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वाराणसी: रामनगर- ऐतिहासिक महाकाली मंदिर से पीतल का घंटा चोरी, श्रद्धालुओं में रोष

वाराणसी: रामनगर- ऐतिहासिक महाकाली मंदिर से पीतल का घंटा चोरी, श्रद्धालुओं में रोष

रामनगर के 1756 में स्थापित महाकाली मंदिर से 5 किलो का पीतल का घंटा चोरी, श्रद्धालुओं में गहरा आक्रोश फैल गया है।

वाराणसी: रामनगर- धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत से ओतप्रोत नगर रामनगर के तपोवन वार्ड स्थित मुंशी खाना मोहल्ले में स्थित मां महाकाली मंदिर से शनिवार रात्रि एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और साहसिक घटना ने श्रद्धालुओं की भावनाओं को गहरा आघात पहुंचाया है। 1756 में अमूल चंद्र सिन्हा के पूर्वजों द्वारा स्थापित इस ऐतिहासिक मंदिर से लगभग 5 किलो वजनी पीतल का घंटा चोरी हो गया। यह न केवल एक धार्मिक प्रतीक की चोरी है, बल्कि जनता की आस्था और सुरक्षा भावना पर सीधा हमला है।

मंदिर के संरक्षक अमूल चंद्र सिन्हा, प्रेम सिन्हा और सपन सिन्हा ने जानकारी दी कि रविवार की सुबह जब स्थानीय श्रद्धालु रोज़ाना की भांति पूजा-अर्चना हेतु मंदिर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि मंदिर का सबसे भारी और प्रमुख पीतल का घंटा गायब है। घंटा मंदिर की एक प्रमुख ध्वनि-धारणा थी, जो हर आरती में मां महाकाली की शक्ति का प्रतीक बनती थी। इसके गायब होने की सूचना फैलते ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु और स्थानीय निवासी मौके पर जुट गए, और गहरी नाराजगी ज़ाहिर की।

विशेष रूप से चिंता और क्रोध का विषय यह है कि यह मंदिर रामनगर थाना से महज़ 50 मीटर की दूरी पर स्थित है। बावजूद इसके, इतनी दुस्साहसिक चोरी का होना आम जनता में प्रशासन के प्रति अविश्वास पैदा कर रहा है। लोगों का कहना है कि यह केवल एक घंटा नहीं, बल्कि मां महाकाली की आराधना की आत्मा की चोरी है। पीतल के इस घंटे की न केवल ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता थी, बल्कि यह क्षेत्र की विरासत का भी प्रतीक था।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस गश्त और सुरक्षा व्यवस्था में भारी लापरवाही बरती जा रही है। इस चोरी की घटना ने साफ कर दिया है कि असामाजिक तत्वों को कानून और सुरक्षा व्यवस्था का कोई भय नहीं रह गया है। यह सिर्फ एक मंदिर से घंटा चोरी नहीं, बल्कि आम श्रद्धालु की भावनाओं की खुली लूट है।

मामले को लेकर रामनगर थाने में तहरीर दर्ज कराई जा चुकी है, और जांच शुरू होने की बात कही गई है। वहीं, स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि 48 घंटे के भीतर चोरी का खुलासा नहीं होता और घंटा बरामद नहीं किया गया, तो वे रामनगर थाना की कार्यप्रणाली के खिलाफ उच्च अधिकारियों से मिलकर विरोध दर्ज कराएंगे। साथ ही, क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने की भी मांग करेंगे ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारी धार्मिक विरासत और सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर हो चुकी है कि असामाजिक तत्व अब निर्भीक होकर भगवान के घर को भी नहीं बख्श रहे? क्या प्रशासन धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को गंभीरता से लेने को तैयार है?

मंदिर से घंटा चोरी की यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर आक्रोश का कारण बनी है, बल्कि इसने रामनगर की धार्मिक गरिमा को भी गहरी ठेस पहुंचाई है। अब क्षेत्र की निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं।

अब देखना यह होगा कि पुलिस इस मामले को कितनी गंभीरता से लेती है और श्रद्धालुओं के विश्वास को फिर से बहाल कर पाने में कितनी तत्परता दिखाती है।

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