News Report
TRUTH BEHIND THE NEWS

लखनऊ: बिजली कर्मचारियों ने ऊर्जा मंत्री के खिलाफ किया प्रदर्शन, मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील

लखनऊ: बिजली कर्मचारियों ने ऊर्जा मंत्री के खिलाफ किया प्रदर्शन, मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील

उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारी ऊर्जा मंत्री एके शर्मा से नाराज, मुख्यमंत्री योगी से विभाग संभालने की अपील की।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था को लेकर उठे विवाद ने अब तूल पकड़ लिया है। प्रदेश के बिजली अभियंताओं और कर्मचारियों ने खुलकर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के खिलाफ नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि मंत्री ने बिजली कर्मियों का विश्वास खो दिया है और विभागीय संचालन में पारदर्शिता की कमी के चलते हालात बिगड़ते जा रहे हैं। इस मुद्दे पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की कोर कमेटी की एक अहम बैठक रविवार को राजधानी लखनऊ के फील्ड हॉस्टल में आयोजित की गई, जिसमें आंदोलन की अब तक की दिशा और भविष्य की रणनीति पर विचार किया गया।

बैठक में समिति के सदस्यों ने यह स्पष्ट किया कि निजीकरण के खिलाफ चल रहा आंदोलन किसी भी कीमत पर थमेगा नहीं। कर्मचारियों ने प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि वे स्वयं ऊर्जा विभाग का कार्यभार संभालें और वर्तमान में प्रस्तावित निजीकरण को तत्काल प्रभाव से रद्द करें। कर्मियों का कहना है कि यदि ऐसा किया गया, तो वे दोगुने उत्साह और समर्पण के साथ उपभोक्ता सेवाओं को और बेहतर बनाने का कार्य करेंगे। उनका यह भी दावा है कि प्रदेश की जनता को सतत और गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति देने के लिए कर्मचारी पूरी निष्ठा से प्रयास कर रहे हैं, लेकिन शीर्ष स्तर पर लिए जा रहे फैसले उनकी मेहनत पर पानी फेर रहे हैं।

संघर्ष समिति के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने तीखे शब्दों में कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य ने देश में सर्वाधिक विद्युत आपूर्ति का रिकॉर्ड कायम किया है, इसके बावजूद ऊर्जा विभाग के कुछ उच्चाधिकारी वितरण निगमों को जानबूझकर असफल साबित करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इन अधिकारियों का असली उद्देश्य निजीकरण को बढ़ावा देना है, जो न केवल कर्मचारियों के हितों के विपरीत है, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी घातक साबित होगा। वक्ताओं ने कहा कि जो अधिकारी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने में विफल हो रहे हैं, उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

ऊर्जा मंत्री एके शर्मा पर समिति ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने संघर्ष समिति के साथ पूर्व में हुए लिखित समझौते को ठुकरा दिया और वादाखिलाफी की। इससे न केवल कर्मचारियों का भरोसा टूटा है, बल्कि विभाग के भीतर कार्य करने की भावना भी कमजोर हुई है। समिति ने यह भी बताया कि वर्तमान समय में ऊर्जा मंत्री और पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है, और इस अंतर्कलह की कीमत आम जनता को भुगतनी पड़ रही है, जो दिन-रात बिजली कटौती और खराब सेवाओं से जूझ रही है।

समिति ने मुख्यमंत्री से सीधे हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि यदि समय रहते ऊर्जा मंत्री और पावर कॉर्पोरेशन के अधिकारियों की लड़ाई पर लगाम नहीं लगाई गई, तो इसका असर प्रदेश की संपूर्ण बिजली आपूर्ति प्रणाली पर पड़ेगा। आंदोलनरत कर्मचारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि वे जनता को किसी भी हाल में नुकसान नहीं होने देंगे, लेकिन जब उन्हें ही विभागीय निर्णयों से दरकिनार किया जाएगा और उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जाएगा, तो संघर्ष अनिवार्य हो जाएगा।

ऊर्जा विभाग में जारी इस असंतोष और आंतरिक खींचतान ने न केवल सरकार के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है, बल्कि इससे प्रदेश की विद्युत व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अब निगाहें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फैसले पर टिकी हैं, जिनसे कर्मचारियों को उम्मीद है कि वे विभाग को नई दिशा देंगे और निजीकरण जैसे निर्णयों पर पुनर्विचार करेंगे।

FOLLOW WHATSAPP CHANNEL
News Report Youtube Channel

LATEST NEWS