Thu, 18 Dec 2025 11:00:32 - By : Palak Yadav
वाराणसी में दिसंबर की शुरुआत के साथ ही मौसम का स्वरूप लगातार बदलता हुआ नजर आ रहा है और ठंड के साथ कोहरे का असर अब साफ तौर पर दिखाई देने लगा है। गुरुवार सुबह शहर घने कोहरे की चपेट में रहा जिससे दृश्यता घटकर करीब 80 मीटर तक सिमट गई। सड़कों पर चलने वाले वाहन चालकों को खासा सतर्क रहना पड़ा और कई स्थानों पर यातायात की गति बेहद धीमी हो गई। सुबह के समय मुख्य मार्गों से लेकर गलियों तक कोहरे की चादर छाई रही। दोपहिया वाहन चालकों को हेलमेट के शीशे पर जमी नमी के कारण बार बार रुकना पड़ा जबकि चारपहिया वाहनों को भी फॉग लाइट और धीमी रफ्तार के सहारे आगे बढ़ना पड़ा। मौसम विभाग के अनुसार इस दौरान शहर का अधिकतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं वायु गुणवत्ता सूचकांक 275 रहा जो स्वास्थ्य के लिहाज से खराब श्रेणी में आता है। बढ़ता प्रदूषण और ठंड के साथ मिला कोहरा बुजुर्गों बच्चों और सांस की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए परेशानी बढ़ा सकता है। सुबह की सैर और खुले में काम करने वाले लोगों पर भी इसका सीधा असर देखा गया।
बीएचयू के मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर मनोज श्रीवास्तव के अनुसार आने वाले तीन दिनों तक वाराणसी और आसपास के क्षेत्रों में घना कोहरा बने रहने की पूरी संभावना है। उन्होंने बताया कि पिछले दो दिनों से शाम ढलते ही कोहरा तेजी से फैलने लगा है और रात के बाद सुबह तक स्थिति और गंभीर हो जाती है। शनिवार के बाद रविवार को भी शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक घना कोहरा देखने को मिला जिससे सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा। इस मौसम परिवर्तन का असर रेल यातायात पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। वाराणसी जंक्शन कैंट बनारस वाराणसी सिटी और काशी स्टेशनों से होकर गुजरने वाली दर्जनभर ट्रेनें घंटों की देरी से संचालित हुईं। आनंद विहार टर्मिनल दानापुर जनसाधारण एक्सप्रेस लगभग 11 घंटे 30 मिनट नई दिल्ली बनारस काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस करीब 11 घंटे और नई दिल्ली राजगीर श्रमजीवी एक्सप्रेस लगभग 8 घंटे विलंब से पहुंची। यात्रियों को स्टेशनों पर लंबा इंतजार करना पड़ा और कई लोगों की आगे की यात्राएं भी प्रभावित हुईं। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक पश्चिमी विक्षोभ की स्थिति में बदलाव नहीं आता तब तक कोहरे से राहत की उम्मीद कम है। ऐसे में प्रशासन और नागरिकों दोनों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है ताकि दुर्घटनाओं और स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों से बचा जा सके।