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वाराणसी: समाजवादी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ ने मनाई फूलन देवी की 62वीं जयंती, बच्चों को दी सामग्री

वाराणसी: समाजवादी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ ने मनाई फूलन देवी की 62वीं जयंती, बच्चों को दी सामग्री

वाराणसी के रामनगर में समाजवादी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ ने वीरांगना फूलन देवी की 62वीं जयंती मनाई, बच्चों को शिक्षण सामग्री बांटी।

वाराणसी/रामनगर: रविवार को समाजवादी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ वाराणसी के महानगर अध्यक्ष विवेक कहार ‘रॉकी’ के नेतृत्व में वीरांगना फूलन देवी की 62वीं जयंती का आयोजन रामनगर के गोलाघाट, नई बस्ती स्थित डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के समीप हर्षोल्लास के साथ किया गया। इस मौके पर कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों ने फूलन देवी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम के दौरान दलित बस्ती के छोटे-छोटे बच्चों में शिक्षण सामग्री और मिठाइयों का वितरण किया गया। आयोजकों ने कहा कि फूलन देवी का जीवन अन्याय, शोषण और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ संघर्ष की मिसाल है। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने उनके जीवन के एक-एक संघर्ष को याद किया और विशेष रूप से पीडीए समाज (पिछड़े, दलित, आदिवासी) को जागरूक करने तथा उनके हक-हकूक की लड़ाई को और मजबूती से लड़ने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया।

फूलन देवी का संघर्षमयी जीवन
फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के एक गरीब मल्लाह परिवार में हुआ था। बचपन से ही सामाजिक भेदभाव और आर्थिक तंगी का सामना करने वाली फूलन देवी ने कम उम्र में ही अन्याय का विरोध करना शुरू कर दिया था। किशोरावस्था में ही वे कई तरह के अत्याचारों और उत्पीड़न का शिकार हुईं, जिसके बाद उन्होंने अपने जीवन को अन्याय के खिलाफ लड़ाई के लिए समर्पित कर दिया।

80 के दशक में वे बुंदेलखंड क्षेत्र में सक्रिय रहीं और गरीबों, पिछड़ों तथा दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करती रहीं। 1994 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर से सांसद चुनी गईं और संसद में भी वंचित वर्ग की आवाज बुलंद की। वे महिला सशक्तिकरण की प्रतीक बनकर उभरीं और उनका नाम आज भी सामाजिक न्याय की लड़ाई का पर्याय माना जाता है। 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई, लेकिन उनका संघर्ष और विचारधारा आज भी लोगों को प्रेरित करती है।

कार्यक्रम में जुटा जनसमर्थन
चर्चा के दौरान वक्ताओं ने कहा कि फूलन देवी का जीवन यह सिखाता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी साहस और दृढ़ निश्चय से अन्याय के खिलाफ खड़ा हुआ जा सकता है। उन्होंने गरीब, दलित, पिछड़े और महिलाओं की आवाज को न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रदेश सचिव मुरारी लाल कश्यप, सुजीत सिंह, संगीता सिंह, किरण बाला, पार्षद रामकुमार यादव, राष्ट्रीय सचिव रामबाबू सोनकर, जय सिंह ‘टाइगर’, सौरभ आनंद, मनीष यादव, उमेश यादव, कृष्ण कुमार, सूरज बिंद, घनश्याम बिंद, हमजा खान, आदर्श भारती, विवेक सेठ, रवि यादव, करण भारती, प्रमोद कुमार, राजेश कुमार, रंजीत कुमार और राहुल कुमार सहित अनेक कार्यकर्ता मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में घोषणा की कि वीरांगना फूलन देवी के सपनों का समाज बनाने के लिए संघर्ष जारी रहेगा।

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