Mon, 08 Dec 2025 18:57:51 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: शहर में कोडीनयुक्त कफ सिरप की अवैध ब्रिकी से जुड़े एक बड़े नेटवर्क का कोतवाली पुलिस ने भंडाफोड़ कर दिया है। सोमवार को पुलिस ने हरी ओम फार्मा के प्रोपराइटर विशाल कुमार जायसवाल और काल भैरव ट्रेडर्स के बादल आर्य को गिरफ्तार कर पूरे ऑपरेशन की परतें खोल दीं। शुरुआती जांच में सामने आया है कि दोनों आरोपी फर्जी कागज़ात के आधार पर ड्रग लाइसेंस प्राप्त कर भारी मात्रा में कफ सिरप की खरीद–फरोख्त कर रहे थे, जिससे करोड़ों रुपये का गैरकानूनी लाभ कमाया गया।
डीसीपी काशी जोन गौरव वंशवाल ने बताया कि इस पूरे रैकेट की रीढ़ तीन लोग हैं, शुभम जायसवाल, देवेश जायसवाल और अमित जायसवाल जो इस अवैध नेटवर्क के मुख्य साझेदार के रूप में सामने आए हैं। पुलिस के मुताबिक, तीनों ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र सहित अन्य कूटरचित दस्तावेज तैयार कराकर इन आरोपियों की फर्मों को ड्रग लाइसेंस दिलवाया और फिर उन्हीं के माध्यम से कफ सिरप की बड़े पैमाने पर आपूर्ति तथा बिक्री कराई।
जांच में सामने आया है कि आरोपी विशाल जायसवाल की फर्म हरी ओम फार्मा ने झारखंड की रांची स्थित शैली ट्रेडर्स फर्म से कुल 4,18,000 शीशियां कोडीनयुक्त कफ सिरप खरीदीं। इसे अवैध रूप से अलग-अलग चैनलों के माध्यम से बेचकर लगभग पांच करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की गई। पुलिस इस पूरे आर्थिक प्रवाह की गहन जांच कर रही है।
इसी तरह, बादल आर्य की फर्म काल भैरव ट्रेडर्स ने शैली ट्रेडर्स से 1,23,000 शीशियां कफ सिरप खरीदीं और लगभग दो करोड़ रुपये से अधिक में इसे बेच दिया। इतना ही नहीं, दोनों फर्मों के नाम पर फर्जी ई-वे बिल बनाए गए, जिनकी सच्चाई वाहनों के मालिकों के बयान लेने पर और स्पष्ट हो गई। कई वाहनों पर बिल बनने के बावजूद माल कभी लदा ही नहीं था।
पुलिस पूछताछ में दोनों आरोपियों ने स्वीकार किया कि इस पूरे नेटवर्क की शुरुआत डीएसए फार्मा, खोजवा (भेलुपुर) के जरिए हुई। वहीं उनकी मुलाकात श्रीहरी फार्मा एंड सर्जिकल एजेंसी (सोनिया) के प्रोपराइटर अमित जायसवाल और शैली ट्रेडर्स के कंपीटेंट पर्सन शुभम जायसवाल से हुई थी। उसी दौरान उन्हें “कम समय में ज्यादा कमाई” का लालच दिया गया और कफ सिरप के अवैध व्यापार में शामिल होने के लिए तैयार किया गया।
आरोपियों के अनुसार, पूरी योजना पहले से तैयार थी, कौन-सी दुकान से क्या लेना है, माल किस नाम पर मंगाना है, किस रास्ते भेजना है, सबकी जिम्मेदारी नेटवर्क के संचालकों पर थी। आरोपियों के बैंक खातों में जब-जब पैसा आता, उसे तत्काल शैली ट्रेडर्स के खाते में ट्रांसफर कराया जाता। ओटीपी तक देवेश जायसवाल मांग कर खुद ट्रांसफर सुनिश्चित करता था।
पूछताछ में यह भी सामने आया है कि दोनों फर्में सिर्फ दिखावे के लिए थीं। वास्तव में कफ सिरप कभी भी इन फर्मों तक पहुंचता ही नहीं था। माल किसी और जगह भेजा जाता था लेकिन बिल और टैक्स इनवॉइस इन्हीं फर्मों के नाम पर तैयार किए जाते थे। एक वर्ष के अंदर इस अवैध नेटवर्क ने लगभग सात करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार किया है।
पुलिस का मानना है कि मामला सिर्फ दो फर्मों या कुछ व्यक्तियों तक सीमित नहीं है। कफ सिरप की इतनी बड़ी मात्रा का अवैध वितरण इस बात की ओर इशारा करता है कि नेटवर्क कई राज्यों तक फैला हो सकता है। शैली ट्रेडर्स (रांची) से हो रही सप्लाई और अवैध ई-वे बिलों की श्रृंखला यह संकेत देती है कि पीछे कहीं न कहीं एक बड़ा रैकेट सक्रिय है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों से लगातार पूछताछ जारी है और जल्द ही इस खेल से जुड़े और कई नाम सामने आ सकते हैं। इस बात की भी जांच हो रही है कि कफ सिरप आखिरकार किन-किन जिलों में पहुंचाया गया और किन चैनलों के माध्यम से इसकी बिक्री हुई।
वाराणसी पुलिस की इस कार्रवाई ने न सिर्फ एक बड़े अवैध नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि फर्जी दस्तावेज और ढीले-ढाले सिस्टम का फायदा उठाकर किस तरह दवाओं की आड़ में खतरनाक व्यापार चलाया जा रहा था। करोड़ों के इस खेल में शामिल हर चेहरे की पहचान पुलिस की प्राथमिकता है। शहर में दवाओं की अवैध ब्रिकी को रोकने की दिशा में यह कार्रवाई एक बड़ी शुरुआत मानी जा रही है।