Mon, 29 Sep 2025 12:21:48 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: कमिश्नरेट पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट रोप-वे को लेकर सोशल मीडिया पर फैलाए गए भ्रामक वीडियो के मामले में सख्त रुख अपनाया है। पुलिस ने ऐसे दो अलग-अलग X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट धारकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है, जिन्होंने छत्तीसगढ़ की एक दुर्घटना का वीडियो वाराणसी का बताते हुए पोस्ट कर दिया था। इस कार्रवाई के बाद साइबर पर निगरानी और सख्त कर दी गई है।
घटना का खुलासा तब हुआ जब X हैंडल @sheetal2242 (डॉ. शीतल यादव) से 26 सेकेंड का एक वीडियो पोस्ट किया गया। इस वीडियो में दावा किया गया कि “वाराणसी में मोदी जी का 4 किलोमीटर लंबा रोपवे 800 करोड़ की लागत से बना। उद्घाटन होते ही डिब्बा टूटकर नीचे गिर गया और मजे की बात है कि इसमें भाजपा नेता भी गिर पड़े।” इस पोस्ट ने तेजी से ध्यान खींचा और सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई।
हालांकि, पुलिस की जांच में स्पष्ट हो गया कि यह वीडियो वाराणसी का नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर की दुर्घटना का है। वहां हाल ही में गंडोला दुर्घटना हुई थी, जिसमें कुछ लोग घायल हुए थे। इस गलत जानकारी को वाराणसी का बताकर साझा किए जाने से न केवल जनता को भ्रम हुआ बल्कि प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट की छवि धूमिल करने का प्रयास भी माना गया।
डीसीपी काशी जोन के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए रोडवेज चौकी प्रभारी पुष्कर दुबे की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया। सिगरा थाना प्रभारी संजय कुमार मिश्रा ने बताया कि यह पोस्ट पूरी तरह भ्रामक और तथ्यहीन थी।
इसी बीच एक अन्य X हैंडल @ashokdanoda से भी वही वीडियो पोस्ट किया गया। इस पोस्ट में लिखा गया, "हादसा हुआ छत्तीसगढ़ के मां बम्लेश्वरी मंदिर में… लेकिन सोशल मीडिया की ताक़त देखिए, बनारस का नाम जोड़ते ही भावनाएं बह निकलीं! लगता है अब सच नहीं, नाम ही सबसे बड़ा मंदिर है जहाँ लोग भरोसा करते हैं।" पुलिस ने इस अकाउंट के खिलाफ भी अलग से मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
दोनों मामलों में पुलिस ने BNS की धारा 356 और 353(2) के तहत FIR दर्ज की है। पुलिस का कहना है कि इस तरह की भ्रामक पोस्ट जनता में भ्रम फैलाती हैं और विकास कार्यों की छवि को नुकसान पहुँचाती हैं, ऐसे में सख्त कार्रवाई आवश्यक है।
एफआईआर दर्ज होने के बाद डॉ. शीतल यादव के ट्रस्टेड अकाउंट से माफी मांगते हुए एक नई पोस्ट की गई। इसमें लिखा गया,"बिना जांच पड़ताल के वीडियो पोस्ट किया गया, इसके लिए मैं माफी मांगती हूं। यह घटना वाराणसी की नहीं है। जिनकी भावनाएं आहत हुईं, उनसे क्षमा चाहती हूं। मैंने वीडियो डिलीट कर दिया है।"
पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया पर गलत और भ्रामक सूचना फैलाने वालों पर आगे भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं, यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर किसी भी सूचना को साझा करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करना बेहद जरूरी है।