि कार किराए पर दी गई थी। मालिक की भूमिका संदिग्ध नहीं पाई गई। इसके बाद जांच आगे बढ़ी और मंडुआडीह निवासी ड्राइवर संतोष गुप्ता और उसका साथी विनय मिश्रा पकड़े गए। विनय ने ही बच्चे को माता पिता के बीच से उठाया था।
इस गिरोह का नेटवर्क राजस्थान, झारखंड और बिहार तक फैला हुआ था। जांच में सामने आया कि यह गैंग बच्चों को अगवा कर दो से पांच लाख रुपये में निसंतान दंपतियों या जरूरतमंद लोगों को बेच देता था। फिर जो पैसा मिलता था, उसे अपने नेटवर्क में बांट लेते थे। झारखंड के हजारीबाग से यशोदा देवी को एक बच्चे के साथ गिरफ्तार किया गया। यह बच्चा विंध्याचल से अगवा किया गया था। उसकी बहन का पता लगाने की कोशिश अभी जारी है। राजस्थान के भीलवाड़ा से गिरोह का सदस्य भवर लाल गिरफ्तार किया गया, जिसने सात बच्चों के अपहरण की जानकारी दी।
इस मामले में पुलिस ने बच्चे को अगवा करने वाली कार भी बरामद की थी जिसे बाद में सीज कर दिया गया। अदालत ने माना कि गवाहों के बयान, फोन लोकेशन, सीसीटीवी फुटेज और बरामदगी रिपोर्ट इस अपराध में सीधे तौर पर सातों आरोपियों के शामिल होने की पुष्टि करते हैं।
फास्ट ट्रैक कोर्ट का फैसला इस बात का संकेत है कि मानव तस्करी और बच्चा चोरी जैसे गंभीर अपराधों में सख्त कार्रवाई की जरूरत है। अदालत का कहना है कि ऐसे मामलों में समाज की सुरक्षा और बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है। अब सभी दोषियों को 24 नवंबर को सजा सुनाई जाएगी और माना जा रहा है कि सजा का स्तर गंभीर हो सकता है।