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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा, स्वास्थ्य कारणों का दिया हवाला

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा, स्वास्थ्य कारणों का दिया हवाला

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति सचिवालय ने उनके त्यागपत्र की पुष्टि की, वे 11 अगस्त 2022 को उपराष्ट्रपति बने थे।

नई दिल्ली: भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में इस बात की पुष्टि की गई कि उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देते हुए अपना त्यागपत्र सौंपा है। धनखड़ ने अपने इस्तीफे में लिखा कि वह चिकित्सकीय सलाह के मद्देनज़र सक्रिय सार्वजनिक जीवन से कुछ समय के लिए विराम लेना चाहते हैं।

11 अगस्त 2022 को उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले जगदीप धनखड़ भारतीय राजनीति का एक जाना-पहचाना चेहरा हैं। उन्होंने 6 अगस्त 2022 को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को पराजित कर यह पद ग्रहण किया था। इससे पहले वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में कार्य कर चुके हैं, जहां उनका कार्यकाल लगातार राजनीतिक गतिविधियों और चर्चा में रहा।

राजनीति में कदम रखने से पहले धनखड़ एक प्रख्यात वकील के रूप में सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाई कोर्ट में प्रैक्टिस कर चुके थे। उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत जनता दल से हुई। 1989 में वे झुंझुनू से लोकसभा सांसद चुने गए और तत्कालीन प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह और बाद में चंद्रशेखर की सरकार में केंद्रीय मंत्री के तौर पर भी कार्यभार संभाला।

हालांकि, 1991 के आम चुनावों में टिकट काटे जाने के बाद उन्होंने जनता दल को अलविदा कहा और कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने 1993 में किशनगढ़ (अजमेर) से विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक के रूप में नई भूमिका निभाई। लेकिन कांग्रेस में लंबे समय तक सक्रिय रहने के बाद 2003 में वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए, जहां से उनका राजनीतिक कद लगातार बढ़ता गया।

2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जहां राज्य सरकार और राजभवन के बीच अक्सर टकराव की स्थितियां बनी रहीं। धनखड़ ने अपने स्पष्ट विचारों और संवैधानिक सीमाओं पर दिए गए बयानों से कई बार सुर्खियां बटोरीं। उनके कार्यकाल को बंगाल की राजनीति के परिप्रेक्ष्य में अत्यंत प्रभावशाली और निर्णायक माना जाता है।

व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो, जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम गोकल चंद और माता का नाम केसरी देवी है। उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ एक शिक्षिका और समाजसेवी हैं।

धनखड़ एक खेल प्रेमी भी हैं और उन्होंने राजस्थान ओलंपिक संघ और राजस्थान टेनिस संघ के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। इसके अलावा उन्हें संगीत सुनना, साहित्य पढ़ना और अंतरराष्ट्रीय यात्राएं करना भी बेहद पसंद है। उन्होंने अब तक अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, इटली, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, चीन, सिंगापुर समेत कई देशों की यात्रा की है।

धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय आया है जब राष्ट्रीय राजनीति कई बड़े मोड़ों से गुजर रही है। अब यह देखना अहम होगा कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा और क्या धनखड़ भविष्य में फिर से किसी अन्य भूमिका में सक्रिय राजनीति में वापसी करेंगे या नहीं। फिलहाल, देश एक ऐसे राजनेता को विदाई दे रहा है जिसकी पहचान न केवल उनके कानूनी ज्ञान बल्कि उनके संवैधानिक दृष्टिकोण और सटीक वक्तव्यों के लिए भी की जाती रही है।

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