Wed, 17 Dec 2025 11:45:20 - By : Palak Yadav
वाराणसी में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों का आंदोलन लगातार जारी है। मंगलवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के बैनर तले काशी के बिजली कर्मियों ने आंदोलन के 384वें दिन भी जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि शहर में लगाए गए करीब एक लाख ग्यारह हजार स्मार्ट मीटरों में से 59984 उपभोक्ताओं के मीटर उनकी सहमति के बिना पोस्टपेड से प्रीपेड मोड में बदल दिए गए हैं। कर्मचारियों ने इसे विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) और 55(1) का स्पष्ट उल्लंघन बताया और आरोप लगाया कि उपभोक्ताओं पर जबरन नई व्यवस्था थोपी जा रही है।
संघर्ष समिति के सचिव अंकुर पांडेय ने कहा कि प्रीपेड मीटर केवल उपभोक्ता की लिखित सहमति से या नए बिजली कनेक्शन की स्थिति में ही लगाए जा सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुराने मीटरों को जबरन बदला जा रहा है और विरोध करने पर बिजली आपूर्ति काटने की धमकी दी जाती है जो पूरी तरह गैरकानूनी है। कर्मचारियों का कहना है कि इस प्रक्रिया से न केवल उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन हो रहा है बल्कि निजीकरण के जरिए बिजली व्यवस्था को महंगी और आम लोगों की पहुंच से दूर किया जा रहा है।
संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि पोस्टपेड व्यवस्था को डिफाल्ट मानते हुए जबरन प्रीपेड मीटर लगाने पर तत्काल रोक लगाई जाए और पूर्वांचल तथा दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव पूरी तरह निरस्त किया जाए। समिति ने ऐलान किया कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों के साथ मिलकर बड़ा मोर्चा बनाया जाएगा। प्रदेश भर में बिजली पंचायतें और रैलियां आयोजित की जाएंगी और निजीकरण वापस होने तथा कर्मचारियों और उपभोक्ताओं पर हो रहे उत्पीड़न के समाप्त होने तक आंदोलन जारी रहेगा। सभा को आनंद सिंह राजेश सिंह सहित कई कर्मचारी नेताओं ने संबोधित किया।