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वाराणसी: बिजलीकर्मियों का अनिश्चितकालीन सत्याग्रह, मांगे पूरी न होने पर पूर्वांचल में आंदोलन की चेतावनी

वाराणसी: बिजलीकर्मियों का अनिश्चितकालीन सत्याग्रह, मांगे पूरी न होने पर पूर्वांचल में आंदोलन की चेतावनी

वाराणसी में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वावधान में बिजलीकर्मियों ने अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू किया है, जिसमें तबादला आदेशों में अनियमितता और पांच सूत्रीय मांगों पर कार्रवाई न होने का विरोध किया जा रहा है, मांगे पूरी न होने पर पूर्वांचल में आंदोलन की चेतावनी दी है।

वाराणसी: उत्तर प्रदेश के विद्युत विभाग में चल रहे आंतरिक असंतोष ने अब ज़मीन पर आकार ले लिया है। वाराणसी में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के बैनर तले बिजलीकर्मियों ने प्रबंध निदेशक कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन सत्याग्रह की शुरुआत कर दी है। यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब दो महीने पहले सौंपे गए पांच सूत्रीय मांग पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। आंदोलनरत कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि प्रबंध निदेशक ने न केवल संवाद से दूरी बनाई, बल्कि समस्याओं को सुलझाने की दिशा में एक भी कदम नहीं उठाया।

इस सत्याग्रह का मुख्य केंद्र उन तबादला आदेशों का विरोध है, जिनपर उत्पीड़न और कथित रूप से लेन-देन के आरोप लग रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि यह आदेश पूरी तरह पक्षपातपूर्ण और मनमाने तरीके से जारी किए गए हैं, जिससे विभागीय व्यवस्था में असंतुलन पैदा हो गया है।

गौरतलब है कि सत्याग्रह के पहले ही दिन बिजलीकर्मियों के प्रदर्शन स्थल विद्युत नगर का गेट बंद कर दिया गया। जबकि नोटिस में स्पष्ट उल्लेख था कि सत्याग्रह प्रबंध निदेशक कार्यालय के समक्ष होगा। गेट बंद करने की इस कार्रवाई को लेकर कर्मचारियों में तीव्र रोष व्याप्त है। हालांकि प्रशासनिक आग्रह पर उन्होंने संयम बरता, लेकिन चेतावनी दी है कि यदि समय पर गेट नहीं खोला गया तो कर्मचारी अपने स्तर पर कोई भी कदम उठाने को विवश होंगे।

सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि अभी आंदोलन का दायरा सीमित है और केवल वाराणसी के कुछ कर्मचारी ही इसमें भाग ले रहे हैं ताकि राज्य की बिजली व्यवस्था पर कोई तात्कालिक असर न पड़े। लेकिन अगर प्रबंध निदेशक ने अब भी गंभीरता नहीं दिखाई, तो पूर्वांचल के समस्त जिलों से बिजलीकर्मियों को बुलाकर आंदोलन को व्यापक किया जाएगा। ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार की औद्योगिक अशांति की पूरी जिम्मेदारी विद्युत निगम प्रबंधन पर ही होगी।

इस सत्याग्रह सभा में एक और अहम मुद्दा उभरा — विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की दिशा में उठाए जा रहे कदम। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के आरएफपी दस्तावेज पर विद्युत नियामक आयोग पर अभिमत देने के लिए भारी दबाव डाला जा रहा है। उनका कहना है कि निजी घरानों के हित में पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन कार्य कर रहा है, और नियामक आयोग से कभी भी उनके पक्ष में अभिमत जारी हो सकता है।

सत्याग्रह सभा में जहां कर्मचारी नेताओं ने प्रशासन के खिलाफ अपना आक्रोश जाहिर किया, वहीं दीक्षा छात्र संघ के सदस्य ध्रुव और ज्ञानप्रकाश ने अपनी कविताओं से सभा को ऊर्जा और भावनाओं से भर दिया। उनकी रचनाओं ने सत्याग्रह को एक सांस्कृतिक और विचारधारा से जुड़ा मंच भी प्रदान किया।

सभा की अध्यक्षता ई. मायाशंकर तिवारी ने की और संचालन अंकुर पांडेय ने संभाला। वक्ताओं में ई. एस.के. सिंह, ई. विजय सिंह, ई. सियाराम यादव, विजय सिंह, वेदप्रकाश राय, मदन श्रीवास्तव, संतोष वर्मा, जिउतलाल, राघवेंद्र गोस्वामी, उमेश यादव, प्रशांत सिंह, उदयभान दुबे, रामजी भारद्वाज, रंजीत पटेल और अजित कुमार शामिल रहे।

अब देखना यह है कि क्या विद्युत विभाग प्रबंधन कर्मचारियों की बातों को सुनेगा और समाधान की दिशा में कदम उठाएगा, या यह आंदोलन प्रदेश भर की बिजली व्यवस्था को प्रभावित करने वाला एक बड़ा जनांदोलन बनकर उभरेगा।

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