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वाराणसी: दालमंडी चौड़ीकरण विरोध में सपा नेता इमरान गिरफ्तार, चौक थाने पर जुटी भीड़

वाराणसी: दालमंडी चौड़ीकरण विरोध में सपा नेता इमरान गिरफ्तार, चौक थाने पर जुटी भीड़

वाराणसी की दालमंडी में सड़क चौड़ीकरण के विरोध के दौरान सपा नेता इमरान को पुलिस ने गिरफ्तार किया, जिससे इलाके में तनाव बढ़ गया।

वाराणसी: दालमंडी में चल रहे सड़क चौड़ीकरण कार्य के विरोध ने शुक्रवार को अचानक तनावपूर्ण मोड़ ले लिया, जब पुलिस ने सपा नेता इमरान उर्फ बबलू को मौके से गिरफ्तार कर लिया। नई सड़क क्षेत्र में हुए इस घटनाक्रम के दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच काफी नोकझोंक देखने को मिली। इमरान को पुलिस द्वारा खींचकर ले जाने के क्षणों के दौरान वह खुद को छोड़ देने की गुहार लगाता रहा, लेकिन पुलिस ने विरोध के बावजूद अपनी कार्रवाई जारी रखी।

गिरफ्तारी की खबर फैलते ही आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में लोग मौके पर जमा हो गए। भीड़ ने पुलिस पर दबाव बनाते हुए इमरान को छोड़ने की मांग की और कुछ देर के लिए पुलिस भीड़ के बीच घिर गई। इस तनावपूर्ण माहौल के बीच एक पुलिसकर्मी की बाइक से इमरान को तेजी से चौक थाने ले जाया गया। गिरफ्तारी की खबर सुनकर उसके समर्थक थाने पर भी इकट्ठा हो गए, जिससे वहां भीड़ और तनाव दोनों बढ़ गए।

एफआईआर दो दिन पहले दर्ज, ध्वस्तीकरण में बाधा डालने का आरोप
यह गिरफ्तारी उस एफआईआर के संदर्भ में हुई, जिसे जोन-3 के जोनल अधिकारी सौरभ देव प्रजापति ने 19 नवंबर को दर्ज कराया था। एफआईआर के अनुसार दालमंडी में सड़क चौड़ीकरण और भवन ध्वस्तीकरण का काम चल रहा था। इस दौरान लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता और अन्य कर्मियों की मौजूदगी में कुछ महिलाओं और युवकों ने आपत्ति जताई, जिसके बाद हालात तनावपूर्ण हो गए और पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा।

वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) ने बताया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान काजीपुरा कला निवासी मो. सालिम और इमरान उर्फ बबलू के साथ कुछ महिलाओं ने सरकारी काम में बाधा पहुंचाने की कोशिश की। संबंधित भवन पर 6 मार्च 1984 को नोटिस जारी किया गया था, लेकिन आज तक भवन स्वामी द्वारा शमन मानचित्र तक जमा नहीं किया गया। इसी आधार पर पुलिस ने दो नामजद समेत 30 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।

187 भवन चिह्नित, 191 करोड़ का मुआवजा प्रस्तावित
नगर निगम की ओर से दालमंडी क्षेत्र में 187 भवनों को ध्वस्तीकरण के लिए चिह्नित किया गया है। इनमें मालिकों को कुल लगभग 191 करोड़ रुपये मुआवजा दिया जाना है। इनमें से 14 दुकानदार ऐसे हैं जिन्होंने मुआवजा स्वीकार कर ध्वस्तीकरण के लिए लिखित अनुमति भी दे दी है। इसी आधार पर प्रशासन ने सबसे पहले इन्हीं भवनों को गिराने की प्रक्रिया शुरू की है। अब तक दो मकान ही ध्वस्त किए जा सके थे।

दालमंडी का इतिहास और सांस्कृतिक विरासत
दालमंडी क्षेत्र अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान के कारण लंबे समय से सुर्खियों में रहा है। अंग्रेजों के काल में इसे ‘डॉलमंडी’ कहा जाता था। प्रसिद्ध अभिनेत्री नरगिस की मां तथा संजय दत्त की नानी जद्दनबाई का इस क्षेत्र से विशेष संबंध रहा। बनारस घराने के दिग्गज तबलावादक लच्छू महाराज का भी दालमंडी से गहरा नाता बताया जाता है। स्थानीय अधिवक्ताओं का कहना है कि 31 मार्च को चौड़ीकरण से संबंधित आदेश जारी करते समय प्रशासन ने न तो व्यापारियों से संवाद किया और न ही स्थानीय निवासियों की राय ली।

मॉडल रोड का स्वरूप, दोनों ओर 3.2 मीटर का फुटपाथ
राज्य सरकार दालमंडी की गली को एक मॉडल रोड के रूप में विकसित करने की योजना पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अगस्त में इसका शिलान्यास किया गया था। परियोजना के लिए 215.88 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर से मात्र 100 मीटर की दूरी पर स्थित यह सड़क मंदिर के गेट नंबर 4 के सामने आती है।

लेआउट के अनुसार नई सड़क बेहद आकर्षक और सुव्यवस्थित रूप में विकसित की जाएगी। सड़क के दोनों ओर 3.2 मीटर चौड़ा फुटपाथ, हरियाली तथा सौंदर्यीकरण की व्यवस्था होगी। अधिकारियों के अनुसार इस सड़क की सुंदरता दिल्ली और बेंगलुरु जैसी प्रमुख महानगरों की सड़कों की याद दिलाएगी।

अखिलेश यादव का आरोप, यह “पॉलिटिकल डिमॉलिशन”
घटनाक्रम पर सियासी प्रतिक्रिया भी तेज हो गई है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को दालमंडी के व्यापारियों से लखनऊ में मुलाकात की। उन्होंने पूरी कार्रवाई को “पॉलिटिकल डिमॉलिशन” करार देते हुए कहा कि यह योजना इतिहास या धरोहर बचाने के नाम पर नहीं, बल्कि संकीर्ण राजनीतिक उद्देश्य से चलाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि दालमंडी के व्यापारियों और निवासियों को डराया-धमकाया जा रहा है और उनकी रोज़ी-रोटी पर सीधा हमला हो रहा है। अखिलेश ने तंज करते हुए कहा, कि“दालमंडी वालों को दाल की तरह दला जा रहा है।”
उन्होंने मांग की कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई तत्काल रोकी जाए और सरकार स्पष्ट करे कि सड़क चौड़ीकरण के नाम पर लोगों की आजीविका छीनने का अधिकार उसे किसने दिया।

अखिलेश यादव ने यह भी दावा किया कि वाराणसी मेट्रो का डीपीआर उनकी सरकार ने तैयार किया था, जबकि भाजपा सरकार ने वरुणा नदी की सफाई और रिवर फ्रंट के काम को भी आगे नहीं बढ़ने दिया।

दालमंडी चौड़ीकरण को लेकर तनाव लगातार बढ़ रहा है और स्थानीय लोगों, प्रशासन तथा राजनीतिक दलों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। आने वाले दिनों में इस मामले में प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर हलचल तेज रहने की संभावना है।

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