वाराणसी: रामनगर क्षेत्र में इस वर्ष बाल्मीकि जयंती का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास, धूमधाम और एकता के वातावरण में मनाया गया। पूरे नगर में भक्ति और उत्सव का माहौल रहा। विशेष आयोजन बुथ संख्या 387 और 392 पर आयोजित किए गए, जहां महिलाओं की सशक्त भागीदारी और सामाजिक एकजुटता देखने को मिली।
बुथ संख्या 387 पर कार्यक्रम का नेतृत्व राखी कुमारी जी ने किया, वहीं बुथ संख्या 392 पर आयोजन का संचालन सोनम सिंह जी के नेतृत्व में संपन्न हुआ। दोनों ही स्थलों पर श्रद्धा, समाज सेवा और संगठन का अद्भुत संगम देखने को मिला। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व कोषाध्यक्ष श्री संजय वाल्मीकि जी उपस्थित रहे, जिन्होंने संत वाल्मीकि के आदर्शों और उनके जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
मुख्य अतिथि संजय वाल्मीकि जी ने अपने संबोधन में कहा कि संत वाल्मीकि भारतीय संस्कृति के महान आचार्य, आदिकवि और समाज सुधारक थे। उन्होंने ‘रामायण’ जैसी अमर कृति रचकर न केवल धर्म और नीति का मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि समाज में समानता, सत्य और करुणा का संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि बाल्मीकि जी की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं, क्योंकि वे हमें यह सिखाती हैं कि व्यक्ति अपने कर्म, सत्य और आचरण से ही महान बनता है, न कि जन्म से।
संजय वाल्मीकि ने यह भी कहा कि समाज में समानता और भाईचारे की भावना को बनाए रखना ही बाल्मीकि जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने उपस्थित जनसमूह से आग्रह किया कि वे बाल्मीकि जी के दिखाए मार्ग पर चलकर शिक्षा, सेवा और समरसता को जीवन का हिस्सा बनाएं।
इस विशेष अवसर पर महिलाओं की सक्रिय भागीदारी उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से श्रीमती सरोज सिंह, रीता मौर्या, पम्मी श्रीवास्तव, नेहा श्रीवास्तव, पूनम मौर्या, सुनीता मौर्य, मुस्कान सिंह, अंजू कुमारी, रेशमा कुमारी, रामदुलारी, रेखा कुमारी, अमृता दुबे और निक्की सिंह जैसी कई महिलाओं ने अपनी उपस्थिति और सहयोग से आयोजन को यादगार बना दिया।
बुथ 387 की संयोजक राखी कुमारी जी ने कहा कि "संत वाल्मीकि जी के विचार आज भी समाज को दिशा दिखाने वाले हैं। उन्होंने यह संदेश दिया कि हर व्यक्ति में अच्छाई की ज्योति जल सकती है, बस उसके लिए आत्मविश्वास और सत्कर्म आवश्यक है।" उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल जयंती मनाना नहीं, बल्कि समाज में शिक्षा, स्वाभिमान और सामाजिक न्याय के प्रति जागरूकता फैलाना भी है।
वहीं, बुथ 392 की संयोजक सोनम सिंह जी ने कहा कि "बाल्मीकि जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि जीवन में कभी देर नहीं होती सुधार और नई शुरुआत के लिए। एक डाकू से महर्षि बनने का उनका जीवन परिवर्तन प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणा है।" उन्होंने उपस्थित जनसमूह को प्रेरित करते हुए कहा कि समाज के हर वर्ग को समान सम्मान और अवसर मिले, यही बाल्मीकि जी के विचारों का सार है।
जयंती समारोह के दौरान बाल्मीकि जी के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया गया। आरती, भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने पूरे माहौल को भक्ति से ओतप्रोत कर दिया। महिलाओं और युवाओं ने वाल्मीकि जी के जीवन पर आधारित गीतों और प्रस्तुतियों से उपस्थित जनसमूह को भावविभोर कर दिया।
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं ने यह संकल्प लिया कि वे समाज में एकता, समानता और शिक्षा के प्रसार के लिए निरंतर कार्य करते रहेंगे।
महर्षि वाल्मीकि भारतीय सभ्यता के पहले कवि और रामायण के रचयिता माने जाते हैं। उन्होंने अपने जीवन से यह सिद्ध किया कि परिवर्तन की शुरुआत आत्मचिंतन और सत्य के मार्ग पर चलने से होती है। उनका संदेश "सत्कर्म से ही सच्ची महानता प्राप्त होती है," आज भी समाज में प्रासंगिक है।
इस प्रकार, रामनगर में मनाई गई बाल्मीकि जयंती न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बनी, बल्कि सामाजिक चेतना, महिला सशक्तिकरण और समानता के संदेश की मिसाल भी पेश की। इस अवसर को स्थानीय लोगों ने "अविस्मरणीय और प्रेरणादायक जयंती" के रूप में याद किया, जो आने वाले वर्षों तक समाज में एकता और जागरूकता का प्रतीक बनी रहेगी।
वाराणसी: रामनगर में हर्षोल्लास से मनाई गई बाल्मीकि जयंती, महिलाओं की रही उत्साहपूर्ण भागीदारी

वाराणसी के रामनगर में वाल्मीकि जयंती धूमधाम से मनाई गई, जिसमें महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और संजय वाल्मीकि ने संत के आदर्शों पर प्रकाश डाला।
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